Sunday, 21 July 2013

क्या है भारत के विकृत सेकुलरवाद (इस्लाम First बाकी सब बकवास) का रहस्य?

  1. आज कल बहुत लोग कोंग्रेस पार्टी को गलिया देते है! बहुसंख्य भारतवासियों की ये दृढ भावना है की काँग्रेस संस्था उसकी १२५ वर्षों (काँग्रेस की स्थापना के अंग्रेज अधिकारी ए.ओ.ह्यूम[१] ने १८८५ में मुंबई में की) की स्थापना से ही सेकुलरवाद (इस्लाम फर्स्ट बाकी सब बकवास) की प्रचारक रही है! इस बात में कोई संदेह नही की कोंग्रेस इंग्लिश सत्ता के हित रक्षण के लिए बनाई गई थी! किन्तु ये पूर्ण तहा असत्य है की १२५ वर्ष पुरानी कोंग्रेस सेकुलरवाद (अर्थात मुल्ला शाही) के लिए लड़ने वाली संस्था थी! जरा आप ही सोचिए की अंग्रेज यदी कोई संस्था शुरू करेंगे तो वे अपने हितों के लिए करेंगे, मुल्लो की हा जी हा जी अंग्रेज क्यों करेंगे? जो की उस समय सारे मुल्ले अंग्रेजो के लाचार गुलाम थे! इस बात से ये स्पष्ट होता है की स्वय कोंग्रेस संस्था सेकुलरवाद की चपेट में आई! ये कैसे हो सकता है? वो ऐसे की, एक बात हमे ध्यान में रखनी चाहिए की कोंग्रेस या कोई भी पार्टी ये एक संस्था है! संस्था मने एक कंपनी होती है! कंपनी को अपनी कोई नीतिया नही होती! कंपनी की नीतिया उसके चलाने वाले निश्चित करते है! जब उस कंपनी के चालक बदल जाते है तब उसकी नीतिया भी बदल जाती है! ठीक यही घटना कोंगेस नामक संस्था के साथ हुआ! १९२० के पहले की कोंग्रेस का ‘सेकुलरवाद’ (जिसे हम सब मुस्लिम अनुनय, तुष्टिकरण और न जाने कितने नमो से जानते है) से कुछ विशेष लेना देना नही था! आज के सेकुलरवाद का विषैला परिवर्तन कोंग्रेस में १९२० के वर्ष से आरंभ हुआ! इतिहास के उन अनदेखे पन्नों को पलट कर हम आज उस घटना को देखने वाले है, जीसके भयंकर परिणामस्वरूप कोंग्रेस का रूपांतर खान्ग्रेस में हुआ! इस लेख को पढ़ने वाले वाचक एक क्षण के लिए सोचे, अंग्रजो का साम्राज्य सारे विश्व में फैला था तो केवल भारत में ही ये सेकुलरवाद के नाम पर इस्लाम का महत्व बढ़ाने वाले राजनेता क्यों पनपते है? यदी अंग्रजो द्वारा कोंग्रेस के माध्यम से सेकुलर वाद का राक्षस खड़ा हुआ तो ऐसा चमत्कार केवल भारत में ही क्यों हुआ? सिंगापूर, केनिया, साऊथ अफ्रिका, श्रीलंका इत्यादी देशो में क्यों नही हुआ? यहाँ पर भी तो अंग्रेजो का शासन चलता था! इसके साथ मै स्वय अपना भी कुछ व्यक्तिगत अनुभव जोड़ना चाहता हू! मुझे विश्व के लगभग १० से १५ देशो में भ्रमण करना का सौभाग्य मिला! इन देशो में हमे भारत जैसा चित्र कही नही देखता जहा राजनैतिक पार्टियों के नेता अरबी टोपी (जिसे आप लोग मुस्लिम कॅप भी कहते है) पहनकर इफ्तियार पार्टी मानते है! या अपने चुनाव प्रचार में किसी मुल्ला मौलवी को अपना प्रचारक बनाने में कोई विशेष अभिमान का अनुभव करते है! अथवा हज यात्रा करने के लिए सरकारी पैसा देता है! जब तक हम इस रहस्य की जड़ तक नही पोहोचेंगे तब तक हमरे सारे प्रयास विफल होते रहेंगे! ये उसी घटना (जिससे कोंग्रेस का रूपांतर खान्ग्रेस में हुआ) का परिणाम है की आज भारतवासी लहुलोहन होकर रक्त के आसु रो रहे है! सन १९२० ये वर्ष बहुत महत्वपूर्ण था! इसी वर्ष एसी दो घटनाए घटी जीसके कारण आनेवाली पिडियो को भयंकर संकटो का सामना करना पड़ा, और आज भी कर रहे है! कोंग्रेस की स्थापना भले ही अंग्रेजो ने की थी, किन्तु आगे चालकर उस संस्था का नेतृत्व लाल, बाल, पाल जैसे क्रांतिकारी नेता गणों के हाथ गया! ये वो नेतृत्व था जिन्होंने कोंग्रेस को लोगों के ह्रदय तक पोहोचाया! ऐसा नही की सारे कांग्रेसी इन लाल, बाल, पाल के ध्वज तले लढ़ रहे थे, कुछ कांग्रेसी ऐसा मानते थे की अंग्रजो की कृपा पाकर ही भारतीय सुरक्षित हो सकते है! इन दोनों विचारों में कोई तीसरा ऐसा नही था जो सेकुलरवादी (अर्थात मुल्लावादी था)! सारे देश में स्वदेशी का विचार तेजी से फ़ैल रहा था! ये