देश के साथ किया गया जीता-जगता छल हैं ! जानिए उनका इतिहास और चरित्र !
पहले तो ये जान लीजिये की मनमोहन सिंह का जन्म भी अडवाणीजी की तरह पाकिस्तान में हुआ था और इस लिए इनको भी पाकिस्तान से बहुत प्यार है और इस का नमूना आपने शायद पढ़ा हो की इन्होने पाकिस्तान में अपने गाँव को सरकारी खर्चे पर सुन्दर और खुशहाल बनवाया है !!
मनमोहन सिंह को भारत में सब लोग तब से जानते हैं जब से वो नरसिम्हा राव सरकार में वित्तमंत्री बने परन्तु कोई नहीं जनता की वो पहले क्या थे, और उनकी नियुक्ति कैसे हुई ?
सभी जानते हैं की मनमोहन जी अर्थशास्त्र के पंडित हैं, स्वतंत्रता के कुछ ही साल बाद यानि १९५२ और १९५४ में उन्होंने स्नातक और स्नातकोतर की डिग्रीयां हासिल कर ली थी और फिर पंजाब विश्वविद्यालय से ले कर ऑक्सफोर्ड तक उन्हों ने कई मक़ाम हासिल किये.
उनकी PhD का शीर्षक था "India’s export performance, 1951–1960, export prospects and policy implications" जो बाद में एक किताब में विकसित हो गया "India’s Export Trends and Prospects for Self-Sustained Growth". तब से लेकर आज तक देशी-विदेशी कई विश्वविद्यालय ने उनको doctorate की डिग्रीयां प्रदान की बिना किसी शर्त के.
PhD पूरी करने के बाद उन्होंने जहाँ काम किया वो संस्था थी United Nations Conference on Trade and Development (UNCTAD), १९६६–१९६९ जिसमें उन्होंने गरीब देशों के हित में कई शोध किए और ये सिद्ध किया कि कैसे गरीब देशों से पैसा अमीर देशों में जाता है और South Commision के Secretary General बन कर उन्होंने सिद्ध किया की Undeveloped कहलाने वाले देश Developed देशों को पाल रहे हैं. परन्तु इस अंतराल में वो ललित नारायण मिश्र के संपर्क में आकर जब वो Ministry of Foreign Trade में सलाहकार बन गए तो धीरे-धीरे उनके तेवर हे बदलते चले गए, और जो कामयाबी ३० साल में भी ना मिली थी वो मिलने लगी !!!
पहले १९८२ में Reserve Bank of India के गवर्नर फिर १९८५ में Planning Commission of India के डिप्टी चेयरमयेन और फिर South Sommision के Secretary General और फिर तो विदेश तक लोग जान गए थे की मनमोहन सिंह जी को !!!!!!
लोग कहते हैं की मई 1991 में फ्रांस के एक अखबार में खबर छापी थी की INDIA में आने वाले इलेक्शन में सरकार किसी भी पार्टी की बने पर वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ही होंगे !!!!! उस समय राजीव गाँधी जीवित थे और किसी को मालूम नहीं था आगले इलेक्शन में कौन जीतेगा !!
फिर राजीव गाँधी नहीं रहे और सहानुभूति की लहर पर सवार कांग्रेस सत्ता में आगई !!! प्रधानमंत्री P V नरसिम्हा राव बने पर वित्तमंत्री मनमोहन सिंह !!!! कैसे????
राजीव गाँधी जी ने सरकार इतनी अच्छी चलायी थी कि भारत वित्तीय संकट आ गया था, हमारे पास मुश्किल से कुछ हफ्ते आयत करवाने लायक पैसे बचे थे और सरकार ने IMF कर्जा माँगा तो World बैंक ने शर्त रख दी की वित्तमंत्री मनमोहन सिंह होंगे और सरकार ने बना दिया कठपुतली वितत्य मंत्री !!!!
