Monday, 14 April 2014

हमे भारत को बरबाद करने का हक है, क्योंकि हम सेक्युलर हैं !

हमने देश के संसाधनों का लूटा। रिकार्ड घोटाले-घपले किये। जम कर भ्रष्टाचार किया। गरीब जनता के पैसे को लूट कर काला धन बनाया। इसे विदेशी बैंकों में जमा कराया। हम मालामाल हुए, देश कंगाल हुआ, पर ऐसा करने का हमें हक है, क्योंकि हम सेक्युलर हैं। भारत में सेक्युलरिजम का नकाब पहन कर आप कुछ भी कर सकते हैं। आपको गलत काम करने के लिए हमारी तरह घबराना नहीं चाहिये, क्योंकि सेक्युलिरिजम वह कवच है, जिसमें सारे पाप छुपाये जा सकते हैं।
सेक्युलिरिजम के नाम पर हम जनता से कुशासन देने के लिए पुनः पांच वर्ष का अधिकार मांग रहे हैं। माना कि हमने जनता को दस वर्षों तक महंगाई के दर्द की तकलीफ के कारण रुलाया। माना कि हमने जनता की ऐसी हालत कर दी कि भर पेट भोजन करने की उसकी आदत ही नहीं रही। परन्तु उसको सेक्युलिरिजम के नाम पर इतना त्याग तो करना ही होगा। आप गरीब ही तो होंगे। भूखे ही तो रहेंगे, पर दुनियां में जिंदा तो रहेंगे। अभावों की पीड़ा सहते-सहते सांसे टूट जाय, तो कोई बात नहीं, पर हमेशा सेक्युलरिजम के भजन करते रहेंगे, तो आपका अगला जनम सुधर जायेगा।
एक शख्स कहता है कि मैं प्रधानमंत्री बनुंगा। क्यों बनेगा वह ? क्यों जमीन से उठ कर पर आकाश में उड़ने की कोशिश कर रहा है ? प्रधानमंत्री बनने का उसको क्या हक है ? जबकि हमारे परिवार का वजूद मौजूद हैं। हम कैसे भी हैं, चाहे नौसिखियें हैं, अयोग्य है, भ्रष्ट हैं, पर इस देश पर राज करने का हमारा ही हक हैं, क्योंकि हमारा परिवार लोकतांत्रिक देश में राजतंत्रीय शासन को स्थापित करने का अधिकार ले कर आया है। हमारा परिवार सेक्युलर है। हमारे परिवार के मुखिया ने देश का विभाजन करवाया। लाखों को दुनियां से कूच करवाया। करोड़ो को तबाह किया। हमने पैंसठ वर्षों में सैंकड़ों दंगे करवाये। 1984 में सिखों का कत्लेआम करवाया। हमे यह सब करवाना जरुरी था, क्योंकि हमे कम्युनल ताकतों को रोकना था।
हम जानते हैं, इस देश की जनता हमसे खफा है। हमसे छुटकारा चाहती है। पर हम ऐसा होने नहीं देंगे। हमने भारत की गरीब जनता को खूब रुलाया, अब खून के आंसू रुलायेंगे। देश को आर्थिक रुप से तबाह किया, पर तबाही अभी पूरी नहीं हुई है। देश के संसाधनों को जम कर लूटा, पर अभी और लूटना बाकी है। देश को पूरी तरह बरबाद करने के लिए दस वर्ष की अवधि कम होती है, इसलिए पांच वर्ष और मांग रहे हैं। भारत पर शासन करने का हमे हक है। कोई हमारा अधिकार छीनने की कितनी ही कोशिश क्यों न करें, हम उसे कामयाब होने नहीं देंगे, क्योंकि हम सेक्युलर हैं और वे कम्युनल है। हम कम्युनल ताकतों को रोकने के लिए सेक्युलरिजम का झंड़ा उठा कर दौड़ेंगे और सभी से कहेंगे- हमारे मिशन में शामिल हो जाओ। यदि वे कम्युनल आ गये, तो हम सब बरबाद हो जायेंगे। हमारी सियासी हसरते अधुरी रह जायेगी।
अंग्रेज़ो से मिल कर हमने मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बनाया। हम जानते थें बंटवारा अव्यवहारिक और बेतुका था। मुसलमान भारत के हर गांव और शहर में हिन्दुओं के साथ रहता है, वह भाग कर पाकिस्तान जा नहीं सकता था, इसलिए हमने उसे अपने सियासी फायदे के लिए मोहरा बना दिया। उसे कहा हमारे साथ रहो, हमे वोट देते रहों, क्योंकि हम सेक्युलर हैं याने कि मुसलमानों के हितैषी और जो इस देश में हिन्दुओं के हितैशी है, वे कम्युनल हैं। अपने सियासी लाभ के लिए मुसलमानो की गरीबी को बढ़ाया। उसे पिछड़ा बनाया। उसकी समस्याओं के समाधान के बजाय उसे और अधिक बढ़ाया, ताकि मुसलमान अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करने की हैसियत नहीं जुटा पाये। उनके बच्चे पढ़ कर अच्छी नौकरी नहीं पा सके। उनकी आमदनी नहीं बढ़े और वे हमेशा तंगहाली में गुजर-बसर करें। पैसठ वर्षों तक यही सब करते रहने से हमे लाभ यह हुआ कि मुसलमानों के मन में जो असुरक्षा और गलतफहमिलयां हमने बिठा दी थी, वह आसानी बाहर नहीं निकल सकी। क्योंकि हम जानते हैं कि मुसलमान युवक यदि पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी पा लेगा और हिन्दुओं के साथ रहेगा, तो उसकी सारी गलतफहमियां दूर हो जायेगी। उसे यह मालूम हो जायेगा कि हमे अपने सियासी लाभ के लिए अब तक मूर्ख बनाया जाता रहा है।
