Saturday, 7 March 2015

भारतीय लोकतंत्र पर मंडराता आतंकी साया

अब तक झूठ,फरेब,नौटंकी केजरीवाल की पहचान थी, किन्तु दिल्ली विधानसभा का मतदान समाप्त होते-होते गुंडे़, शराब और अवैध धन ने  उनकी नयी पहचान बनायी है। दिल्ली चुनाव जीतने के लिए अरबों रुपये उड़ेल हैं और गंदी राजनीति में उन्होंने भारत के सभी राजनेताओं और  राजनीतिक दलों को पीछे छोड़ दिया है। मुख्यमंत्री बनने की हवश पूरी करने के लिए यह व्यक्ति इतना कपटी होगा, जानकर आश्चर्य हो रहा है, क्योंकि यह वही शख्स है, जो व्यवस्था परिवर्तन का नारा लगाता हुआ जनआंदोलन से जुड़ा था और नये राजनीतिक मूल्यों की स्थापना करने के लिए राजनीतिक पार्टी बनायी थी।
जब से केन्द्र मे मोदी सरकार बनी है, दाऊद काफी भयभीत दिखार्इ दे रहा है। नरेन्द्र मोदी की हत्या के कर्इ प्रयास हो चुके हैं, किन्तु मजबूत सुरक्षा घेरे के कारण सफलता नहीं मिल पायी। पूरे देश में आतंकी गतिविधियों को तेज करने के लिए पाकिस्तान सीमा पर गोलाबारी कर रहा है, ताकि इसकी आड में  खूंखार आतंकवादियों का भारत में प्रवेश कराया जा सके। हमारे जाबांज जवान अपनी जान पर खेल कर पड़ोसी की करतूतों का माकूल जवाब दे रहे हैं। सरकार की मुस्तैदी से पाकिस्तान अपने मनसूबें में कामयाब नहीं हो पा रहा है, अत: थक हार कर भारत में अराजक राजनीतिक परिस्थितियां निर्मित करने के लिए केजरीवाल को मोहरा बनाया गया है।
आशंका यह जतार्इ जा रही है कि दुबर्इ के रास्ते जो भारी धन दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए केजरीवाल को मिला है, वह दाऊद ने अपने गुर्गों के माध्यम से केजरीवाल को दिलाया है, ताकि भारतीय लोकतंत्र को अराजक बनाया जा सके। चुनाव जीतने के लिए केजरीवाल एण्ड़ पार्टी ने जो बेशुमार धन खर्च किया है, उससे आंखें चुंधिया जाती है।  एक-एक विधानसभा सीट को जीतने के लिए करोड़ो रुपये खर्च किये हैं। धन और शराब बांटी, निर्धन,  निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों को झूठे सपने दिखायें, झूठी अफवाहें उड़ा कर जनता को भ्रमित किया और अपने आकाओं की मदद से मुस्लिम समुदाय को भाजपा के विरुद्ध एकजुट किया।
भारत के सभी राजनीतिक दल सिर्फ भाजपा को हराने के लिए एक देशद्रोही व्यक्ति के समर्थन में आ गये, जो भारतीय राजनीतिक दलों के पतन की पराकाष्ठा है। राजनीतिक मूल्यों की बलि है। सब से दुखद बात यह है कि कांग्रेस ने अपना पूरा वोट बैंक केजरीवाल के आगे समर्पित कर दिल्ली की राजनीति में अपने आपको जानबूझ कर अप्रसांगिक बना दिया, जबकि दिल्ली कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। भाजपा को हराने के बहाने अपनी खोयी ज़मीन तलाशने के बजाय, अपने आपको खार्इ में गिरा देना, कांग्रेस पार्टी के लिए एक राजनीतिक मजाक बन गया है।