जब कोई बैंक किसी कंपनी को लोन देता है तो उस में Nominee Director नियुक्त करता है जिस पर कंपनी के नियम पूरी तरह लागु नहीं होते और वो बैंक के धन और हितों की रक्षा के लिए कार्य करता है, और समझोते के हिसाब से उससे कोई भी पद मिल सकता है, चाहे वो चीफ़ फिनांस ऑफिसर-CFO क्यों न हो !!! सरकार में इस पद को फिनांस मिनिस्टर का पद कहते हैं जो मनमोहन सिंह को मिला ताकि वो वर्ल्ड बैंक के पैसे की रक्षा कर उससे लौटने की व्यवस्था कर सकने और इस के लिए उन्होंने उन् नीतियों को अपनाया जो विदेशी संस्थाएं चाहती थीं !!!
कुछ लोग Globalization को ही अर्थव्यवस्था का उध्हारक समझते हैं और चीन की Globalization से तुलना करते हैं पर ये सही नहीं है !! चीन अपने प्रोडक्ट्स ले कर हर देश में पंहुचा और हमने सभी देशों को प्रोडक्ट्स यहाँ बनाने और बेचने के लिए बुलाया जो बहुत नुक्सान दायक रहा!! पर इस पर चर्चा फिर किसी दिन करेंगे !!!
जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बने तो महंगाई ३ गुना बढ गयी और अब कितने गुना बढ रही है ये अभी भी देखना बाकि है !!
फिर कुछ ही दिनों में मनमोहन सिंह कुछ ऐसे कार्य करने लगे जो आज़ादी के 45 सालों में नहीं हुए थे, भारत का बाज़ार दुनिया की कम्पनिओं के लिए खोल दिया जो इतनी बड़ी थीं कि भारत सरकार को भी खरीद लें और वही हुआ !!! जब भी कोई नया तंत्र लागु किया जाता है तो उसे समय दिया जाता है और उस से सम्बंधित जानकारी का संकलन किया जाता है पर ऐसा नहीं हुआ और बाज़ार के द्वार बाहर वालों के लिए खुलते ही लूट मच गयी, कई नकली कंपनियां बनी और यहाँ से लूट कर गायब हो गयीं ,शेयर बाज़ार पहले बढता रहा और फिर अचानक गिरता चला गया !!!
लोगो की सालों तक खून-पसीने बहा कर कमा कर जमा करी पूंजी चोरी हो गयी !!! मनमोहन सिंह ने इस्तीफा देने का ड्रामा किया और PV नरसिम्हा राव ने नामंजूर कर दिया !!! वो उस समय की दुनिया की सबसे बड़ी लूट थी !!! पर आज जब मनमोहन जी प्रधान मंत्री बन गए तो भारत की लूट के नए रिकॉर्ड बनाये जा रहे हैं और वोह हमेशा की तरह दूर से देख कर मुस्कुराते रहते है और कह देते हैं मुझे इस की जानकारी नहीं थी !!! जबकि उनके मंत्री कोर्ट में गवाही और सबूत दे रहे हैं की उनको घोटालों की जानकारी थी !!!
कांग्रेस की भ्रष्ट सेना हमेशा ऐसे लोग चाहती थी जिनके नीचे वो खूब भ्रष्टाचार कर धन बना सकें परन्तु मौका तब मिला जब सोनिया गाँधी अध्यक्ष बनी, क्योकि विदेशी होने के कारण उनको भारत भूमि से लगाव नहीं था और अपने रिश्तेदार के सिवा भारतियों से भी कोई लगाव नहीं था !!! इस में सोनिया मिअनो का दोष नहीं क्योकि अगर मैं भी अब १०-२० साल चीन या इटली में रहूँ तो भी मेरा दिल भारत के लिए धड्केगा इटली के लिए नहीं !!! तोह भ्रष्ट सेना जिसमे राजा-नवाब के खानदान, और चोर डाकू लूटेरे जो सत्ता को फिर से पाने के लिए कांग्रेस में शामिल हुए थे, उनको एक औसत दर्जे की अध्यक्ष मिल गयी फिर वैसे ही चोर सहयोगी ढूँढ निकाले गए !!! फिर उन्होंने सोनिया गाँधी को प्रधान मंत्री बनाना चाहा जो संभव नहीं हो सका क्योंकि सोनिया गाँधी ने आज तक आपनी इटली की नागरिकता नहीं छोड़ी और भारतीय नहीं बनी इसलिए कानून के हिसाब से वो प्रधान मंत्री नहीं बन सकती थीं, इसलिए एक कठपुती को प्रधान मंत्री बनाना था !! सो महामौनी मनमोहन सिंह से अच्छा कोई न हो सकता था जिसका पहले भी दूसरों के इशारे पर नाचने का रिकॉर्ड रहा था...
