हम देश के संविधान को सत्ता पर चढ़ने की सीढ़ी मानते हैं जी। संविधान
की शपथ लें, कुर्सी पर बैठ गये, फिर संविधान की धाराओं को पांवों के तले
रौंद रहें है जी। हमे देश की प्रशासनिक व्यवस्था से कोर्इ सरोकार नहीं।
हमने इसे बर्बाद करने का मानस बना लिया है। हमने अपने छियांसठ विधायकों को
मंत्री या मंत्री जितनी सुविधाएं दिला दीं। उन्हें सचिवालय में कमरे और
स्टाफ दिला दियें। आर्इएस अफसरों को हमने खाली बिठा रखा है। जो हमारे अपने
थे, उन्हें काम दिया, ऑफिस दिये, बाकि बहुत सारे खाली बैठें हैं, क्योंकि न
तो हमारे पास उनको देने के लिए काम है और न ही बिठाने के लिए जगह। दरअसल
स्थापित नियम, कानून और लोकतांत्रिक परम्पराओं को हम नहीं मानते, क्योंकि
हमे अराजक कहते हैं। हम अराजक हैं और अराजक रहेंगे। खबरों में बने रहने के
लिए हम वे सारे अराजक काम करते रहेंगे, ताकि पूरे देश की जनता रोज टीवी पर
हमारे दर्शन करती रहें। हम कोर्इ सरकार चलाने या काम करने थोड़े ही आये
हैं, हम तो अपने व्यक्तित्व को चमकाने आये है। व्यवस्था के विरुद्ध जनता को
विद्रोही बनाने आये हैं।
हम शहरी नक्सली है जी ! हम शब्दों की गोलियों और सफेद झूठ के धमाकों से अपने दुश्मनों को ललकारते हैं। जंगल में रहनेवालें नक्सलियों की तरह हमे धमाके करने और गोलियां बरसाने के बाद जंगलों मे छुपना नहीं पड़ता। हम सीना तान कर घूमते हैं। हमे इस देश के कानून की धाराएं पकड़ ही नहीं सकती, क्योंकि हम खून नहीं करते, लोगों का दिमाग खराब करते हैं, ताकि सभी हमारी तरह अराजक बन जायें। जंगली नक्सली राजनीतिक व्यवस्था को नहीं मानते। वे जंगल में रह कर इस व्यवस्था को नष्ट करना चाहते हैं। हम शहरी नक्सली व्यवस्था मे घुस कर और राजनेता बन कर व्यवस्था को तबाह करना चाहता है।
नक्सलियों की भी भारत के संविधान में आस्था नहीं हैं, हमारी भी नहीं है। वे व्यवस्था के विरुद्ध खुला विद्रोह कर रहे हैं। हमारा छुपा हुआ एजेंड़ा भी यही है। संविधान को हम भी नहीं मानते, किन्तु संविधान से लाभ उठा कर देश की राजनीतिक व्यवस्था को नष्ट कर हम अपने लिए नर्इ व्यवस्था बनाना चाहते हैं, ताकि हम दिल्ली प्रदेश के नहीं, पूरे भारत के तानाशाह बन जायें। हमे विरोध और विरोधी पसंद नहीं हैं। यदि हमारा मकसद पूरा हो गया तो पांच साल बाद फिर जनता के पास वोटों की भीख मांगने की जरुरत नहीं होगी। जैसे हमने अपनी पार्टी और विधानसभा में अपने सारे विरोधियों को ठिकाने लगा दिया, वैसे ही तानाशाह बन कर हम देश भर में अपने विरोध और विरोधियों को खत्म कर देंगे। आप समझ गये न, हमारे इरादे कितने खतरनाक हैं जी ! हम सिस्टम में घुस कर इसे पूरी तरह नष्ट करना चाहते हैं। जनता ने कांग्रेस को ठुकरा दिय। अब मुल्क चार साल तक हमारी नौटंकिया देखेगा। इन्हीं नौंटकियों की बदौलत हम चार साल बाद भाजपा को सत्ता से हटा देंगे। दिल्ली विधानसभा जैसा प्रचण्ड़ बहुमत हमने भारतीय संसद में पा लिया तो निश्चित रुप से इस देश का संविधान बदल कर भारत के तानाशाह बन जायेंगे। इसके बाद देश में न सवंिधान रहेगा, न हमारे विरोधी रहेंगे। बस हम ही हम रहेंगे।
पूरे देश के किसानों को अराजक बनाने के लिए हमने एक किसान को हमारी सभा के मंच के पास ही मरवा दिया और इस देश का कानून हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सका। मीडिया की दगाबाजी से हमारा सारा प्लान फ्लाप हो गया। यदि हमारा प्लान सफल हो जाता, तो पूरे देश के किसानों को अराजक बना कर मोदी सरकार के विरुद्ध खड़ा कर देते।
