Tuesday 26 November 2013

हम चाहें कैसे भी हों, इस देश पर शासन करने का अधिकार हमारा ही है

भाईयों और बहनों ! हमारी पार्टी गरीबो, पिछड़ो, दलितों और मुसिलमों की पार्टी है। हम इन दबे हुए समाज की सेवा में लगे हुए हैं। हमने यह भरसक प्रयास किया है कि इनकी जैसी सिथति है वैसी ही बनी रहें, ताकि इन बेबस लोगों के वोट हमें हमेशा मिलते रहें। साठ वर्षों तक हमने इनके वोटों के सहारे ही भारत पर शासन किया है। माया मुलायम, लालू, नीतीश जैसे नये उभरे नेता हमारी राह में अवरोध बने हैं, परन्तु सत्ता सुख भोगने में ये हमारे सहायक बन जाते हैं, अत: इनसे हमारा कोई विशेष विरोध नहीं हैं। क्योंकि हम धर्मनिरपेक्षता की डोर से बंध कर सारा विरोध भूल जाते हैं। जहां ये नहीं हैं, वहां हम ही हम है। साम्प्रदायिक ताकतों से हम सभी साझा विरोध रखते हैं। ये ही हमारे विपक्षी हैं। इन्हें हम कभी शासन करने का अधिकार लेने नहीं देंगे।
हमारे भ्रष्ट कुशासन की वजह से गरीब इतने गरीब बनते गये कि वे कभी अपनी गरीबी से छुटकारा पाने की सोच ही नहीं सकते। पिछले दस सालों के हमारे शासन में महंगाई ने अपना रौद्र रुप दिखाया, जिससे गरीबों की संख्या में काफी वृद्धि हो गयी है। हम चाहते भी यही थे, क्योंकि ज्यादा से ज्यादा गरीबों के आंसू पौंछ कर उन्हें दिलासा दे, उनके वोट प्राप्त करना चाहते हैं।
यह हमारे कुशासन और दोषपूर्ण नीतियों का ही कमाल हैं कि आज़ादी के छियांसठ वर्ष बाद भी भारत की अधिकांश आबादी -दलित, आदिवासी और पिछड़ी कही जाती है। हम कभी इस समाज के नाम के आगे से विशेषण हटाना ही नहीं चाहते, क्योंकि ऐसा होने पर यह समाज हमारी बातों में नहीं आयेंगा। अधिकांश आबादी यदि शिक्षित हो गयी, तो हमे कौन पूछेगा ? इसलिए देश के 90 प्रतिशत आदिवासी आज भी झोंपड़ो में ही रहते हैं। इनके पास पक्के मकान नहीं है। दलितों और पिछड़ो के भी यही हाल है। इनके बच्चे स्कूलों में नहीं जाते। यदि मुशिकल से जाते भी हैं, तो प्राथमिक शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाते। हम मानते हैं कि इनकी ऐसी हालत के जिम्मेदार हम ही है। परन्तु इनकी सिथति बेहतर बना कर हम अपना शासन खोने की जोखिम नहीं लेना चाहते। अत: इनकी यथा सिथति बनाये रखने के ही पक्षधर हैं।
मुसिलम समुदाय को हम गरीब, पिछड़ा और अपनी मान्यताओं से झकड़ा हुआ ही देखना चाहते हैं। हम छियांसठ वर्षों से इनके रहनुमा बने हुए हैं। परन्तु शिक्षा और रोजगार पाने में इस पूरे समुदाय को फिसडडी ही बना रखा है। हमारे द्वारा बनाये गये सच्चर आयोग ने इस समुदाय की सिथति दलितों से भी बदतर बतायी थी। यह समुदाय जब तक दबा हुआ रहेगा, हमारा थोक वोटर बना रहेगा। इनके थोक वोटो के सहारे ही तो हम साम्प्रदायिक शकितयों से बाजी जीत जाते हैं।
विपक्ष सत्ता का भूखा है। हम सत्ता के प्यासे हैं। सत्ता के बिना हमारी सिथति उस मछली की तरह हो जाती है, जो पानी से बाहर निकाले जाने के बाद तड़फती है। हम सत्ता के बिना रह नहीं सकते। इसीलिए जनता से वोट मांगते है। वोट पाने का हमारा अधिकार हैं, क्योंकि हमने देश को आज़ादी दिलायी। परन्तु देश की बरबादी की त्रासदी दी, परन्तु हम विपक्ष को सत्ता में नहीं आने देंगे। यह देश हमारा है। हम ही इस पर राज करेंगे। विपक्ष को हम यह अधिकार कभी नहीं लेने देंगे।
