Saturday, 2 November 2013

तिकड़म और आंकड़ो के बाजीगर – कपिल सिब्बल

कांग्रेस ने राजनीतिक मंच पर अब अपने सशक्त अभिनेता को उतारा है। मध्यप्रदेश के निर्वासित भूतपूर्व मुख्यमंत्री और तिवारी की टीम अप्रत्याशित आक्रमण का जवाब दे दे कर थक गयी है, इसलिए उनका हौंसला बढ़ाने के लिए इन्हें आना पड़ा है। देश की जनता इनके अभिनय से अच्छी तरह परिचित है। जब भी पार्टी पर संकट के बादल गहरा जाते हैं, इन्हें भेजा जाता है। अन्ना हज़ारे और बाबा रामदेव प्रकरण के दौरान इनके द्वारा अभिनित प्रभावशाली भूमिका के बारें में पूरा देश जानता है।
अन्ना आंदोलन को उफान तक ले जाने में सिब्बल के योगदान को सदा याद किया जायेगा। लोकपाल का ड्राफ्ट बदलने में इन्होंने जो तिकड़म और कलाबाजी दिखार्इ थी, वह प्रशंसनीय कही जा सकती है। अन्ना आंदोलन की देन – अरिवन्द केजरीवाल अब दिल्ली में कांग्रेस की लूटिया डूबोने के लिए तैयार बैठे हैं। यदि सिब्बल अपनी कलाबाजी से बाज आते, तो अन्ना नाराज नहीं होते। अन्ना का लोकपाल बिल पास हो जाता, तो केजरीवाल नामक नये राजनेता का जन्म नहीं होता और सिब्बल साहब को अब चांदनी चोक सीट को पुन: जीतने के लाले नहीं पड़ते।  अन्ना के लोकपाल में ऐसा कुछ नहीं था, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता था। पर कपिल साहब की मेहरबानी से लोकपाल बिल का जो हश्र हुआ, वह देश की जनता कभी भूल नहीं पायेगी।
बाबा राम देव प्रकरण में एक पत्र की हेरा-भेरी सिब्बल के दिमाग की ही उपज थी। सम्भवत: उसी हेराफेरी से बाबा भड़के थे। प्रवण मुखर्जी ने बाबा को समझाने के जो प्रयास किये थे, उस पर सिब्बल ने पानी फेर दिया। रात के अंधेरे में सोये हुए स्त्री पुरुषों पर लाठी प्रहार भारत के लोकतांत्रिक इतिहास की सबसे बर्बर घटनाओं में से एक है। इस दुखान्तिका का दोषी चिदम्बरम को माना गया था, पर इस सारे घटनाक्रम को अतिरंजित बनाने में सिब्बल साहब की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। बाबा राम देव ताल ठोक कर अब कांग्रेस को हराने के लिए पूरे देश में घूम रहे हैं। उनके मध्यप्रदेश दौरे से कांग्रेस बौखला गयी है। यदि हिन्दी प्रदेशों के एक प्रतिशत वोट भी बाब राम देव के कारण कटते हैं, तो यह सिब्बल का अपनी पार्टी पर किया गया बहुत बड़ा उपकार होगा।
मोदी के आक्रामक तेवर और उनकी रैलियों में उमड़ रही भीड़ को देख कर कांगे्रस कंपाकप गयी है। प्रवक्ताओं की टीम स्थिति को सम्भाल नहीं पा रही है, इसलिए सिब्बल को मंच पर उतारा गया है। टीवी चेनलों प्रकट हुए और आते ही इन्होंने मोदी को खुली बहस की चुनौती दे दी। सिब्बल देश को ही अदालत समझ रहें हैं, जहां अपने तर्कों और बहस से प्रतिद्वंद्वी को निरुतर किया जा सकता है। कपिल साहब यह देश अदालत नहीं है, एक खुली किताब हैं, जिसमें लिखी हुर्इ इबारत पढ़ने में देश का नागरिक सक्षम हैं। जनता सब जानती है, उसे समझाने के लिए आपके थोथे और झूठे तर्कों की आवश्यकता नहीं है।
मोदी विपक्ष के नेता हैं और उन्हें सत्तापक्ष की आलोचना का लोकतांत्रिक अधिकार है। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष को विपक्ष की आलोचना धैर्य और संयम से सुनने की आदत डालनी चाहिये। भारतीय लोकतंत्र को राजतंत्र में तब्दील करने की कोशिश अब कभी सफल नहीं होगी, इस को सच्चार्इ भी को स्वीकार कर लेना चाहिये।
मोदी के पहले देश की जनता आपको बहस की खुली चुनौती देती है। आप किसी भी टीवी चेनल पर आ जायें और देश भर से जनता जो सवाल पूछें, उसका जवाब दें। मोदी निरन्तर सरकार की प्रशासनिक अक्षमता, आर्थिक दुर्दशा, महंगार्इ और भ्रष्टाचार पर बोलते रहे हैं। उनके द्वारा दिये जा रहे आंकड़े और तर्क अतिश्योक्तिपूर्ण हो सकते हैं, किन्तु उनकी सारी बातें झूठ हैं, इसे आप सिद्ध नहीं कर सकते। अत: आपसे अपेक्षा की जाती है कि मोदी को खुली बहस के पहले जनता के निम्न सवालों के जवाब दें:-
