मोदी सरकार भारत के लोकतांत्रिक इतिहास की पहली ऐसी सरकार है, जिसके पास पूर्ण बहुमत है, किन्तु संवैधानिक कार्य करने के लिए बेबस है। सरकार बनने के पहले ही दिन से सरकार के विरुद्ध षड़यंत्रो का दौर आरम्भ हो गया, जो अब दिन प्रति दिन आक्रामक होता जा रहा है। सत्ता षड़यंत्रों के नित नये नाटकों का मंचन हो रहा है। जो सत्ता सुख भोग रहे थे और भारत की सत्ता से भरपूर सुविधाएं जुटा रहे थे, वे मोदी सरकार बनते ही बैचेन हो गये, क्योंकि उन्हें केन्द्र में बहुमत वाली गैर कांग्रेसी सरकार नहीं चाहिये, जिसे ब्लैकमेल नहीं किया जा सके, गिराया नहीं जा सके।
भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का लाभ मुट्ठी भर लोग भरपूर लाभ उठाते रहे हैं। कांग्रेसी सरकारे उनके लिए सुविधाजनक थी, क्योंकि स्वयं भी खाती थी और उन्हें भी खाने की छूट देती थी। इन सभी लोगों की हसरतों पर नरेन्द्र मोदी की आंधी ने तुषारापात कर दिया। कांग्रेस लोकसभा में सिमट गर्इ, और कर्इ राज्यों में लुप्त हो गर्इ। कांग्रेस के साथ सहयोग और विरोध का खेल खेल कर सत्ता का भरपूर लुत्प उठा रहे क्षत्रप आंधी के प्रबल वेग से उड़ गये। नि:संदेह भारत की राजनीति में उभरे नरेन्द्र मोदी उनके प्रबल शत्रु बन गये थे। वे इस आंशका से भयग्रस्त हो गये थे कि यदि इस व्यक्ति का प्रभाव बढ़ता ही गया तो हमारे राजनीतिक भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा।
भारत की राजनीति में मोदी के बढ़ते प्रभाव से कांग्रेसी और प्रादेशिक क्षत्रप तो सदमें मे थे ही पर पर्दे के पीछे बैठ कर सत्ता का लाभ उठा रहे कर्इ ऐसे तत्व भी बैचेन हो गये, जिनके लिए मोदी सुविधाजनक नहीं थे और उन्हें लग रहा था कि यह व्यक्ति यदि भारत की राजनीति में छाया रहा तो निश्चित रुप से उनके हितो पर चोट करेगा। यही कारण है कि मोदी विरोधियों की संख्या में निरन्तर इजाफा होता रहा और आज ऐसा लग रहा है कि सभी एक हो कर मोदी सरकार के विरुद्ध मोर्चाबंदी कर ली है।
नरेन्द्र मोदी के प्रबल विरोधी राहुल और केजरीवाल है, जो फ्रंट पर खड़े हैं। इनके पीछे वामपंथी और प्रादेशिक क्षत्रप खड़े हैं, किन्तु इनका वित्तीय मदद दे कर हौंसला बढ़ाने वाले अनजान लोग हैं, जो सामने नहीं आते, किन्तु नरेन्द्र मोदी सरकार को हटाने के लिए पूरी तरह कमर कसे हुए हैं। एक रणनीति के तहत कांग्रे्रस केजरीवाल षड़यंत्र का शुभारम्भ करते हैं और अन्य शक्तियां उसमें अपनी भागीदार निभाने के लिए सक्रिय हो जाती है।
पर्दे के पीछे खड़े हो कर राहुल, केजरीवाल, वामपंथियों और प्रादेशिक क्षत्रपों को मदद करने वाले लोग हैं- भारत में नशे और आतंक से अरबो कमाने वाली पाकिस्तानी सेना और उनकी सहायक संस्था आर्इएसआर्इ, क्रॉनी केपिटलिस्ट, भारत में व्यापार कर भरपूर मुनाफा बटोरने वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियां, रक्षा सौदों के दलाल, विदेशी मालिकों के टीवी चेनल, बिके हुए पत्रकार, सरकारी कृपा से गदगद बुद्धिजीवी सब्सिडी की बंदरबाट में लगा सरकारी तंत्र प्रमुख है। मोदी विरोधी शक्तियों का एक ही लक्ष्य है-2019 के लोकसभा चुनावों में नरेद्र मोदी को सत्ता से बाहर करना, ताकि भारत को लूटने का क्रम फिर जारी हो जाय। अपनी रणनीति के तहत मोदी सरकार को मुस्लिम और दलित विरोधी, किसान,मजदूर और छात्र विरोधी साबित करने में लगे हैं, ताकि भारत के मतदाताओं से नरेन्द्र मोदी का मोहभंग किया जा सके। ये सारे मिल कर किस तरह षड़यंत्र खेलते है, उसे कुछ उदाहरणों से समझा जा सकता है:-