हमारा एक प्लान फेल हो गया इसका मतलब यह नहीं है कि हम भविष्य और नये प्लान ले कर नहीं आयेंगे। दरअसल भारत की राजनीतिक व्यवस्था को तबाह करने के लिए हमने सुपारी ली है। जिन्होंने सुपारी दी हैं, उन्होंने दिल्ली का चुनाव लड़ने के लिए धन भी दिया था, अपने आदमी भी प्रचार में भी लगायें थे। उनका मकसद था- मोदी के घंमड़ का चूर-चूर करना, जो हमने कर दिखाया। अब हमारी योजना हैं-भारत की राजनीति से मोदी के वर्चस्व को समाप्त करना, इसकेलिए हम कर्इ योजनाओं पर काम कर रहे हैं, जिनका मकसद है- भारत को आर्थिक व राजनीतिक दृष्टि से तबाह करना। पूरे देश की जनता को विद्रोही बना कर अपने वश में करना।
दिल्ली तो हमारी प्रयोगशाला हैं, जहां हम शासन नहीं कर रहे हैं, दिल्ली को अराजक क्षे़त्र बनाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। जो वादे चुनाव जीतने के लिए किये थे, वे पूरे होंगे नहीं, क्योंकि इतना पैसा है नहीं। बिजली के दाम आधे करने का बाद विकास के लिए धन बचा ही नहीं है। पर काम किसे करना है और शासन किसे चलाना है। हमे तो अपने सारे विधायकों को संतुष्ट कर चुपचाप बिठाना चाहते हैं, ताकि वे हमारे खिलाप मोर्चा बन्दी नहीं करें। इसलिए हमने उन्हें मौखिख सलाह दे रखी है- भ्रष्टाचार कर जितना पैसा कमाना चाहते हों, कमाते रहो। मैं रिश्वत नहीं लेने और रिश्वत नहीं देने के पोस्टर लगा कर भ्रष्टाचार दूर करता रहुंगा। मैं जनता को झूठ-मूठ ही समझाता रहुंगा कि देखो मेरे आने के बाद दिल्ली में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है। अफसरों के माथे पर भ्रष्टाचार के पाप का मटका फोड़ कर उन्हें बदनाम करता रहुंगा। मैं भी अफसर रहा हूं और जानता हूं कि बिना मंत्रियों के मिलीभगत के अफसर भ्रष्टाचार नहीं कर सकता, पर उन्हें बदनाम करने में अपना क्या जाता है।
हमारा मकसद है-दिल्ली की सत्ता हाथ में आने के बाद केन्द्र सरकार के विरुद्ध न खत्म होने वाले संघर्ष की शुरुआत करना, जो हमने कर दी है। दिल्ली के राज्यपाल को तो जंग के लिए हमने मोहरा बनाया है। दरसअल हम अपने झूठ, प्रपंच और नौटंकी कला से केन्द्र सरकार को परेशान करना चाहते हैं। थोड़े दिनों बाद उपमुख्यमंत्री को पूरा चार्ज दे कर हम देश भर में घूमेंगे और जनता को केन्द्र सरकार के विरुद्ध भड़कायेंगे। वैसे राहुल हमे गुरु मान कर हमारी ही नीतियों का अनुशरण कर रहे हैं। पर आप जानते हैं, राहुल राजनीति के कच्चे खिलाड़ी है। वे जानते नहीं कि वे जा रास्ता बना रहे हैं, उस पर एक दिन हम दौडेंगे और उन्हें मिलों पीछे छोड़ देंगे। चार साल बाद भाजपा को सत्ता से राहुल नहीं, हम हटायेंगे, क्योंकि हमारे पास दिमाग है, तिकड़म है और विदेश में बैठे अपने एक प्रिय साथी का साथ हैं । साथी हमारे लिए प्रचुर धन का जुगाड़ करेगा। देश में काम कर रहे विदेशी मालिकों के मीडिया भी हमारा साथ देंगे। क्योंकि हमारा भारत मूर्खों का देश हैं। आपके पास जनता को मूर्ख बनाने की कला है, तो आप हर बाजी जीतते जायेंगे। दिल्ली में हमने वह करिश्मा कर दिखाया। दिल्ली की जनता की मूर्खता का लाभ उठाया। अब पूरे देश की जनता की मूर्खता का लाभ उठा कर भारत की शासन व्यवस्था को अपनी मुट्ठी में करना है। हमारे विदेशी साथी की भारत को तबाह करने की दिल्ली इच्छा यही हैं, जिसे हमे पूरा करना है, क्योंकि वह भी यह चाहता है कि भारत की सत्ता ऐसे आदमी के पास हो, जो उसके इशारे पर काम करें। हम उनके अहसान को पूरा करने के लिए जी जान एक कर देंगे, क्योंकि उनसे सुपारी जो ली है, जी!