विपक्ष वोटों के लिए भाई से भाई को लड़ाता है। समाज में जहर घोलता है। किन्तु हम लड़ाते नहीं, बांटते हैं, जहर घोलते नहीं, पिलाते हैं। हमारे नेताओं की सहमति से हिन्दुस्तान को ही बांट कर पाकिस्तान बनाया गया। हमारे नेता यदि राज सुख भोगने की जल्दबाजी नहीं करते, तो हिन्दुस्तान पाकिस्तान नहीं बनता। पाकिस्तान बना कर आवाम को ऐसा जहर पिलाया, जिसका असर आजादी के बाद की चार पीढियों भोग रही है। हमारी यह विशेषता है कि हम हर बिमारी को स्थायी बनाते हैं, ताकि हम इसी बहाने राजसुख भोगते रहें।
समाज को बांटने में कोई हमारा मुकाबला नहीं कर सकता। हमने धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर समाज को बांटा। हमने वोट पाने के लिए भारतीय नागरिक के आगे कभी भारतीय पहचान को महत्व नहीं दिया, वरन उसे सदैव हिन्दु-मुसलमान, स्वर्ण-दलित, अगड़ा-पिछड़ा कह कर संबोधित किया।
राजनीति में विचार, आदर्श, सिद्धान्त आदि बेमतलब के शब्दों से हमे परहेज है। झूठ, फरेब, छल, कपट और साम, दाम, दंड, भेद याने सारे उचित और अनुचित तरीके अपना कर किसी भी तरह सत्ता पर कब्जा करों, यही हमारी विचारधारा रही है। हमारी पार्टी और नेता इस विधा में प्रवीण है। अब सिद्धान्तवादी, आदर्शवादी और गांधीवादी नेताओं का हमारी पार्टी में कोई स्थान नहीं है। जो ज्यादा झूठ बोल सकता है। बात का बतंगड़ बना सकता है। धन का जुगाड़ कर सकता है। हमारे नेता के पीछे ढाल कर बन कर खड़ा रहता है। उन पर किये गये प्रहारों का कड़ जवाब देने की क्षमता रखता है, वही नेता कसौटी पर ज्यादा खरा उतरता है।
हम देश की न तो चिंता करते हैं और न ही चिंतन करते हैं। हमारे अपने कोई विचार ही नहीं है। क्योंकि आज की राजनीतिक परिसिथतियों में इसकी आवश्यकता भी नहीं है। भाषण लिखने वाले भाषण लिख देते हैं और हम पढ़ लेते हैं। कभी हमारा चेहरा सपाट रहता था, शब्दों के जबान से निकलने पर चेहरे पर भाव नहीं उभरते थे, परन्तु आजकल विपक्ष का नाम ले कर क्रोध और तिरस्कार का भाव चेहरे पर अवश्य उभरता है। हमारे मन में यह भाव है कि भारत की जनता मूर्ख और भोली है, उन्हें जो कुछ, जिस तरह कहा जायेगा, मान लेगी।
हमने देश का विकास किया है। विकास कर रहे हैं। विपक्ष देश का विकास नहीं चाहता। विकास की राह में रोड़े अटकाता है। हमारी विकास की नीतियों का ही परिणाम है कि भारत, संसार का निर्धनतम देश माना जाता है। दुनियां में सर्वाधिक गरीब भारत में रहते हैं। हमने भ्रष्ट आचरण को आत्मसात किया। भ्रष्टाचार को पल्लवित व पोषित किया, जिससे वह आज दुनिया का भष्टतम राष्ट्र कहलाता है। ऐसी मान्यता मिलने पर हमे कभी शर्म महसूस नहीं होती, वरन गर्व होता है।
यह हमारी ढुलमुल गृहनीति का ही परिणाम हैं कि भारत आतंकवादियों का अभयारण्य बना हुआ है। भारत में दहशदगर्दियों को जब चाहे बम विस्फोट करने की छूट हैं। दुनियां में सर्वाधिक निर्दोष और बेकसूर नागरिक भारत में ही मारे गये हैं। जब तक हम सत्ता में रहेंगे यह सिलसिला रुकेगा नहीं।
अंत में हमारी भारतीय नागरिकों से यही गुजारिश है कि चाहे हमने देश को गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी, दहशदगर्दी और भ्रष्ट कुशासन दिया हों। इस देश को बरबाद और तबाह करने की कोई कसर बाकी नहीं रखी हों। किन्तु फिर भी आप हमे ही वोट देतें रहें, क्योंकि सत्ता पाने का अधिकार हमे ही है, हम यह अधिकार विपक्ष को नहीं लेने देंगे। चाहें हम कैसे भी हो, इस देष पर षासन हम ही करेंगे।

No comments:

Post a Comment