परन्तु 2002 में एक मुसलमान वैज्ञानिक APJ अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद पर चुने जाना उनके गले की हड्डी बन गया जो उन्होंने सोचा भी नहीं था !!! उन्होंने मुसलमानों को अब तक वोट बैंक या धरम के नाम पर भड़कने वाली जमात के रूप में ही देखा था पर ये व्यक्ति भारत के अच्छे कॉलेजों में पढ़ा था और उच्च गरिमा और अनुशाशन वाले सरकारी संस्थानों में नाम रोशन करता रहा था जिनसे देश भक्ति की धारा बहती है !!! महामहीम राष्ट्रपति ने देश के सर्वोच्य पद की गरिमा को बनाये रखा और ये जानते हुए भी की 2002 में राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के वोट भी उनको ही मिले थे, कांग्रेस की चमचागिरी नहीं की !! कांग्रेस के सभी गलत और जनता विरोधी फैसलों पर उन्होंने कांग्रेस को मना किया और जितना उनके अधिकार में था वोह किया !! कई फाइल उन्होंने 2 बार हस्ताक्षर किये बिना लौटाई जिससे कांग्रेस की पोल खुली और कांग्रेस की छवि ख़राब हुई !!! कांग्रेस लोगो के मन से उतर चुकी थी और लोग उससे समर्थन नहीं देते थे !!! इसलिए 2007 में दूसरी पार्टिओं के पहले से समर्थन होने पर भी कांग्रेस ने अब्दुल कलम या भैरवों सिंह शेखावत जैसे गरिमा वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति नहीं बनने दिया और अपनी करीबी और पिछलग्गू प्रतिभा पाटिल को दूसरी कटपुतली बनाया !!!
अब सत्ता की सारी शक्ति का केन्द्रीयकरण हो चूका था, फिर भी न्यायपालिका से चुनौती मिल सकती थी जिस प्रकार 1977 में इंदिरा गाँधी को मिली थी जब उन्होने मनमानी चलाने की कोशिश की थी !! सो एक और कठपुतली को उच्च न्यायाधीश बना कर सर्वोच्च न्यायलय में बैठा दिया !!! उनका नाम लेकर मैं सर्वोच्च न्यायलय की गरिमा कम नहीं करूँगा !! बाबुशाही तो सरकार के हिसाब से ही चलती है चाहे क्लेर्क हो या कलेक्टर !!!
इसके बाद जो हुआ वो कभी नहीं हुआ !!! भ्रष्ट लोग सारे नियम कानून अपनी जेब में लेकर घुमने लगे और CBI का दुरूपयोग विपक्ष को डराने-धमकाने के लिए इस्तेमाल होने लगा, मीडिया में विदेशी पैसा लगा और बरखा दत्त जैसे मशहूर पत्रकारों ने सत्ता की दलाली की और कांग्रेस ने २००९ के इलेक्शन में समर्थन ख़रीदा !!! फिर भी मीडिया पर सरकार ने ऐसी पकड़ बनाई की मीडिया सरकार की भाषा बोलने लगा और प्रजातंत्र का चौथा स्तम्भ भी गिर गया !! लोगो का मीडिया से विश्वास उठ गया !!! सत्ता का दुरूपयोग इतना बढ़ गया की कांग्रेस अध्यक्ष के दामाद को उच्च पद पर कार्य करने वालो जैसी सुविधा दी जाती है, बिना तलाशी के और कोई टोल टैक्स दिये बिना कहीं भी जा सकते हैं !!!
2009 के चुनाव में वो हुआ जो भारत के नागरिकों ने सोचा भी नहीं था, कांग्रेस फिर चुनाव जीत गयी !!! कई लोगो को सड़क पर बात करते सुना जा सकता था जो कह रहे होते थे की हमने तो कांग्रेस को वोट नहीं दिया फिर भी कांग्रेस जीत गयी !!! कांग्रेस पहले से कई ज्यादा वोटों से जीती थी और ४४ सीटें ज्यादा !!! पर बाद में पता चला की ये EVM मशीन का कमाल था जिसमे गड़बड़ी करवा कर कांग्रेस ने इलेक्शन में भरी जीत दर्ज की जिसके शिकायत कई पोलिटिकल पार्टियों ने की पर कोई सुनवाई नहीं हुई, इलेक्शन कमीशन भी सरकार के दवाब में हो गया !! यह प्रजातंत्र भारत में बहुत बुरा समय आया था इस में कोई शक नहीं !!