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हम शहरी नक्सली है जी ! हम शब्दों की गोलियों और सफेद झूठ के धमाकों से अपने दुश्मनों को ललकारते हैं। जंगल में रहनेवालें नक्सलियों की तरह हमे धमाके करने और गोलियां बरसाने के बाद जंगलों मे छुपना नहीं पड़ता। हम सीना तान कर घूमते हैं। हमे इस देश के कानून की धाराएं पकड़ ही नहीं सकती, क्योंकि हम खून नहीं करते, लोगों का दिमाग खराब करते हैं, ताकि सभी हमारी तरह अराजक बन जायें। जंगली नक्सली राजनीतिक व्यवस्था को नहीं मानते। वे जंगल में रह कर इस व्यवस्था को नष्ट करना चाहते हैं। हम शहरी नक्सली व्यवस्था मे घुस कर और राजनेता बन कर व्यवस्था को तबाह करना चाहता है।
नक्सलियों की भी भारत के संविधान में आस्था नहीं हैं, हमारी भी नहीं है। वे व्यवस्था के विरुद्ध खुला विद्रोह कर रहे हैं। हमारा छुपा हुआ एजेंड़ा भी यही है। संविधान को हम भी नहीं मानते, किन्तु संविधान से लाभ उठा कर देश की राजनीतिक व्यवस्था को नष्ट कर हम अपने लिए नर्इ व्यवस्था बनाना चाहते हैं, ताकि हम दिल्ली प्रदेश के नहीं, पूरे भारत के तानाशाह बन जायें। हमे विरोध और विरोधी पसंद नहीं हैं। यदि हमारा मकसद पूरा हो गया तो पांच साल बाद फिर जनता के पास वोटों की भीख मांगने की जरुरत नहीं होगी। जैसे हमने अपनी पार्टी और विधानसभा में अपने सारे विरोधियों को ठिकाने लगा दिया, वैसे ही तानाशाह बन कर हम देश भर में अपने विरोध और विरोधियों को खत्म कर देंगे। आप समझ गये न, हमारे इरादे कितने खतरनाक हैं जी ! हम सिस्टम में घुस कर इसे पूरी तरह नष्ट करना चाहते हैं। जनता ने कांग्रेस को ठुकरा दिय। अब मुल्क चार साल तक हमारी नौटंकिया देखेगा। इन्हीं नौंटकियों की बदौलत हम चार साल बाद भाजपा को सत्ता से हटा देंगे। दिल्ली विधानसभा जैसा प्रचण्ड़ बहुमत हमने भारतीय संसद में पा लिया तो निश्चित रुप से इस देश का संविधान बदल कर भारत के तानाशाह बन जायेंगे। इसके बाद देश में न सवंिधान रहेगा, न हमारे विरोधी रहेंगे। बस हम ही हम रहेंगे।
पूरे देश के किसानों को अराजक बनाने के लिए हमने एक किसान को हमारी सभा के मंच के पास ही मरवा दिया और इस देश का कानून हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सका। मीडिया की दगाबाजी से हमारा सारा प्लान फ्लाप हो गया। यदि हमारा प्लान सफल हो जाता, तो पूरे देश के किसानों को अराजक बना कर मोदी सरकार के विरुद्ध खड़ा कर देते।
हमारा एक प्लान फेल हो गया इसका मतलब यह नहीं है कि हम भविष्य और नये प्लान ले कर नहीं आयेंगे। दरअसल भारत की राजनीतिक व्यवस्था को तबाह करने के लिए हमने सुपारी ली है। जिन्होंने सुपारी दी हैं, उन्होंने दिल्ली का चुनाव लड़ने के लिए धन भी दिया था, अपने आदमी भी प्रचार में भी लगायें थे। उनका मकसद था- मोदी के घंमड़ का चूर-चूर करना, जो हमने कर दिखाया। अब हमारी योजना हैं-भारत की राजनीति से मोदी के वर्चस्व को समाप्त करना, इसकेलिए हम कर्इ योजनाओं पर काम कर रहे हैं, जिनका मकसद है- भारत को आर्थिक व राजनीतिक दृष्टि से तबाह करना। पूरे देश की जनता को विद्रोही बना कर अपने वश में करना।