2014 के लोकसभा चुनावों के पूर्व पूरे देश में हमे एकजुटता दिखी। जनता मजहब और जाति की संकीर्णता को तोड़ कर हमे हराने के प्रतिबद्ध दिखाई दी। गुजरात के नरेन्द्र मोदी, जो भारत का प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहा है पूरे पूरे देश में घूम-घूम कर हमारी कमजोरियों और कारगुजारियों को उजागर कर रहे है। समचमुच हमारे लिए यह खतरे की घंटी थी। हमे अपने शाशन पर खतरा मंडराता हुआ दिखाई दिया। हमने एक स्वार्थी और चालाक शख्स -अरविन्द केजरीवाल, जिसे नौटंकी करने और झूठ बोलने में महारथ हांसिल है, को उनके पीछे लगा दिया। वह और उसकी मंड़ली हाथ धो कर नरेन्द्र मोदी के पीछे पड़ गयी। हमे लग रहा है अरविन्द केजरीवाल अपना कुछ असर दिखायेगा। हम तो हारेंगे ही, किन्तु मोदी को आगे बढ़ने से रोक देंगे।
परन्तु हमे लग रहा है कि दस वर्ष के कुशासन की पीड़ा को जनता भूल नहीं पा रही है। वह हमारे विरुद्ध लामबंद हो रही है। हमने नरेन्द्र मोदी को गालियां देने और उनके विरुद्ध जहर उगलने के लिए कई मोर्चे खोल रखे हैं, किन्तु उसका कोई खास असर दिखाई नहीं दे रहा है। अतः हार कर हमे मुसलमानों का हितैषी बनने का प्रमण पत्र लेने के लिए इमाम बुखारी के पास जाना पड़ा। इमाम बुखारी ने देश के मुसलमानों को समझ दिया है कि कम्युनल ताकतों को सत्ता में आने से रोकने के लिए हमारी कांग्रेस को वोट दें। जबकि इतिहास गवाह है कि मुसलमानों को हमने बरबाद करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। उनकी गरीबी और तंगहाली के हम ही जिम्मेदार है। हम कम्युनल ताकतों का कृत्रिम भय दिखा कर उन्हें डराते रहें हैं, किन्तु यह करना हमारे लिए आवश्यक है, क्योंकि भारत के मुसलमान ही तो हमारी सियासी ताकत हैं। जब यह ताकत चली जायेगी, हम कहीं के नहीं रहेंगे। हम सात जनम तक हिन्दुस्ताान पर शासन करने का अधिकार नहीं पा सकेंगे।
हम जानते है कि हिन्दुओं को तो वैसे ही जातियों के आधार पर बांट रखा हैं। अतः यदि हमे मुसलमानों के थोक वोट मिल जाये, तो नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोका जा सकता है। यह सही है कि हम सरकार बनाने की औकात नहीं रखेंगे, किन्तु किसी महत्वाकांक्षी नेता, जिसने सेक्युलर का नकाब ओढ़ रखा हो, कुछ दिनों या महीनों के लिए शाशन करने का अधिकार दें देगें, पर उसकी नकेल अपने हाथ में रखेंगे। जब देश की जनता कुशासन से त्राहि-त्राहि करने लगेगी हम नकेल खींच लेंगे। फिर चुनाव करायेंगे। चुनाव जीतेंगे और भारत को लूटने का पुनः अधिकार पा लेंगे।
हम भारत को न समझ पाये हैं और न ही इसको समझने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे अपने कोई विचार ही नहीं है। दूसरे का लिखा हुआ भाषण पढ़ कर ही जनता को मूर्ख बना सकते हैं। पूरी दुनियां हमारे साथ है, क्योंकि दुनियां के अधिकांष देश नहीं चाहते कि हिन्दुस्तान के शासन की कमान किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ आ जाये, जिसके विचार शुद्ध रुप से भारतीय हों। जो हिन्दी बोलता हो। जो प्रगति और खुशहाली की कामना मन में रखता हो। जो देश को सुशासन देने का दृढ़ निश्चय रखता हो। जो काला अंग्रेज बन कर विदेशी शासकों की स्वार्थी नीतियों में उलझ कर देश की जनता के हितों को दांव पर नहीं लगाता हो। विदेशी सरकारें भारत में स्थायी और जवाबदेय सरकारे नहीं चाहती, क्योंकि इससे उनके व्यापारिक हित प्रभावित होते हैं। हम मन से उन विदेशियों के शुभ चिंतक हैं। क्योंकि हमारा शरीर इस देश में हैं, परन्तु आत्मा विदेशी है।
हम भारतीय लोकतंत्र की दुर्बलताओं को समझते हैं। यही हमारी सफलता का राज है। इस देश की जनता चाहें शासक के अत्याचारों से दुखी होगी, परन्तु जाति और धर्म की संकीर्णता के आधार पर बांट कर हम भारत पर शासन करते रहेंगे। जब तक सम्भव होगा, लुटने का क्रम जारी रखेंगे।

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