पर भारत जाग रहा है इसलिए भ्रष्टों में थोडा संकोच है ! प्रजा आज बहुत शक्तिशाली है पर संगठित और सुशिक्षित नहीं !! भलाई की आड़ में ही बुराई जीवित रह सकती है सो सरकार जनहित में कई सरकारी परियोजनाएं चलती है और फिर उनमे घोटाले कर अपनी जेब भर लेती है !! भ्रष्टाचार को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाये गए और सत्ता को छोटे स्तर यानि पंचायत तक इस प्रकार तंत्रबद्ध किया गया की पैसे वाले और कला धन कमाने की चाहत रखने वाले राजनीती में उतारते हैं !!
अच्छाई की आड़ में ही बुराई पनपती है वर्ना नहीं, मनमोहन सिंह की अर्थशात्री की छवि की आड़ में कांग्रेस सरे गलत काम कर रही है !! और मनमोहन सिंह यह भली भांति जानते हैं पर करते कुछ नहीं ! गलत काम के सामने मौन रहना उससे सहमति देने का एक तरीका होता है, मनमोहन सिंह भी उतने ही दोषी हैं जितने ऐ.राजा और कलमाड़ी !! उस पर मनमोहन सिंह कहते हैं "रोमन राजा सीसर की पत्नी पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए", उन्होंने अपनी तुलना सीसर की रानी से कर डाली,ये उनकी मानसिकता बताती है !
यही बयान उन्होंने नरसिम्हा राव सरकार में घोटाला होने के बाद 1996 में दिया था !!
सीसर की तीन रानियाँ थी जिसमें से दूसरी रानी पोम्पी ने "बोना डेया" नाम की देवी का उत्सव मनाया बंझता के निवारण के लिए, जिस में मर्दों का जाना मना था और वो सब होता था जो तांत्रिक कहते थे, कहने का अर्थ यह की अगर कुछ गलत हुआ तो उसमे उनकी गलती नहीं थी !!
सीधी सी बात है, न मनमोहन सिंह के हाथ में कुछ है न वो मर्द हैं !! उनका इस्तेमाल कांग्रेस ने कुछ इस तरह किया की वो अपराध जिनसे कांग्रेस कभी अपना दामन मैला होने से नहीं बचा सकती थी, पर पर्दा पड़ गया !! एक-एक कर सरे घोर आपराध ( सिखों का कतल-ए-आम, भोपाल के दोषिओं को बचाना, बोफोर्स घोटाले के अपराधियों को बचाना ) को मिटटी डाल के दबा दिया गया है ! और वोट की राजनीती को और हवा दी जा रही है, मुसलमानों को खुश करने के लिए उन्होंने National Development Council की बैठक में सारे देश के मुख्यामंत्रियों के सामने यह कहा हमें मुस्लिमों के लिए विशेष परियोजनाए बनानी चाहिए और उनका भारत के संसाधनों पर पहला हक होना चाहिए ??? ये कांग्रेस का तुरुप का इक्का और कितने दिन काम आएगा ! भोपाल और दिल्ली (सिख) के वो लोग जो आज भी रोते हैं और मनमोहन सिंह को कभी माफ़ नहीं करेंगे !!
मनमोहन ऐसी पार्टी और सरकार से हैं जिसमे कई लोगो पर हवाला के जरिये विदेश में करोड़ों रूपया जमा करवाने का इलज़ाम है और कुछ जानकार लोगो का कहना है कि ये पैसा पाकिस्तान से हो कर गया है और इसकी जानकारी के बल पर ISI इनकी सरकार और नेताओं को ब्लैकमेल कर कोई कार्यवाही नहीं करने देता और ये लोग बॉर्डर पर एवम कश्मीर में सैनिकों को मरने के लिए भेजते रहते है !!
हम आशा कर सकते हैं की इस धर्मयुद्ध में जल्द ही अच्छाई की विजय होने लगेगी !!!
