इस समय आप देश के सर्वाधिक चर्चित सख्शियत बन गये हैं। कांग्रेस इस भ्रम में है कि आपकी छवि को ले कर वोट बैंक की राजनीति की जा सकती है, ताकि अपनी अक्षमता को छुपाया जा सके । अन्य पार्टियां भी आपके व्यक्तित्व को ले कर अल्पसंख्यक समुदाय को अनावश्यक रुप से भयभीत करने की योजना बना सकती है, ताकि उनके वोट बैंक को अक्षुण्ण रखा जा सके।
किन्तु देश की जनता आपके प्रभावशाली व्यक्तित्व को प्रधानमंत्री के रुप में स्वीकार कर रही है। दरअसल आज की परिस्थितियों में देश को ऐसा प्रधानमंत्री चाहिये, जो स्वपन दृष्टा हो। उसके विचार खुले और स्पष्ट हो। जो सामुहिक सोच विकसित करने मे सक्षम हों। देश के लिए योजनाएं बनाने और राष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने के लिए उसके पास एक गहरा सोच हो। जो अपनी प्रबन्धकीय और प्रशासनिक क्षमता से त्वरित निर्णय लेने में दक्ष हों।
निश्चय ही, अब देश की जनता को, विशेषकर युवा समुदाय को छाया प्रधानमंत्री नहीं चाहिये। ऐसी सरकार नहीं चाहिये, जिसकी शक्तियां मंत्रीमंडल के पास नहीं, एक व्यक्तित्व के पास केन्द्रीत हों। जो गृह, रक्षा, विदेश, वित्त और ऊर्जा क्षेत्र में अपनी अक्षमता साबित कर चुकी हों। जिसके शासनकाल में घाटालो और घपलों ने सारे रिकार्ड तोड़ दिये हों। और जिसने देश की जनता को भारी-भरकम महंगाई का तोहफा दिया हो। केन्द्र में ऐसी सरकार भी देश को नहीं चाहिये, जिसकी तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति के कारण पूर्वोतर जल रहा हो। देश में आतंकी घटनाएं बढ़ रही हो।
देश में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है- सरकार पूरी तरह अस्त-व्यस्त है। अपनी साख और देश की जनता का विश्वास खो चुकी है। किन्तु आपके लिए राह इतनी आसान भी नहीं है। सारी परिस्थतियां आपके भी अनुकूल नहीं है। भाजपा 200 लोकसभा सीटें जीतने पर भी सरकार नहीं बना सकती, जबकि कांग्रेस 150 सीटे जीत कर भी सरकार बना लेगी। यदि कांग्रेस की हालत बहुत ही ज्यादा खराब रही, तो मुलायम सिंह या नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री का ख्वाब दिखा देगी। कुछ दिनों तक सरकार चलाने देगी, फिर गिरा देगी। नये चुनाव करवायेगी और पुन: सता हथिया लेगी। अतीत इस बात का गवाह है कि सता के गंदे खेल की कांग्रेस निष्णात खिलाड़ी है। उसे किसी तरह घोटालों के पाप को छुपाना है और इसके लिए वह किसी हद तक नीचे गिर सकती है।
परिस्थितियां सर्वथा कांग्रेस के प्रतिकूल है। जनता गुस्सें में हैं, किन्तु यह पार्टी आत्मविश्वास से लबालब है। उसे सता में पुन: लौटने की पूरी उम्मीद है। उसे इस बात का भी गरुर है कि भाजपा कुछ भी कर लें, उसे अन्य राजनीतिक पार्टिंयां सता मे आने नहीं देगीं। किन्तु जनता उसका गरुर तोड़ना चाहती है। उसको आईना दिखाने के लिए व्यग्र है।
