पुरुषार्थ का अर्थ
धर्म का मतलब सदाचरण है। अर्थ का मतलब धनोपार्जन। काम का मतलब विवाह, काम, प्रेम आदि। और मोक्ष का मतलब होता है मुक्ति पाना व आत्म दर्शन। धर्म का ज्ञान होना जरूरी है तभी कार्य में कुशलता आती है कार्य कुशलता से ही व्यक्ति जीवन में अर्थ या जीवन जीने के लिए धन अर्जित कर पाता है। काम और अर्थ से इस संसार को भोगते हुए इन्सान को मोक्ष की कामना करनी चाहिए।
मध्य मार्ग का अर्थ
इसी प्रकार हिन्दू धर्म की दृष्टि में मध्य मार्ग ही सर्वोत्तम है। हिन्दुत्व धर्म में गृहस्थ जीवन ही परम आदर्श है और संन्यासी का अर्थ है सांसारिक कार्यों व सम्पत्ति की देखभाल एक दासी के रूप में करना। अकर्मण्यता, गृह-त्याग या पलायनवाद का संन्यास से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं है। आजीवन ब्रह्मचर्य भी हिन्दुत्व का आदर्श नहीं है क्योंकि हिंदुत्व धर्म में काम पुरुषार्थ का एक अंग है। मनुष्य को गृहस्थ रहते हुए भी अपने आचरण व व्यवहार में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
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