पहले तो ये जान लीजिये की मनमोहन सिंह का जन्म भी अडवाणीजी की तरह पाकिस्तान में हुआ था और इस लिए इनको भी पाकिस्तान से बहुत प्यार है और इस का नमूना आपने शायद पढ़ा हो की इन्होने पाकिस्तान में अपने गाँव को सरकारी खर्चे पर सुन्दर और खुशहाल बनवाया है !!
मनमोहन सिंह को भारत में सब लोग तब से जानते हैं जब से वो नरसिम्हा राव सरकार में वित्तमंत्री बने परन्तु कोई नहीं जनता की वो पहले क्या थे, और उनकी नियुक्ति कैसे हुई ?
सभी जानते हैं की मनमोहन जी अर्थशास्त्र के पंडित हैं, स्वतंत्रता के कुछ ही साल बाद यानि १९५२ और १९५४ में उन्होंने स्नातक और स्नातकोतर की डिग्रीयां हासिल कर ली थी और फिर पंजाब विश्वविद्यालय से ले कर ऑक्सफोर्ड तक उन्हों ने कई मक़ाम हासिल किये.
उनकी PhD का शीर्षक था "India’s export performance, 1951–1960, export prospects and policy implications" जो बाद में एक किताब में विकसित हो गया "India’s Export Trends and Prospects for Self-Sustained Growth". तब से लेकर आज तक देशी-विदेशी कई विश्वविद्यालय ने उनको doctorate की डिग्रीयां प्रदान की बिना किसी शर्त के.
PhD पूरी करने के बाद उन्होंने जहाँ काम किया वो संस्था थी United Nations Conference on Trade and Development (UNCTAD), १९६६–१९६९ जिसमें उन्होंने गरीब देशों के हित में कई शोध किए और ये सिद्ध किया कि कैसे गरीब देशों से पैसा अमीर देशों में जाता है और South Commision के Secretary General बन कर उन्होंने सिद्ध किया की Undeveloped कहलाने वाले देश Developed देशों को पाल रहे हैं. परन्तु इस अंतराल में वो ललित नारायण मिश्र के संपर्क में आकर जब वो Ministry of Foreign Trade में सलाहकार बन गए तो धीरे-धीरे उनके तेवर हे बदलते चले गए, और जो कामयाबी ३० साल में भी ना मिली थी वो मिलने लगी !!!
पहले १९८२ में Reserve Bank of India के गवर्नर फिर १९८५ में Planning Commission of India के डिप्टी चेयरमयेन और फिर South Sommision के Secretary General और फिर तो विदेश तक लोग जान गए थे की मनमोहन सिंह जी को !!!!!!
लोग कहते हैं की मई 1991 में फ्रांस के एक अखबार में खबर छापी थी की INDIA में आने वाले इलेक्शन में सरकार किसी भी पार्टी की बने पर वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ही होंगे !!!!! उस समय राजीव गाँधी जीवित थे और किसी को मालूम नहीं था आगले इलेक्शन में कौन जीतेगा !!
फिर राजीव गाँधी नहीं रहे और सहानुभूति की लहर पर सवार कांग्रेस सत्ता में आगई !!! प्रधानमंत्री P V नरसिम्हा राव बने पर वित्तमंत्री मनमोहन सिंह !!!! कैसे????
राजीव गाँधी जी ने सरकार इतनी अच्छी चलायी थी कि भारत वित्तीय संकट आ गया था, हमारे पास मुश्किल से कुछ हफ्ते आयत करवाने लायक पैसे बचे थे और सरकार ने IMF कर्जा माँगा तो World बैंक ने शर्त रख दी की वित्तमंत्री मनमोहन सिंह होंगे और सरकार ने बना दिया कठपुतली वितत्य मंत्री !!!!
जब कोई बैंक किसी कंपनी को लोन देता है तो उस में Nominee Director नियुक्त करता है जिस पर कंपनी के नियम पूरी तरह लागु नहीं होते और वो बैंक के धन और हितों की रक्षा के लिए कार्य करता है, और समझोते के हिसाब से उससे कोई भी पद मिल सकता है, चाहे वो चीफ़ फिनांस ऑफिसर-CFO क्यों न हो !!! सरकार में इस पद को फिनांस मिनिस्टर का पद कहते हैं जो मनमोहन सिंह को मिला ताकि वो वर्ल्ड बैंक के पैसे की रक्षा कर उससे लौटने की व्यवस्था कर सकने और इस के लिए उन्होंने उन् नीतियों को अपनाया जो विदेशी संस्थाएं चाहती थीं !!!
