Thursday, 3 October 2013

भ्रष्ट राजनीति के कीचड़ मे कर्इ घोटाले दबे पड़े हैं- लालू अकेले दाग़ी नहीं, कर्इ दाग़ी है

सत्रह वर्षो में लालू अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए सजा से बचने की तिकड़म भिड़ाते रहे थे। हाथों में कर्इ ग्रहों को प्रसन्न करने की अंगुठिया पहनने पर भी ग्रहों की शुभ दृष्टि उनके काम नहीं आयी और अंतत: आज उन्होंने जेल में नयी सुबह के दर्शन किये। परन्तु भारत की जनता का उस सुबह का इंतज़ार है, जब चारा घोटालें से भी कर्इ गुणा बड़े घोटालों के अपराधी जेल की सलाखों के पीछे होंगे।
ये बड़े अपराधी लालू से भी ज्यादा चालाक और धूर्त हैं। ये सर्वाधिक शक्तिशाली है। सत्ता के प्रभाव का उपयोग करते हुए घोटालों को दबाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। सत्ता के मद में डूबे हुए हैं और पुन: सत्ता पाने के लिए तड़फ रहे हैं।
अब इनके भाग्य का निर्णय भारत की जनता करने वाली है। जनता यदि इन्हें तिरस्कृत कर दें तो इनका अभिमान चूर-चूर हो जायेगा। इनके हाथ में पकड़ी हुर्इ सत्ता की डोर छिटक कर टूट जायेगी। ये जब सत्ता से दूर हो कर असहाय अवस्था में आ जायेंगे, तभी भारत की कोर्इ जांच एजेंसी स्वतं़त्र हो कर इनके विरुद्ध जांच कर पायेगी। भारत की जनता उस सुबह का बेसब्री से इंतज़ार कर रही है।

अपराधी की पहचान उसके द्वारा किये गये गुनाह से होती है, धर्म से नहीं गृहमंत्री जी !
अपराधी तभी पकड़ा जाता है, जब उसने कोर्इ गुनाह किया होता है। धर्म के आधार पर उसकी पहचान कर उसे पकड़ा नहीं जाता और न ही जेल में उसे प्रताड़ित किया जाता है। अत: वोटो का जुगाड़ करने के लिए देशवासियों में भ्रम मत फैलाओं, गृहमंत्री जी ! आपने कैदियों के आगे मुसलमान विशेषण लगा कर भारत की न्याय व्यवस्था पर प्रहार किया है। न्यायाल अपराध के आधार पर अपराधी को दंड़ित कर जेल भेजता है, उसके धर्म के आधार पर नहीं।
आपके कहने का यह आशय है कि यदि कोर्इ कैदी मुसलमान धर्म को मानता है, उसे प्रताड़ित नहीं किया जाय और जो अन्य धर्म को मानता है, उसे चाहे तो प्रताड़ित किया जाय। वोटों के लिए भारतीय नागरिकों में परस्पर भेद करने की यह निकृष्टतम कोशिश है।
गृहमंत्री की मनोदशा और नेरोबी के एक माल में हुए आतंकी हमलों के जिम्मेदार आतंकवादियों की मनोदशा  में विशेष अतंर नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने कहा था, ‘जो मुसलमान हैं, उन्हें छोड़ दिया जायेगा और जो अन्य धर्म को मानने वाला होगा, उसे मार दिया जायेगा।’

  भाजपा के लिए दक्षिण से आ रही है- खूशनुमा बयार
कंग्रेस ने आंध्र में जगनमोहन रेड्डी का समर्थन पाने के लिए उन्हें रिहा किया था। अर्थात सियासी चाल के आधार पर ही उन्हें जेल भेजा था। परन्तु पार्टी को उनका फैंसला भारी पड़ रहा है, क्योंकि जगनमोहन मोदी की प्रशंसा में कसीदे पढ़ रहे हैं। ऐसा कर के उन्होंने कांग्रेस को अजीब दुविधा में ड़ाल दिया है।
यदि कांग्रेस आंध्र में सिकुड़ गयी, तो केन्द्र में बहुत कृशकाय हो जायेगी। आंध्र में भाजपा की किंचित सफलता भी केन्द्र में उसकी शक्ति बढ़ा देगी। बहरहाल यदुरप्पा को अपने पक्ष में ले कर भाजपा दक्षिण के बंद द्वार में सेंध लगा सकती है।
जगनमोहन का बयान भाजपा को सुकून दे रहा है। मोदी के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। परन्तु फिलहाल सबकुछ भविष्य के गर्भ में हैं। क्योंकि सियासी समीकरणों का ऊंट किस करवट बैठता है, यह भविष्य ही बतायेगा। किन्तु कांग्रेस के लिए संकट का दौर प्रारम्भ हो गया है।

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