भारत में एक प्रतिशत से कम आर्इएसआर्इ के लिए काम कर रहे लोग हैं, जिनके पास हवाला के तहत धन पहुंचता है, जो जानबूझ कर ऐसे कृत्य करते हैं, जिससे हिन्दू संगठन उतेजित हो जाते हैं और उनके नेता विवादास्पद बयान दे देते हैं। जैसे ही बयान आते हैं विदेशी मीड़िया बात का बतंगड़ बनाना प्रारम्भ कर देता है। चेनल अल्पसंख्यक समुदाय को भयभीत करने के लिए कर्इ तरह के प्रपोगंड़ा करने लग जाते हैं। इसके साथ ही धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों की आक्रामक बयानबाजी आने लगती है। तिल का ताड़ बन जाता है। नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार को दोषी ठहराने की कोशिश की जाती है। संसद में हंगामा किया जाता है, जिससे पूरे देश का मुस्लिम समाज यह समझे कि मोदी सरकार के शासन में वे असुरक्षित है।
दादरी में अनजान व्यक्तियों ने अफवाह उड़ा कर लोगो को उतेजित किया। उतेजित भीड़ अलताफ के घर तक पहुंच गर्इ, इसकी जानकारी प्रशासन को थी, किन्तु पुलिस जानबूझ कर मूक दर्शक बन खड़ी रही। दुखद घटना के घटित होने के तुरन्त बाद केजरीवाल और राहुल पहुंच गये और मीडिया के साथ मिल कर घटना का अन्तरराष्ट्रीयकरण कर दिया। मोदी सरकार को दोषी बताने के लिए मीडिया ने हिन्दू संगठन के नेताओं से बयान दिलाये, जिसका खूब बतंगड़ किया गया। आज तक इस बात की जानकारी राष्ट्र को नहीं मिली कि अफवाहें किसने उड़ार्इ और प्रशासन क्यों निष्क्रिय रहा ?
हरियाणा के एक दलित परिवार के बच्चों को जिंदा जलाने के प्रकरण को भी खूब उछाला ताकि मोदी सरकार को दलित विरोधी बताया जा सके। परन्तु जब जांच से यह तथ्य सामने आया कि दुर्घटना घरेलु हिंसा का परिणाम थी, तब सभी मौन हो गये। इसी तरह हैदराबाद के छात्र रोहित वेलुला ने आत्महत्या क्यों कि इसकी जांच रिपोर्ट आने के पहले ही इतना तूफान खड़ा कर दिया कि आत्महत्या का कारण दलित उत्पीड़न है। जबकि उत्तरप्रदेश के कस्बे में एक परिवार के सदस्यों को दबंगों ने नंगा कर घुमाया, जिसका प्रसारण टीवी चेनलों ने दिखाया था। सोशल मीडिया में दलितो की नंगी तस्वीरें वायरल हुर्इ थी, परन्तु राहुल और केजरीवाल ने इस घटना पर एक शब्द नहीं कहा। ये सारे मिल कर उसी घटना पर अधिक शोर मचाते हैं, जिससे नरेन्द्र मोदी को बदनाम किया जा सके।
इन दिनों जेएनयू घटनाक्रम को सभी मोदी विरोधी मिल कर खूब उछाल रहे हैं ताकि मोदी सरकार को दलितों के साथ-साथ छात्र विरोधी भी साबित किया जा सके। मोदी विरोधियों के षड़यंत्र निरन्तर सफल हो रहे हैं। एक नाटक के समाप्त होते ही दूसरा प्रारम्भ हो जाता है। लगता है 2019 के आने तक ऐसे कर्इ नाटकों का मंचन होता रहेगा। इन नाटकों को मंचन करने वाले राहुल केजरीवाल और उनके पीछे खड़ी ताकते इसी तरह अपने घृणित षड़यंत्रों में सफल होती रही तो राष्ट्र एक दुष्चक्र में फंस जायेगा।
प्रत्येक नाटकीय घटना के घटित होने के बाद भाजपा समर्थक उतेजित बयानबाजी करने लग जाते हैं, जिससे विरोधियों के नाटक सफल हो जाते है। जब तक मोदी सरकार अपने विरोधियों की कमजोर नब्ज को नहीं दबायेगी, तब तक इनकी उच्छखृलता बढ़ती जायेगी। सरकार पूर्ण प्रतिबद्धता, र्इमानदारी और निष्ठा से काम कर रही है, किन्तु राहुल केजरीवाल और उनके पीछे खड़े षड़यंत्रकारियों से निपटने के लिए सार्थक नीति नही अपनायेगी- दिल्ली और बिहार विधानसभा के चुनावों की तरह अन्य चुनाव भी हारती रहेगी।
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