कुछ लोग Globalization को ही अर्थव्यवस्था का उध्हारक समझते हैं और चीन की Globalization से तुलना करते हैं पर ये सही नहीं है !! चीन अपने प्रोडक्ट्स ले कर हर देश में पंहुचा और हमने सभी देशों को प्रोडक्ट्स यहाँ बनाने और बेचने के लिए बुलाया जो बहुत नुक्सान दायक रहा!! पर इस पर चर्चा फिर किसी दिन करेंगे !!!
जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बने तो महंगाई ३ गुना बढ गयी और अब कितने गुना बढ रही है ये अभी भी देखना बाकि है !!
फिर कुछ ही दिनों में मनमोहन सिंह कुछ ऐसे कार्य करने लगे जो आज़ादी के 45 सालों में नहीं हुए थे, भारत का बाज़ार दुनिया की कम्पनिओं के लिए खोल दिया जो इतनी बड़ी थीं कि भारत सरकार को भी खरीद लें और वही हुआ !!! जब भी कोई नया तंत्र लागु किया जाता है तो उसे समय दिया जाता है और उस से सम्बंधित जानकारी का संकलन किया जाता है पर ऐसा नहीं हुआ और बाज़ार के द्वार बाहर वालों के लिए खुलते ही लूट मच गयी, कई नकली कंपनियां बनी और यहाँ से लूट कर गायब हो गयीं ,शेयर बाज़ार पहले बढता रहा और फिर अचानक गिरता चला गया !!!
लोगो की सालों तक खून-पसीने बहा कर कमा कर जमा करी पूंजी चोरी हो गयी !!! मनमोहन सिंह ने इस्तीफा देने का ड्रामा किया और PV नरसिम्हा राव ने नामंजूर कर दिया !!! वो उस समय की दुनिया की सबसे बड़ी लूट थी !!! पर आज जब मनमोहन जी प्रधान मंत्री बन गए तो भारत की लूट के नए रिकॉर्ड बनाये जा रहे हैं और वोह हमेशा की तरह दूर से देख कर मुस्कुराते रहते है और कह देते हैं मुझे इस की जानकारी नहीं थी !!! जबकि उनके मंत्री कोर्ट में गवाही और सबूत दे रहे हैं की उनको घोटालों की जानकारी थी !!!
कांग्रेस की भ्रष्ट सेना हमेशा ऐसे लोग चाहती थी जिनके नीचे वो खूब भ्रष्टाचार कर धन बना सकें परन्तु मौका तब मिला जब सोनिया गाँधी अध्यक्ष बनी, क्योकि विदेशी होने के कारण उनको भारत भूमि से लगाव नहीं था और अपने रिश्तेदार के सिवा भारतियों से भी कोई लगाव नहीं था !!! इस में सोनिया मिअनो का दोष नहीं क्योकि अगर मैं भी अब १०-२० साल चीन या इटली में रहूँ तो भी मेरा दिल भारत के लिए धड्केगा इटली के लिए नहीं !!! तोह भ्रष्ट सेना जिसमे राजा-नवाब के खानदान, और चोर डाकू लूटेरे जो सत्ता को फिर से पाने के लिए कांग्रेस में शामिल हुए थे, उनको एक औसत दर्जे की अध्यक्ष मिल गयी फिर वैसे ही चोर सहयोगी ढूँढ निकाले गए !!! फिर उन्होंने सोनिया गाँधी को प्रधान मंत्री बनाना चाहा जो संभव नहीं हो सका क्योंकि सोनिया गाँधी ने आज तक आपनी इटली की नागरिकता नहीं छोड़ी और भारतीय नहीं बनी इसलिए कानून के हिसाब से वो प्रधान मंत्री नहीं बन सकती थीं, इसलिए एक कठपुती को प्रधान मंत्री बनाना था !! सो महामौनी मनमोहन सिंह से अच्छा कोई न हो सकता था जिसका पहले भी दूसरों के इशारे पर नाचने का रिकॉर्ड रहा था...
