Wednesday 18 September 2013

आपकी बौखलाहट में छटपटाहट झलक रही है, नीतीश जी !

चौबेजी से छबैजी बनने के चक्कर में आपने अपने पांवों पर कुल्हाड़ी मारी थी, उसके दर्द से आपकी छटपटाहट बढ़ गयी है। बिहार के प्रशासन पर से आपकी पकड़ कमज़ोर हो गयी है। जब से अपनो का साथ छोड़ा और गैरो का हाथ थामा है, तब से एक की बाद एक घटित हुर्इ घटनाओं में आपकी प्रशासनिक विफलता की झलक साफ दिखार्इ दे रही है। बिहार अंधेरे में डूबा है और आप दूसरों को नसीहत दे रहे हैं कि यह ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि जैसा निणर्य है। मोदी को देश कभी स्वीकार नहीं करेगा।’
नरेन्द्र मोदी को देश स्वीकार करेगा या नहीं, यह तो वक्त ही बतायेगा। इस बात का फैंसला भी भारत की जनता को करना है, आपको नहीं। पहले अपने बारे में बिहारियों से पूछ लीजिये कि वे आपको अब  झेल पा रहे हैं या नहीं। दरअसल वे आपसे अब उकता गये हैं। बिना भाजप के सहारे अब बिहार में आपके लिए कोर्इ भी चुनाव जीतना लोहे के चने चबाने से ज्यादा मुश्किल है। अत: दूसरों को नसीहत देने के बजाय आप अपने अंत:करण में झांक कर अपने आपसे पूछ लीजिये कि आपने जो पहाड़ जैसी गलती की है, उससे आपका राजनीतिक जीवन दांव पर लगा है या नहीं?
अखिलेश सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के थोक वोट पाने के चक्कर में मुजफ्फर नगर में ऐसी फंसी कि उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया और कांग्रेस  ने बैठे बिठाये बाजी जीत ली। इसलिए वोटो के गणित का कुछ नहीं कह सकते। पता नहीं  किस समय ऊंट किस करवट बैठ जाये। यह सही है कि मुस्लिम समुदाय को लुभाने के लिए आपने मोदी का नाम ले कर भाजपा से संबंध तोड़ दिये। दरअसल आपके दिमाग में खिचड़ी राष्ट्रपति चुनाव के पहले से पक रही थी और आप अलग होने का बहाना ढूंढ रहे थे। अब आपका यह कहना सरासर झूठ है कि हमे पहले ही मालूम था कि मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया जायेगा, इसलिए समय से पूर्व ही हमने किनारा कर लिया। दरअसल आपको बिहार के मुसलमानों के थोक वोट चाहिये और इसीलिए आप सारी कवायद कर रहे हैं। परन्तु ऐसा होगा नहीं। मुसलमान समुदाय एक जुट हो कर आपके पक्ष में वोट देगा या नहीं, यह कह नहीं सकते,  किन्तु   भारत का युवा समुदाय जो परिवर्तन चाहता है और एक भ्रष्टसता तंत्र से मुक्ति का मानस बना चुका है, वह चिढ़ कर आपसे अलग हो जायेगा। भविष्य में युवा भारत एक मजबूत वोट बैंक बन कर उभर रहा है, जो आश्चर्यकिचत कर देने वाले परिणाम देगा।
आपका यह कहना कि देश को बांटने वाले कभी सफल नहीं होगे। परन्तु आप भी तो समाज को बांट कर अपना राजनीतिक स्वार्थ साधने में लगे हैं। कौनसा ऐसा राजनीतिक दल है जो अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए समाज को बांटता नहीं है ? यदि आप वास्तव में आप 2002  के खलनायक से देश को खतरा समझते थे, तो गुजरात दंगो के तुरन्त बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी के समक्ष मोदी को बर्खास्त करने या हटाने का प्रस्ताव रख सकते थे ? यदि उस समय आपकी बात नहीं मानी जाती, तो मंत्रीमण्ड़ल से हट सकते थे और गठबंधन से बाहर निकल सकते थे। परन्तु तब सत्ता का मोह था और अब अकेले सता भोगने की ललक, इसलिए गठबंधन तोड़ने का बहाना ढूंढा गया। दरअसल अवसरवादी राजनेताओं का न कोर्इ धर्म होता है और न ही कोर्इ सिद्धान्त । जनता को मूर्ख बनाने और राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए सारे उपक्रम करते रहते हैं।
