जिंदगी के उतार-चढ़ाव उस दिमागी खेल की तरह हैं जिसमें कभी हार होती है तो कभी जीत। यदि हम खेल को कुशलतापूर्वक और ध्यान से खेलते हैं तो विजय मिलती है और ध्यान चूकने पर हार का सामना करना पड़ता है। जिंदगी में परेशानियों व विपत्तियों का आगमन व्यक्ति को हताश कर देता है और उसके जीवन में अंधकार भर देता है। पाश्चात्य विद्वान एन. लैंडर्स का कहना है कि मुश्किलों को जीवन का अनिवार्य हिस्सा मानकर चलें और जब कोई मुश्किल आए, तब अपना सिर ऊंचा उठाकर, उसकी आंख से आंख मिलाकर कहें-'मैं तुमसे ज्यादा ताकतवर हूं, तुम मुझे नहीं हरा सकतीं।Ó जिंदगी में हमेशा अच्छा ही अच्छा होता रहे, तो वह भी व्यक्ति को बोर कर देता है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जिंदगी के उतार-चढ़ाव भी इस परिवर्तन का एक हिस्सा हैं । जिंदगी के उतार-चढ़ाव ही जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई हैं। जिंदगी के चढ़ाव व जीत को तो हर व्यक्ति प्रसन्नता से स्वीकार करता है, लेकिन उतार या हार को हर व्यक्ति सहन नहीं कर पाता। हार व जिंदगी में आने वाली तकलीफों को जीवन का एक अनिवार्य अंग मानकर जिया जाए, तो जीवन बेहद खूबसूरत लगने लगता है। यदि जिंदगी के उतार को धैर्य से सहन किया जाए तो समस्याओं को सुलझाने में भी एक आनंद प्राप्त होता है।
जब हम अपनी सफलता का जश्न यह सोचकर मनाते हैं कि हमें हमारे संघर्ष और मेहनत का फल मिला है तो असफलता को भी यह सोचकर स्वीकार करना चाहिए कि हमारी मेहनत में कहीं कुछ कमी थी, जो हम सफल नहीं हो पाए और हो सकता है कि जीवन का उतार या हार हमारे लिए इससे बड़ी सफलता रचने की तैयारी कर रहा हो। समय जल की भांति सदैव बहता रहता है। इस बहाव में जब बाधाएं आती हैं तो एक पल को जल रुक जाता है, लेकिन तभी तेज धारा से वह बाधा हट जाती है और जल अपने मार्ग पर चल पड़ता है। इसी तरह हर व्यक्ति के जीवन में भी उतार-चढ़ाव आते हैं। जीवन में बड़ी सफलताएं उसी व्यक्ति को प्राप्त होती हैं जो बड़ी से बड़ी असफलता में भी अपना धैर्य और संतुलन नहीं खोते। यदि बाधाओं और परेशानियों को मन और मस्तिष्क से स्वीकार कर लिया जाए तो जीवन के उतार-चढ़ाव व दुख भी एक अद्भुत आनंद प्रदान करते हैं।
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