परन्तु 2002 में एक मुसलमान वैज्ञानिक APJ अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद पर चुने जाना उनके गले की हड्डी बन गया जो उन्होंने सोचा भी नहीं था !!! उन्होंने मुसलमानों को अब तक वोट बैंक या धरम के नाम पर भड़कने वाली जमात के रूप में ही देखा था पर ये व्यक्ति भारत के अच्छे कॉलेजों में पढ़ा था और उच्च गरिमा और अनुशाशन वाले सरकारी संस्थानों में नाम रोशन करता रहा था जिनसे देश भक्ति की धारा बहती है !!! महामहीम राष्ट्रपति ने देश के सर्वोच्य पद की गरिमा को बनाये रखा और ये जानते हुए भी की 2002 में राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के वोट भी उनको ही मिले थे, कांग्रेस की चमचागिरी नहीं की !! कांग्रेस के सभी गलत और जनता विरोधी फैसलों पर उन्होंने कांग्रेस को मना किया और जितना उनके अधिकार में था वोह किया !! कई फाइल उन्होंने 2 बार हस्ताक्षर किये बिना लौटाई जिससे कांग्रेस की पोल खुली और कांग्रेस की छवि ख़राब हुई !!! कांग्रेस लोगो के मन से उतर चुकी थी और लोग उससे समर्थन नहीं देते थे !!! इसलिए 2007 में दूसरी पार्टिओं के पहले से समर्थन होने पर भी कांग्रेस ने अब्दुल कलम या भैरवों सिंह शेखावत जैसे गरिमा वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति नहीं बनने दिया और अपनी करीबी और पिछलग्गू प्रतिभा पाटिल को दूसरी कटपुतली बनाया !!!
अब सत्ता की सारी शक्ति का केन्द्रीयकरण हो चूका था, फिर भी न्यायपालिका से चुनौती मिल सकती थी जिस प्रकार 1977 में इंदिरा गाँधी को मिली थी जब उन्होने मनमानी चलाने की कोशिश की थी !! सो एक और कठपुतली को उच्च न्यायाधीश बना कर सर्वोच्च न्यायलय में बैठा दिया !!! उनका नाम लेकर मैं सर्वोच्च न्यायलय की गरिमा कम नहीं करूँगा !! बाबुशाही तो सरकार के हिसाब से ही चलती है चाहे क्लेर्क हो या कलेक्टर !!!
इसके बाद जो हुआ वो कभी नहीं हुआ !!! भ्रष्ट लोग सारे नियम कानून अपनी जेब में लेकर घुमने लगे और CBI का दुरूपयोग विपक्ष को डराने-धमकाने के लिए इस्तेमाल होने लगा, मीडिया में विदेशी पैसा लगा और बरखा दत्त जैसे मशहूर पत्रकारों ने सत्ता की दलाली की और कांग्रेस ने २००९ के इलेक्शन में समर्थन ख़रीदा !!! फिर भी मीडिया पर सरकार ने ऐसी पकड़ बनाई की मीडिया सरकार की भाषा बोलने लगा और प्रजातंत्र का चौथा स्तम्भ भी गिर गया !! लोगो का मीडिया से विश्वास उठ गया !!! सत्ता का दुरूपयोग इतना बढ़ गया की कांग्रेस अध्यक्ष के दामाद को उच्च पद पर कार्य करने वालो जैसी सुविधा दी जाती है, बिना तलाशी के और कोई टोल टैक्स दिये बिना कहीं भी जा सकते हैं !!!
2009 के चुनाव में वो हुआ जो भारत के नागरिकों ने सोचा भी नहीं था, कांग्रेस फिर चुनाव जीत गयी !!! कई लोगो को सड़क पर बात करते सुना जा सकता था जो कह रहे होते थे की हमने तो कांग्रेस को वोट नहीं दिया फिर भी कांग्रेस जीत गयी !!! कांग्रेस पहले से कई ज्यादा वोटों से जीती थी और ४४ सीटें ज्यादा !!! पर बाद में पता चला की ये EVM मशीन का कमाल था जिसमे गड़बड़ी करवा कर कांग्रेस ने इलेक्शन में भरी जीत दर्ज की जिसके शिकायत कई पोलिटिकल पार्टियों ने की पर कोई सुनवाई नहीं हुई, इलेक्शन कमीशन भी सरकार के दवाब में हो गया !! यह प्रजातंत्र भारत में बहुत बुरा समय आया था इस में कोई शक नहीं !!