करोड़ो रुपये बांट कर केजरीवाल ने समाचार मीडिया के मालिकों और पत्रकारों को खरीदा ही है, किन्तु उस बोद्धिक जमात के मुंह पर भी ताला लगा दिया है, जो भारतीय लोकतंत्र पर मंडराते आतंकी साये पर चुप्पी साधे हुए हैं। राजनीतिक लक्ष्य प्राप्ति के लिए देश के दुश्मनों के साथ साठ-गांठ करना निर्लज्ज अपराध है, जिसे कभी क्षमा नहीं किया जा सकता। केजरीवाल ने चंदा प्राप्त करने की सारी सीमाएं कैसे लांघ दी।  देश का गृहमंत्रालय कैसे सबकुछ देखता रहा और कार्यवाही करने में क्यों  देरी की ? यह चिंता का विषय है, क्योंकि इतना सारा धन कैसे और किस रुप में देश में लाया गया और इसे कहां रखा गया, यह गहन जांच का विषय बन गया है।
गृह मंत्रालय में मतंग सिंह जैसे दलालों की घुसपैठ उजागर होने और अनिल सिंह जैसे गृह सचिव की बर्खास्तगी के बाद सीबीआर्इ कर्इ रहस्यों पर से पर्दा उठायेगीं। सम्भव है वे चेहरे भी बेनकाब हो जायेंगे, जो केजरीवाल की करतूत पर मौन साधे हुए थे या अप्रत्यक्ष रुप से उनका हौंसला बढ़ा रहे थें। विदेशी षड़यंत्र के तहत ही केजरीवाल ने बनारस लोकसभा का चुनाव लड़ा था  और भारी धन बटोरा था। उस समय केन्द्र में यूपीए सरकार थी, जिसे केजरीवाल का समर्थन प्राप्त था, किन्तु एनडीए की सरकार बनने के बाद भी केजरीवाल की संदिग्ध गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सका, यह आश्चर्य की बात है।
केजरीवाल की राजनीतिक सफलता राष्ट्रवाद की हार है, पाकिस्तान की जीत है। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में अराजक और विध्वंसकारी तत्वों के प्रवेश का अशुभ संकेत है। मीडिया को खरीद कर, मुस्लिम समुदाय को भ्रमित कर और गरीबों को झूठे सपने दिखा कर केजरीवाल ने जो राजनीतिक ठगी की है, उसके दुष्परिणाम दिल्ली की जनता को भोगने पड़ेंगे, क्योंकि केजरीवाल के स्वभाव में निष्ठा और प्रतिबद्धता की कमी है। प्रशासनिक कुशलता से जनता की समस्याओं को हल करने के बजाय झूठ और छल से जनता को ठगने की कला में वे माहिर है। विधानसभा का चुनाव जीतने में सफल हो सकते हैं, किन्तु मुख्यमंत्री के रुप में वे असफल होंगे। जनता को अपनी गलती का अहसास कुछ ही महीनों में हो जायेगा।
लोकतांत्रिक व्यवस्था पर मंडराते आतंकी साये ने मोदी सरकार को सावधान कर दिया है। देशद्रोही तत्वों से निपटने के लिए सरकार को कठोर रुख अख्तियार करने की आवश्यकता है, क्योंकि निकट भविष्य में जिन प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होंगे, वहां केजरीवाल शैली को दोहराया जायेगा। सभी विपक्षी दल भाजपा के विरुद्ध एक जुट हो जायेंगे। देशद्रोही तत्व सक्रिय हो कर मुस्लिम वोटों को लामबंद करेंगे। यह कठिन संघर्ष यदि हिन्दुत्व की लहर के भरोसे जीतने का प्रयास किया गया, तो इसके प्रतिकूल परिणाम आयेंगे। अत: सब से  पहले राष्ट्रदोही तत्वों का असली चेहरा जनता को दिखाने के लिए उन्हें बेनकाब करना होगा। ऐसा होने पर राष्ट्रवाद की लहर उठेगीं। जनता ऐसे तत्वों को तिरस्कृत कर देगी, जो अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए मूल्यों की बलि चढ़ा देते हैं।

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