यह जमीनी हक़ीकत है। भाजपा देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और भविष्य में सब से बड़ी पार्टी बन कर भी उभरेगी, किन्तु यदि सरकार नहीं बना पायेगी, तो क्या होगा ? क्या देश की जनता एक दुष्चक्र में नहीं फंस जायेगी? क्या उसे पुन: एक अक्षम, निकम्मी और भ्रष्ट सरकार का बोझ झेलना होगा ? कल्पना कीजिये यदि फिर ऐसी सरकार को पांच वर्षों तक झेलना पड़ गया, तो देश की क्या हालत होगी? घोटालों पर सदा के लिए पर्दा पड़ जायेगा। और घोटालें होंगे। देश को निर्भिकता से लूटा जायेगा।महंगाई पर कभी लगाम नहीं लगेगी। जनता के कष्ट बढ़ जायेंगे। देश अराजक स्थिति में पहुंच जायेगा।
सम्भवत: आपके मन मे इस गुथी को सुलझाने के कोई उपाय होंगे। यदि हैं, तो इन्हें आपको सार्वजनिक करना होगा। यदि नहीं हैं तो इस विषय पर आज से ही गम्भीर मंथन आरम्भ कर देना चाहिये। इस देश को सक्षम सरकार की आवश्यकता है, एक लाचार व बोझिल सरकार की नहीं। देश को प्रभावी कार्य निष्पादन वाले मंत्रियों की टीम चाहिये, जो देश को गम्भीर संकट से बाहर निकाल सके। देश को अब अयोग्य किन्तु चाटुकार मंत्रियों की जरुरत नहीं है, जो अपनी अयोग्यता को साबित कर चुके हों, किन्तु कृपा दृष्टि से मंत्री पद पर जमे हुए हों।
आप से मेरे दो सवाल है- भाजपा पूरे देश में एक जन आंदोलन छेड़ने से क्यों परहेज कर रही है? जबकि इस समय देश को व्यापक, किन्तु सार्थक जन आंदोलन की आवश्यकता है। जनता का विश्वास जीतने और जनता से जुड़ कर अपनी बात समझाने का भाजपा मौका क्यों गवां रही है? जबकि वास्तविकता यह है कि सता पक्ष का अभिमान इसलिए बढ़ा हुआ है, क्योंकि विपक्ष भी एक सार्थक भूमिका नही निभा रहा है।
क्षमा करें -सदन में तीखी बहस करने, मीडिया के समक्ष सरकार को बेनकाब करने, कुछ रैलियां निकालने तथा मात्र बंद और धरना प्रदर्शन को जन आंदोलन नहीं कहते। जन आंदोलन वह होता है, जिसमें जनता पूरे मनोयोग से जुड़ती है। जो नगरों और गांवों की गलियों से प्रारम्भ होता है और उसकी गूंज दिल्ली तक पहुंचती है। आंदोलन एक दो दिन में समाप्त नहीं होता। आंदोलन परिणाम की प्राप्ति तक निरन्तर जारी रहता है।भाजपा के पास लाखों कार्यकर्ताओं का सम्बल है। देश के हर गांव और शहर में उसका प्रभाव है। फिर भाजपा आत्मबल क्यों नहीं जुटा पा रही है?
यदि आप ‘भारत जागरण’ आंदोलन का नेतृत्व सम्भालेंगे, तो आपकी पार्टी आपको नेतृत्व के लिए अधिकृत करें या न करें – देश की जनता आपका नेतृत्व सौंप देगी। आपको पूरे देश से व्यापक जन समर्थन मिलेगा। पार्टी को इतनी सीटे मिल जायेगी, ताकि सरकार बनाने के लिए भाजपा को किसी अन्य पार्टी से समर्थन मांगने के लिए सौदेबाजी नहीं करनी पड़ेगी। छोटी-छोटी पार्टियों के समक्ष समर्थन पाने के लिए गिड़गिड़ाना नहीं पडे़गा।
मेरे पास ऐसे ही एक जन आंदोलन की कल्पना है। इस विषय में विस्तृत विवरण मैं तभी दूंगा, जब आप इस पत्र को पढेंगे और इसका जवाब देंगे।
अंत में सोशल मीडिया से जुड़े आपके समर्थकों से मेरा विनम्र आग्रह है -इस पत्र का सारांश मोदी जी तक पहुंचायें। यह गम्भीर विषय है, इस पर निरर्थक टिप्पणियां नहीं करें।
शुभेच्छु,
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