भारत अब जाग गया है। अब भारत की कमान युवा भारतीयों को पास आ गयी है। 2014  के लोकसभा चुनावों के दौरान युवा भारतीयों के वोट बहुत ही निर्णायक होंगे। युवा भारत जाति और धर्म को कोर्इ विशेष महत्व नहीं देता, इसलिए जो राजनेता इसी सहारे चुनाव जीतने के सपने संजाये बैठे हैं, उनके सपने पूरे नहीं होंगे। उनके सारे राजनीतिक समीकरण घड़बड़ा जायेंगे।  युवा भारत राजनेताओ के श्रीमुख से अब यह सुनना पसंद नहीं करता है कि कौन कैसा है और किसे देश की जनता पसंद नहीं करती। जनता आपके मुहं से यह सुनना चाहती हैं कि आपने जो जनता के साथ वादे किये थे, वे पूरे किये या नहीं। आपने अपने शासन के दौरान जो नीतियां बनायी, उसके क्या सार्थक परिणाम निकले? भविष्य में जनता से आप किस आधार पर वोट मांग रहे हैं ? आपकी नीतियां क्या होगी, उसकी स्पष्ट व्याख्या कीजिये, ताकि उस पर मंथन और विश्लेषण कर उसके सार्थक परिणाम के बारें में मनन किया जा सके । अत: दूसरों की विद्रुपता का भय दिखा कर जनता को ठगने का प्रयोजन अब सफल नहीं होगा। जनता बहुत बार ठगी जा चुकी है। भारत की जनता अब धोखेबाजों और छल और कपट की राजनीति करने वालों को पूर्णतया ठुकरा देगी।
सुशासन और बेहतर प्रशासन के जरिये विकास की गंगा बहाने वाली शख्सियत का आत्मबल इतना क्षीण होगा, ऐसी आशा किसी को नहीं थी। जो राजनेता अपना राजधर्म निभाता है और पूर्ण मनोयोग से जन कल्याणकारी नीतियों को प्राथमिकता देता है, उसे जाति और धर्म के आधार पर वोटों का जुगाड़ करने की आवश्यकता नहीं रहती। क्योंकि तब उसे समुदाय विशेष नहीं, पूरे प्रदेश की जनता एक हो कर वोट देती है। ऐसे व्यक्ति के लिए कोर्इ भी प्रभावशाली व्य​िक्त्तव अवरोध नहीं बनता, अपितु वह उसका सहयोगी बन जाता है।
युवा भारत अब उस जमात को तिरस्कृत करने का मन बना चुका है, जिसने इस देश की जनता को बहुत प्रताड़ित किया है। महंगार्इ के असह्नीय बोझ के तले दबी भारतीय जनता कराह रही है। उसके सब्र का बांध अब टूट चुका है। पूरा देश एक भ्रष्ट शासन से मुक्त होने के लिए छटपटा रहा है। और नीतीश कुमार जी,  आप जनता का मूड़ समझे बिना उस डूबते जहाज में बैठने का मानस बना चुके हैं, जिसका डूबना लगभग तय है।  दरअसल यह आपकी राजनीतिक भूल है, जिसके बहुत दुखद परिणाम आपको भोगने पड़ेंगे। यह भूल आपके राजनीतिक भविष्य की दिशा मोड़ देगी।
एक श्रेष्ठतम राजनेता को तिरस्कृत राजनेताओं की जमात के साथ बैठना बिहार की जनता स्वीकार्य नही होगा। यदि आप ऐसा करेंगे,  तो आपको भी जनता तिकड़मी और धूर्त राजनेता समझ बैठेगी। याद रखिये आपने बिहार के खोये हुए आत्मसम्मान को बढ़ाया है। जिन्होंने बिहार के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, उन ठगों के साथ यदि आप अपवित्र गठबंधन करेंगे, तो इसे प्रदेश की जनता किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगी। यह भी सम्भव है कि आप शिखर से नीचे धकेल दिये जायेंगे। जख्मी और लहूलुहान हो कर फिर शिखर पर चढ़ना आपके लिए बहुत दुष्कर कार्य होगा।
अत: आपसे आग्रह है कि अपने आत्मघाती निर्णय पुन: पर आत्मचिंतन कीजिये। भारत की जनता अब भविष्य में अपना रौद्र रुप दिखाने वाली है। एक भूचाल आने वाला है, जो भारत के मजबूत राजनीतिक स्तम्भों को धराशायी कर देगा। यदि आप इस भूचाल से बचना चाहते हैं, तो आपको वक्त की नज़ाकत को समझना पड़ेगा। भारत की जनता का मूड भांपना होगा। क्योंकि इस भूचाल से वे ही साहसी राजनेता बच पायेंगे, जिनके पास अपने आपको बचाने की ताकत होगी।

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