Sunday 13 October 2013

राहुल जी ! क्या आप भारत की जनता को मूर्ख और अज्ञानी समझते हैं ?

देश की जनता ने आपकी पार्टी को शासन करने के लिए दस वर्ष दिये। नो वर्ष कुशासन में गवां दिये। इस अवधि में सरकार  ने लूट, महंगाई और आर्थिक बरबादी के तोहफे बांटे। अब दसवें वर्ष में आप जनता को आदर्शवाद की घुटकी पिला रहे हैं।  यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि आप शासक पार्टी से जुड़े हुए नहीं है। आखिर देश की जनता को आप समझाना क्या चाहते हैं ? दबे हुए समाज के लिए मिलु-जुल कर काम करने की नसीहत देने का औचित्य क्या है ?  आर्थिक दृष्टि से पिछड़े समाज के लिए आपकी पार्टी यदि आगे बढ़ती, तब उसे कौन रोक रहा था? किस ने जनता की भलाई के लिए सरकार का साथ देने के लिए मना किया था ? मात्र शब्द आडम्बर से जनता को लुभाने की कोशिश मत कीजिये।  भारत वर्ष की जनता इतनी मूर्ख और अज्ञानी भी नहीं है, जितना आप समझते हैं। जनता अब आप से सवाल पूछेगी और उसके जवाब देने होंगे। आपको अपनी बात रखने का मौका अब नही दिया जायेगा। आपको बहुत समय दे दिया और बहुत सह लिया और अब और अधिक सहने की हिम्मत इस देश की जनता के पास नहीं है।
जनता के एक गाल पर महंगाई का तमाचा मारो और दूसरे को सहलाओं। उसे पुचकारते हुए कहो-’ हम आपके हितैषी हैं। आपकी भलाई की योजनाऐं बना रहे हैं। ‘ अर्थात आप चाहते हैं कि किसी भी तरह जनता आपको शासन करने के लिए पांच वर्ष और दे दें, ताकि देश को बरबाद करने की रही सही कसर भी आप पूरी कर लें। ऐसा होने वाला नहीं है। अच्छी बातें करने से तालियां जरुर बज जाती  है, किन्तु जनता की समस्यओं को समझने की लिए ज़मीनी हक़ीकत से रुबरु होना पड़ता है। उसके लिए योजनाएं बनानी पड़ती है। योजनाओं पर ईमानदारी से काम करना पड़ता है।
यदि आप वास्तव में इस देश की  एक अरब जनता के दु:ख में दुबले हो रहे हैं, तो बताईये – आपकी पार्टी के शासन काल में देश के खजाने से करीब पांच लाख करोड़ रुपये का गबन हुआ है, वह धन कहां है ? किन-किन बैंक खातों में जमा हुआ है? इस सबंध में आपने अब तक एक शब्द भी नहीं बोला है। आप बड़ी-बड़ी बाते करते हैं, परन्तु बहुत ही गम्भीर बात पर चुप रहते हैं। आपकी यह चुप्पी देश को अखरती है। सरकारी खजाने में इस देश की गरीब जनता का धन होता है और उसे यदि लूटा जाता है, तो अप्रत्यक्ष रुप से जनता की जेब पर ही डाका डाला जाता है। क्योंकि इस लूट से राजकोषीय घाटा बढ़ता है। मुद्रास्फिति बढ़ने से महंगाई बढ़ती है। महंगाई बढ़ने अभाव बढ़ते हैं। अभावग्रस्त जनता के कष्ट बढ़ते हैं। अब बताईये -इस देश की गरीब जनता के लिए आपके मन में  वास्तव में चिंता है या  यह एक महज दिखावा है ? एक छल है। गरीब जनता को जानबूझ कर मूर्ख बनाने की एक बचकानी कोशिश है। एक बात याद रखिये, भारत वर्ष की जनता गरीब जरुर है, परन्तु इतनी मूर्ख भी नहीं है, जितना आप समझते हैं।
काले धन के बारें में भी आपकी सरकार देश से बहुत कुछ छुपा रही है। विदेशी बैंकों में भारतीयों का कितना काला धन जमा है- इस पर विवाद हो सकता है। किन्तु यह सही है कि भारतीयों का काला धन देश से बाहर गया है , जो आ नहीं रहा है और सरकार इस बारें में कोई सार्थक पहल नहीं कर रही है। देश में काले धन का अथाह प्रभाव है। काला धन बाजार में उत्पात कर रहा है  और अर्थव्यवस्था की सेहत खराब कर रहा है। दस वर्षों से आपका परिवार सता का शक्तिशाली केन्द्र बना हुआ है। अत: देश जानना चाहता है कि काले धन के संबंध में सरकार की संदीग्ध भूमिका क्यों बनी हुई है?
देश की अर्थव्यवस्था की सेहत पर आप विद्वतापूर्वक भाषण दे रहे थे। परन्तु बिजली संकट पर कुछ नहीं कह पाये। बिजली उत्पादन की बड़ी-बड़ी परियोजनाएं अटकी हुई है। इन परियोजनाओं में बैंकों का और उद्योगपतियों का अरबों रुपया फंसा हुआ है। शायद आपको मालूम नहीं हो, अत: आपके सलाहकारों से इसका जवाब पूछिये। वे दबी जबान में आपको बतायेंगे – कोल ब्लॉक आंवटन की जो भ्रष्ट नीति सरकार ने अपनायी, उसके कारण बिजली परियोजनाएं पूरी नहीं हो रही है। इसका प्र​तिकूल प्रभाव औद्योगिक उत्पादन पर पड़ रहा है।
जनता को मूर्ख बना कर वोट पाने के लिए आपकी सरकार खाद्य सुरक्षा बिल ला रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में तीस प्रतिशत जनता गरीबी रेखा के नीचे आती हैं, किन्तु आपकी सरकार 66 प्रतिशत आबादी को लागत मूल्य से केवल दस प्रतिशत मूल्य पर सस्ता अनाज बांटेगी। इस तरह 90 प्रतिशत घाटे की भरपायी राजकोष  से की जायेगी। अर्थात जनता का पैसा जनता में लुटाओं, वाह वाही पाओ। पुन: अपनी एक भ्रष्ट और निकम्मी सरकार बनाने के लिए वोटों का जुगाड़ करो। देश को भयावह आर्थिक संकट में धकेलना का यह एक कुत्सित प्रयास है। इससे आपकी पार्टी को वोट तो मिल जायेंगे, परन्तु देश बरबाद हो जायेगा।
प्रधानमंत्री पद नहीं स्वीकार करने का आप स्वांग रचते हैं। जबकि आप पिछले नो वर्षों से इस देश के सुपर प्रधानमंत्री है। आपने एक नौकरशाह को प्रधानमंत्री पद दे रखा है। वे आपकी मेहराबनी से कृतज्ञ है।  वे श्रीमान -  मन, कर्म और वचन से नौकरशाह ही है और नौकरशाह ही बने रहेंगे। उनके शरीर मे कभी एक प्रधानमंत्री आ कर नहीं बैठ सकता।
अपने मन से इस भ्रम को निकाल दें कि भारत की जनता आपको   देश सेवा के लिए प्रतिबद्धता मानेगा और अंतत: आपको अपना नेता स्वीकार कर लेगा। क्षमा करें, हम भारतीय इतने मूर्ख और अज्ञानी भी नहीं है।

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