ऐसा लगता है कोई इस बात पर ध्यान नहीं दे रहा है कैसे सोनिया गाँधी के शासन
मैं बहुत से वामपंथी बुद्धिजीवियों को खुलेआम देश मैं अलगाववाद फेलाने
दिया जा रहा है और सरकार भारतीय सेना को कमजोर करने का निरंतर प्रयास
कांग्रेस सरकार द्वारा किया जा रहा है | भारतीय सेना जो भारतीय सत्ता
प्रतिष्ठान की एकमात्र ऐसी संस्था है जो अभी भी हजारों सालो की साहस,
सम्मान और मात्रभूमि के प्रति निष्ठा की क्षत्रिय परम्परा का पालन कर रही
है और सच्चे अर्थो मैं धर्मं निरपेक्ष है जिसमें हिंदू या मुस्लिम के आधार
पर सेनिकों मैं कभी भेदभाव नहीं किए जाता और जो नाममात्र कि तनखाह पर देश
के लिए अपनी सेवाएं और प्राण तक देते हैं ऐसे संस्था को हिंदू मुस्लिम
जनगड़ना करा कर विभाजित करना और कश्मीर एवं लद्दाख मैं सेना कि उपस्थिति को
कम करने जैसे कमजोर करने के प्रयास किये जा रहे हैं जिससे केवल पाकिस्तान
और चीन को ही फायदा होगा |
अक्सर
उन लोगों द्वारा जो सोनिया गाँधी को नजदीक से जानने का दावा करते हैं
द्वारा उनकी व्यक्तिगत इमानदारी, सदाशयता और अपने निकट के लोगों का ख्याल
करने की विशेषताओं कि बातें की जाती हैं पर सच्चाई ये है के ये असम्भव है
के फ्रांस मैं किसी गेर-इसाई को फर्ज कीजिये किसी हिंदू को जो कि ना तो देश
का राष्ट्रपति हो ना प्रधानमंत्री को परदे के पीछे से सर्वोच्च सत्ता का
संचालन करने दिया जाए और उसकी सत्ता देश के चुने हुए प्रधानमंत्री से भी
ऊपर हो, क्या कांग्रेस मैं कोई भी योग्य व्यक्ति नहीं जो ये जिम्मेदारी उठा
सके?
क्या 1.2 अरब भारतीय अपने बीच से कोई व्यक्ति अपना देश चलाने के
लिए नहीं चुन सकते जो भारत की जटिलताओं और यंहा के जीवन कि गूढ्ताओं को
समझता हो और भारतीय भी हो ?? पर केवल ये ही नहीं सोनिया गाँधी कि भारतीय
सत्ता शीर्ष पर उपस्थिति कई तरह कि द्रश्य और अद्रश्य शक्तियों को काम करने
का मौका देती हैं हो भारत के लिए हानिकारक हैं |
वैसे मैं यह स्पष्ट
कर देना चाहता हूँ के पश्चिम के श्रेष्ठ मूल्यों को अपनाने की कोशिश करने
मैं कोई हर्ज नहीं है जैसे – लोकतंत्र, तकनिकी उन्नति और उच्च जीवनस्तर आदि
पर अंधानुकरण सही नहीं होगा क्यूंकि पश्चिम मैं बहुत से सामाजिक संस्थान
और परम्पराएँ टूट और बिखर रही हैं जैसे – हर तीन मैं से २ शादियों का अंत
तलाक मैं होता है, बच्चों मैं अति-हिंसा कि प्रवृत्ति, बुढ़ापे मैं आर्थिक
एवं पारिवारिक सहारे का अभाव, यूवाओं के बड़े वर्ग मैं डिप्रेसन जैसी मानसिक
समस्याएं आदि और पश्चिम इन समस्याओं का जबाब अन्य संस्कृतियों समाजों मैं
खोजने कि कोशिश कर रहा है खासकर भारतीय संस्कृति मै |
अक्सर भारतीय
खासकर युवा इस बात कि गंभीरता को नहीं समझ पाते कि कैसे हर कीमत पर उतावली
मैं भारत के अंधे पश्चिमीकरण का प्रयास इस शासन मैं किया जा रहा है |
सोनिया गाँधी और उनके सिपहसालारों को इस बात को समझने कि जरुरत है भारत मैं
85 करोड़ और पूरी दुनिया मैं 1 अरब हिंदू अभी भी हैं और पिछले १००० साल के
विदेशी आक्रमणों से जो कुछ अच्छी बातें संस्कृति मैं शामिल भी हुई हैं पर
ये हिंदू संस्कृति और आध्यात्म दर्शन ही हैं जो भारत को विशिष्ट बनाते हैं
और यही सांस्कृतिक विशिष्टता ही भारतीय इसाइयों को यूरोपीय और अमेरिकेन
इसाइयों और भारतीय मुस्लिमों को अरब के मुसलमानों से अलग करते हैं |
भारत
का दुर्भाग्य है के ये लंबे समय तक गुलामी कि जंजीरों मैं जकड़ा रहा और चीन
से अलग ये आज भी अपनी समस्याओं का समाधान पश्चिम मैं ढूंडने का कोशिश करता
है और सोनिया गाँधी का सत्ताशीर्ष पर होना आधुनिक भारत की उसी मानसिक
दासता का परिणाम है और इसलिए वो लोकतान्त्रिक छद्म वेशभूषा मैं भारत कि
मलिका है|
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