वो समय है जब सारे भारत में आर्य समाज लोगों के बीच एकरूप हो रहा था! ऐसे ही समय बिट रह था की अचानक सन १९१९ के वर्ष में प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हुआ और अंग्रेज सरकार युद्ध लढ़ने के लिए लोगों का सहयोग चाहती थी! अंग्रजी सरकार के संकट को अपना अवसर मान के क्रांतिकारीयो ने अपना संघर्ष तीव्र कर दिया! सारा देश अंग्रेजो के विरुद्ध क्रोधित हो उठा था ऐसे निर्णय की घडी में लोक मान्य तिलक (जो उस समय लोक आन्दोलन के प्रमुख थे) की मृत्यु हो गई! सारे देश वासी अपने सेनापति को खो चुके थे और सब की दृष्टी इस पर जम गई थी की भारत का नेतृत्व अब कौन संभाल सकता ही! इस अशुभ घडी में भारत वासीयो का नेतृत्व अचानक से एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में चला गया, जिसे ना कोई जानता था ना उसकी कोई पहचान थी! जैसे ही इस नए संचालक ने कोंग्रेस का नेतृत्व संभाला उसने सेकुलर वाद का उसका घिनौना प्रयोग पहली बार किया! उस विकृत नेता ने अपना अमंगल कुतर्क दिया यदी भारत वासी अंग्रजो से मुक्त होना चाहते है तो उन्हें मुसलमानों का सहयोग लेना चाहिए! आप में से अधिकांश लोगों के मन में इस दुरात्मा का नाम बिजली समान चमक गया होगा! विश्व युद्ध में अंग्रेज विजय की ओर बढ़ रहे थे! अंग्रेजी सेना ने तुर्की के बादशाह का युद्ध में पराजय किया और तुर्की साम्राज्य समाप्त कर दिया! इस तुर्क बादशाह को हराने में अरब, कुर्द, इराकी लोगों ने अंग्रजो का साथ दिया! क्या आप जानते है इस तुर्की के बादशहा को उसकी गद्दी वापस देने के लिए आन्दोलन किसने खड़ा किया? क्या तुर्को ने? नही तुर्की के सैनिक शासक कमल आत्तुर्क ने तो बादशाह की इस्लामी सत्ता खिलाफत समाप्त कर दी! तो फिर अरबो ने? हो ही नही सकता! क्योकि अरब सुलतानो ने तो तुर्की को गिराने में अंग्रेजो का साथ दिया था! फिर किसने आन्दोलन किया तुर्की के खलीफा के लिए? आश्चर्य होगा सुन के, की उसी दुरात्मा पाखंडी ने जो लोकमान्य तिलक की मृत्यु उपरांत भारत का नेता बन बैठा था! उनका नाम मोहनदास करमचंद गाँधी! उस महान आत्मा ने भारतवासीयो भ्रमित किया की यदी तुम तुर्की के खलीफा को वापिस सुलतान बनाने के लिए अंग्रेजो के विरुद्ध आन्दोलन छेड दोगे तो सारे मुस्लिम भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में अपने आप आ जाएँगे! यहा से शुरू हुआ वो भयानक दौर जिसे हम आज सेकुलर वादी की गाली कहते है! गाँधी द्वारा मुस्लिम सत्ता को तुर्की पर पुर्नस्थापित करने का यह आन्दोलन खिलाफत आंदोलन के नाम से कुविख्यत हुआ! खिलाफत आंदोलन को वास्तव में कुछ सरफिरे मुल्लो ने शुरू किया था! किन्तु उन चंद मुल्लो के अतिरिक्त उस आंदोलन कोई नही पूछता था! गाँधी ने इस खिलाफत आंदोलन को मुल्ला आंदोलन से जन आंदोलन बनाया! इस महान घटना का उलेख पाकिस्तान के लेखक ने उसके पुस्तक में बड़ी ही रोचक रूप में किया है! वो लिखते है.... ‘खिलाफत का आंदोलन अपने आप में अजीब था, क्यों की पहली बार ऐसा हुआ की जिस खलीफा को तुर्कोने और अरबो ने ठुकराया उसके लिए हिंदु लध रहे थे! जीन मुल्ला मौलवियो को मस्जिद की चार दीवारी के बाहर कोई नही पूछता था, वे अचानक से राजनीती के नेता बन गए” ये खिलाफत आंदोलन का विवेचन एक पाकिस्तानी लेखक का है इस बात पर हमे विशेष धयान देना होगा! गाँधी का आवाहन सुन के अनेक स्त्रियों ने अपने आभूषण तक बेच दिए! वह सारा धन गया खिलाफत आंदोलन के लिए! ये इसी खिलाफत आंदोलन का परिणाम था की भारत के मुस्लिम ये पहली बार अपनी अलग मुस्लिम पहचान के आधार पर संघठित हुए! इसी संगठन आगे जा के पाकिस्तान का नाम लिया और भारत में मिनी पाकिस्तना का!

1 comment:

  1. आप अपने आलेख का फॉण्ट थोडा बड़ा रखा करें छोटा फॉण्ट पढ़ने में असुविधा होती है !

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