पर भारत जाग रहा है इसलिए भ्रष्टों में थोडा संकोच है ! प्रजा आज बहुत शक्तिशाली है पर संगठित और सुशिक्षित नहीं !! भलाई की आड़ में ही बुराई जीवित रह सकती है सो सरकार जनहित में कई सरकारी परियोजनाएं चलती है और फिर उनमे घोटाले कर अपनी जेब भर लेती है !! भ्रष्टाचार को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाये गए और सत्ता को छोटे स्तर यानि पंचायत तक इस प्रकार तंत्रबद्ध किया गया की पैसे वाले और कला धन कमाने की चाहत रखने वाले राजनीती में उतारते हैं !!
अच्छाई की आड़ में ही बुराई पनपती है वर्ना नहीं, मनमोहन सिंह की अर्थशात्री की छवि की आड़ में कांग्रेस सरे गलत काम कर रही है !! और मनमोहन सिंह यह भली भांति जानते हैं पर करते कुछ नहीं ! गलत काम के सामने मौन रहना उससे सहमति देने का एक तरीका होता है, मनमोहन सिंह भी उतने ही दोषी हैं जितने ऐ.राजा और कलमाड़ी !! उस पर मनमोहन सिंह कहते हैं "रोमन राजा सीसर की पत्नी पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए", उन्होंने अपनी तुलना सीसर की रानी से कर डाली,ये उनकी मानसिकता बताती है !
यही बयान उन्होंने नरसिम्हा राव सरकार में घोटाला होने के बाद 1996 में दिया था !!
सीसर की तीन रानियाँ थी जिसमें से दूसरी रानी पोम्पी ने "बोना डेया" नाम की देवी का उत्सव मनाया बंझता के निवारण के लिए, जिस में मर्दों का जाना मना था और वो सब होता था जो तांत्रिक कहते थे, कहने का अर्थ यह की अगर कुछ गलत हुआ तो उसमे उनकी गलती नहीं थी !!
सीधी सी बात है, न मनमोहन सिंह के हाथ में कुछ है न वो मर्द हैं !! उनका इस्तेमाल कांग्रेस ने कुछ इस तरह किया की वो अपराध जिनसे कांग्रेस कभी अपना दामन मैला होने से नहीं बचा सकती थी, पर पर्दा पड़ गया !! एक-एक कर सरे घोर आपराध ( सिखों का कतल-ए-आम, भोपाल के दोषिओं को बचाना, बोफोर्स घोटाले के अपराधियों को बचाना ) को मिटटी डाल के दबा दिया गया है ! और वोट की राजनीती को और हवा दी जा रही है, मुसलमानों को खुश करने के लिए उन्होंने National Development Council की बैठक में सारे देश के मुख्यामंत्रियों के सामने यह कहा हमें मुस्लिमों के लिए विशेष परियोजनाए बनानी चाहिए और उनका भारत के संसाधनों पर पहला हक होना चाहिए ??? ये कांग्रेस का तुरुप का इक्का और कितने दिन काम आएगा ! भोपाल और दिल्ली (सिख) के वो लोग जो आज भी रोते हैं और मनमोहन सिंह को कभी माफ़ नहीं करेंगे !!
मनमोहन ऐसी पार्टी और सरकार से हैं जिसमे कई लोगो पर हवाला के जरिये विदेश में करोड़ों रूपया जमा करवाने का इलज़ाम है और कुछ जानकार लोगो का कहना है कि ये पैसा पाकिस्तान से हो कर गया है और इसकी जानकारी के बल पर ISI इनकी सरकार और नेताओं को ब्लैकमेल कर कोई कार्यवाही नहीं करने देता और ये लोग बॉर्डर पर एवम कश्मीर में सैनिकों को मरने के लिए भेजते रहते है !!
हम आशा कर सकते हैं की इस धर्मयुद्ध में जल्द ही अच्छाई की विजय होने लगेगी !!!
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