एक: मोदी द्वारा महंगार्इ के बारे में जो आंकड़े दिये जा रहे हैं, उसमें क्या गलत है ? दस वर्ष पूर्व जो वस्तु एक रुपये में आती थी, वह अब छ: या सात रुपये में आती है। आप तर्कों द्वारा यह कह सकते हैं कि वह पांच रुपये में आती है। अब बतार्इये कि दस वर्षों में भारत की जनता की आय क्या पांच गुणा बढ़ी ? यदि नहीं बढ़ी, तो क्या महंगार्इ को सहने की क्षमता उसके पास है ? क्या महंगार्इ की विकरालता के बारें में आप कोर्इ तर्क दे सकते हैं ? आप बता सकते हैं कि महंगार्इ इतनी क्यों बढ़ी ?
दो:  देश की अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी से उतरी हुर्इ है, यह बात देश के आर्थिक विशेषज्ञ, चिंतक, विश्लेषक और रिजर्व बैंक के गर्वनर मान रहे हैं। आप बता सकते हैं कि देश की आर्थिक दुर्दशा के क्या कारण है ? क्या राजकोषीय घाटा इसका मूल कारण नहीं है ? राजकोषीय घाटा इसलिए बढ़ता गया, क्योंकि सरकार की आय, खर्च के अनुपात में कम है। क्या यह कमी भ्रष्टाचार के कारण नहीं आयी है ? यदि ऐसा है तो क्या मोदी को सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना का अधिकार नहीं है ?
तीन: स्पेक्ट्रम आंवटन के संबंध में पूरे देश को आपने झूठे आंकड़ो के द्वारा समझाया कि इसके आवंटन में जीरो प्रतिशत राजस्व की हानि हुर्इ है। क्या अब भी आप अपने तर्कों पर अडिग हैं ? यदि नहीं है, तो बतार्इये आपने देश को झूठी सूचना क्यों दी ? अदालतों ने स्पेक्ट्रम आंवटन के संबंध में जो सवाल उठाये हैं, क्या वे गलत है ? क्या ए राजा को दोषी माना है, वह भी गलत है ? यदि सब कुछ गलत नहीं है, तो आपको झूठे तर्कों के लिए देश से माफी मांगनी चाहिये, क्योंकि आपने जो कुछ सूचना दी थी, वह भारत सरकार के संचार मंत्री की हैसियत से दी थी।
चार: कोल ब्लाक आंवटन के संबंध में भी आपने चिदम्बर के साथ प्रेस कान्फे्रस कर देश को अपने तर्कों और आंकड़ो से समझाने की कोशिश की थी कि कोल ब्लाक आंवटन प्रक्रिया पूर्णतया पारदर्शी थी, इसमें कोर्इ घोटाला नहीं हुआ। परन्तु सीबीआर्इ अदालत में आपकी दलीलों और तर्कों को साबित नहीं कर पा रही है। न्यायालय की उसे बार-बार फटकार सुननी पड़ रही है। मुख्य अभियुक्तों को बचाने की कोशिश में सीबीआर्इ जानबूझ कर मामले को मोड़ देने के लिए हवा में तीर चलाती है। हिंडाल्को प्रकरण उसका मुख्य उदाहरण बन गया है। क्या वकिल और विधिमंत्री  होने के कारण आप सीबीआर्इ को ऐसा यू-टर्न लेने की सलाह देते हैं, ताकि मामले को लम्बा खींचा जा सके और सच्चार्इ कभी सामने नहीं आये ?
कोयला आंवटन के संबंध में महत्वपूर्ण फायले गायब हो गयी। अब इनमें से कुछ कूड़ेदान में जली हुर्इ अवस्था मिली है। मोदी ही नहीं पूरा देश जानना चाहता है कि फार्इले गायब हुर्इ, तो दोषियों के विरुद्ध अब तक एफआर्इआर क्यों नहीं दर्ज हुर्इ है ? आप वकिल भी है और विधि मंत्री भी है, इस संबंध में आप क्या कोर्इ कानूनी राय दे सकते हैं ?
कपिल साहब ! मोदी विधिशास्त्र और अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ नहीं है। वे जो कुछ बोलते हैं अपने व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव से ही बोलते हैं। अत: उनकी सारी बातों को अतिश्योक्तिपूर्ण मान कर तर्क-विर्तक किया जा सकता है, किन्तु उसे पूर्णतया झूठ नही माना जा सकता। उनकी बातों में दम है, इसलिए जनता सुनती है और उन्हें अपना नेता स्वीकार कर रही है। यह हकीकत है, इसे स्वीकार कर लीजिये।

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