दिल्ली तो हमारी प्रयोगशाला हैं, जहां हम शासन नहीं कर रहे हैं, दिल्ली को अराजक क्षे़त्र बनाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। जो वादे चुनाव जीतने के लिए किये थे, वे पूरे होंगे नहीं, क्योंकि इतना पैसा है नहीं। बिजली के दाम आधे करने का बाद विकास के लिए धन बचा ही नहीं है। पर काम किसे करना है और शासन किसे चलाना है। हमे तो अपने सारे विधायकों को संतुष्ट कर चुपचाप बिठाना चाहते हैं, ताकि वे हमारे खिलाप मोर्चा बन्दी नहीं करें। इसलिए हमने उन्हें मौखिख सलाह दे रखी है- भ्रष्टाचार कर जितना पैसा कमाना चाहते हों, कमाते रहो। मैं रिश्वत नहीं लेने और रिश्वत नहीं देने के पोस्टर लगा कर भ्रष्टाचार दूर करता रहुंगा। मैं जनता को झूठ-मूठ ही समझाता रहुंगा कि देखो मेरे आने के बाद दिल्ली में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है। अफसरों के माथे पर भ्रष्टाचार के पाप का मटका फोड़ कर उन्हें बदनाम करता रहुंगा। मैं भी अफसर रहा हूं और जानता हूं कि बिना मंत्रियों के मिलीभगत के अफसर भ्रष्टाचार नहीं कर सकता, पर उन्हें बदनाम करने में अपना क्या जाता है।
हमारा मकसद है-दिल्ली की सत्ता हाथ में आने के बाद केन्द्र सरकार के विरुद्ध न खत्म होने वाले संघर्ष की शुरुआत करना, जो हमने कर दी है। दिल्ली के राज्यपाल को तो जंग के लिए हमने मोहरा बनाया है। दरसअल हम अपने झूठ, प्रपंच और नौटंकी कला से केन्द्र सरकार को परेशान करना चाहते हैं। थोड़े दिनों बाद उपमुख्यमंत्री को पूरा चार्ज दे कर हम देश भर में घूमेंगे और जनता को केन्द्र सरकार के विरुद्ध भड़कायेंगे। वैसे राहुल हमे गुरु मान कर हमारी ही नीतियों का अनुशरण कर रहे हैं। पर आप जानते हैं, राहुल राजनीति के कच्चे खिलाड़ी है। वे जानते नहीं कि वे जा रास्ता बना रहे हैं, उस पर एक दिन हम दौडेंगे और उन्हें मिलों पीछे छोड़ देंगे। चार साल बाद भाजपा को सत्ता से राहुल नहीं, हम हटायेंगे, क्योंकि हमारे पास दिमाग है, तिकड़म है और विदेश में बैठे अपने एक प्रिय साथी का साथ हैं । साथी हमारे लिए प्रचुर धन का जुगाड़ करेगा। देश में काम कर रहे विदेशी मालिकों के मीडिया भी हमारा साथ देंगे। क्योंकि हमारा भारत मूर्खों का देश हैं। आपके पास जनता को मूर्ख बनाने की कला है, तो आप हर बाजी जीतते जायेंगे। दिल्ली में हमने वह करिश्मा कर दिखाया। दिल्ली की जनता की मूर्खता का लाभ उठाया। अब पूरे देश की जनता की मूर्खता का लाभ उठा कर भारत की शासन व्यवस्था को अपनी मुट्ठी में करना है। हमारे विदेशी साथी की भारत को तबाह करने की दिल्ली इच्छा यही हैं, जिसे हमे पूरा करना है, क्योंकि वह भी यह चाहता है कि भारत की सत्ता ऐसे आदमी के पास हो, जो उसके इशारे पर काम करें। हम उनके अहसान को पूरा करने के लिए जी जान एक कर देंगे, क्योंकि उनसे सुपारी जो ली है, जी!
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