गिरे हुए शेयर बाजार को चिदम्बर जी ने चढ़ा दिया। दम तोड़ता रुपया सांसे
ले रहा है। शायद कोर्इ दवा असर कर रही है। किन्तु सेहत कभी भी बिगड़ सकत
है। सारे कृत्रिम उपाय है, जिसके सहारे अर्थव्यवस्था की गाड़ी खींची जा रही
है, किन्तु सारी परिस्थितियां नकारात्मक है। देश की आर्थिक स्थिति अच्छी
नहीं है। ऐसे समय में चिदम्बर साहब का जीडीपी पर निर्थक बहस करना अच्छा
नहीं लगता। वास्तविकता यह है कि जनता आपकी बहस को सुनी अनसुनी कर रही है।
जनता सिर्फ महंगार्इ से निज़ात चाहती है। इस संबंध में आपकी सरकार पूरी तरह
असफल साबित हुर्इ है। इसमें कोर्इ आश्चर्य नहीं होगा यदि महंगार्इ इसी तरह
बेलगाम रही और इस पर आपका नियंत्रण नहीं रहा, तो महंगार्इ आपकी सरकार को
ले डूबेगी। चुनाव जितने के लिए आपकी सरकार चाहे जितनी तिकड़मी चाले चल लें,
उसकी वापसी संभव नहीं हो सकती।
अच्छा होता चिदम्बर साहब मोदी पर कटाक्ष करने के पहले सरकार के खाद्यमंत्री की कलुषित नीतियों को समझ लेतें, जिनकी कृपा से प्याज पूरे हिन्दुस्तान को रुला रहा है। प्याज अब मिठार्इ और देशी घी तरह अमीरों का भोजन हो गया है। डिजल और पेट्रोल की बढ़ी हुर्इ कीमतों ने पूरे बाज़ार में आग लगा दी है। अब हमें पांच सौ रुपया का नोट ले कर सब्जी लेने जाना पड़ता है। दूध भी अब अमीर परिवारों के बच्चे पीते हैं। आपकी स्वर्ण नीति के कारण सोना इतना महंगा हो गया है कि एक गरीब बाप अपनी बेटी की शादी में एक आध तोला सोना देने की हैसियत खो चुका है।
इसलिए निरर्थक बहस मत कीजिये, काम कीजिये। मोदी के हर वक्तव्य का उत्तर देने के बजाय जनता का दिल जीतने के उपाय कीजिये, ताकि फिर सत्ता में आ सके। भारत की जनता आपके जीडीपी आंकड़ो से कोर्इ मतलब नहीं रखती। उसे तो सिर्फ इस बात की चिंता रहती है कि आज का दिन कैसे गुजरेगा और सीमित आय से पूरे माह का राशन जुटाया जा सकेगा या नहीं।
अच्छा होता चिदम्बर साहब मोदी पर कटाक्ष करने के पहले सरकार के खाद्यमंत्री की कलुषित नीतियों को समझ लेतें, जिनकी कृपा से प्याज पूरे हिन्दुस्तान को रुला रहा है। प्याज अब मिठार्इ और देशी घी तरह अमीरों का भोजन हो गया है। डिजल और पेट्रोल की बढ़ी हुर्इ कीमतों ने पूरे बाज़ार में आग लगा दी है। अब हमें पांच सौ रुपया का नोट ले कर सब्जी लेने जाना पड़ता है। दूध भी अब अमीर परिवारों के बच्चे पीते हैं। आपकी स्वर्ण नीति के कारण सोना इतना महंगा हो गया है कि एक गरीब बाप अपनी बेटी की शादी में एक आध तोला सोना देने की हैसियत खो चुका है।
इसलिए निरर्थक बहस मत कीजिये, काम कीजिये। मोदी के हर वक्तव्य का उत्तर देने के बजाय जनता का दिल जीतने के उपाय कीजिये, ताकि फिर सत्ता में आ सके। भारत की जनता आपके जीडीपी आंकड़ो से कोर्इ मतलब नहीं रखती। उसे तो सिर्फ इस बात की चिंता रहती है कि आज का दिन कैसे गुजरेगा और सीमित आय से पूरे माह का राशन जुटाया जा सकेगा या नहीं।
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