चार दिन में ही दिल्ली की जनता को अहसास हो गया है कि वह ठगो द्वारा ठगी
गयी है। ढ़ेरो बाते, ढे़रो वादें, पर दम किसी में नहीं। आते ही एक काम
करना पड़ा- जो अपने से कद में बड़े हैं या जो बराबर हैं या जो बात नहीं
मानते हैं, सवाल पूछते हैं, उन्हें पार्टी से लात मार कर बाहर करो। मेरी आप
पार्टी हैं। मैं सुप्रीमों हूं। मेरी आप पार्टी में वही रहेगा, जो मेरी
हां में हां मिलायेगा। मुझसे यह नहीं पूछेगा कि चंदा कहां से आया, किस-किस
ने दिया, कहां-कहां खर्च हुआ, कितना बचा है और जो बचा है वो कहां है ?
राजनीति धंधा है भैया ! दिन रात एक किये हैं, इस धंधे को जमाने में। धंधे में करोड़ो कमाये हैं, तो यह मेरे दिमाग और तिकड़म का कमाल है। आप में भी हुनर हो तो आप ही कमा कर दिखा दो। अच्छे-अच्छे तीस मार खां राजनीति की दुकान खोल कर बैठे हैं। दुकान को जमाने में वर्षों लग गये, तब कहीं जा कर दुकान चली और मुनाफा हुआ। हमने तो सारा कमाल तीन साल में ही कर दिया। इतना मुनाफा कमाया कि धन सम्भाले नहीं सम्भल रहा है।
राजनीति की दुकान खोल कर लोगों के वोट लेने में कर्इ खेल खेलने पड़ते हैं। ड्रामें करने पड़ते हैं, झूठ बोलना पड़ता है, झूठे वादे करने पड़ते हैं, तब कहीं जा कर वे वोट देते हैं। हम इस कला में कितने निपूण निकलें यह तो पूरी दुनियां ने देख लिया। जनता को मूर्ख बना कर सारे के सारे वोट अपनी झोली में डाल दिये। बड़े-बड़े महारथी चारो खाने चित हो गये। जब हम ऐसा कमाल कर सकते हैं, तो मेरी आप पार्टी पर मेरा ही हक हुआ न। मै चाहे जो करुं मुझे आखिर रोकने और टोकने वाले कौन होते हैं ?
डायबीटीज और खांसी तो पहले ही थी। पर हमारी बिमारी को भी हमने अपना राजनीतिक भविष्य संवारने में लगा दिया। स्तीफा देने का नाटक किया। पूरी योजना के तहत हम मासूम बन कर और बिमारी का बहाना बना कर चुप रहेंगें, ताकि आम जनता की हमदर्दी हमारे साथ बनी रहे और वे लोग जनता की नज़रों में गिर जाय। मैंने अपने विश्वस्त शार्गिदों को कह दिया कि मीडिया में जा कर मेरे खिलाप बोलने वालों पर हमले करों। मेरा स्तीफा स्वीकार मत करों। उन दोनों को पार्टी से निकाल बाहर करों। हमारी पार्टी हम रहेंगे और हमारे वो रहेंगे, जो हम से कभी सवाल पूछने का दुस्साहस नहीं करेंगे।
गर्मियां आते ही बिजली पानी की किल्लत से जनता त्राहि-त्राहि करेगी। आधे दाम बिजली देने की घोषणा कर तो दी, पर आधी बिजली ही दे पाये, तो गनीमत होगा। मुफ्त में पानी कैसे दें पायेंगे, क्योंकि पानी की पार्इप लार्इने ही नहीं है। पाइप लार्इन बिछाने के लिए न तो योजना हैं और न ही दमखम। दूसरे वादे हम तो पूरा कर भी नहीं सकते। अब दिल्ली की मूर्ख जनता को समझाने के लिए नौटंकियां करनी पड़ेगी। केन्द्र की सरकार के खिलाप मोर्चो खोलना पड़ेगा। अन्ना को फिर दिल्ली बुलायेंगे, ताकि जनता का ध्यान मूल समस्याओं से हटाया जा सके। आप सभी जानते हैं, हमें काम नहीं करना आता, नौटंकियां करना आता है।
दिल्ली की सतसठ सीटें मिली है भार्इजान। दिल्ली विधानसभा में हमारे खिलाप बोलने और सवाल पूछने वाले ही नहीं है। यही हाल हम अपनी पार्टी का कर रहे हैं। हम सुप्रीमों हैं, रहेगें और हमारी आप पार्टी का नाम अब होगा-मेरी आप पार्टी ! दिल्ली की जनता जाय भाड़ में हमें तो सुप्रीमों बनना है भार्इ
राजनीति धंधा है भैया ! दिन रात एक किये हैं, इस धंधे को जमाने में। धंधे में करोड़ो कमाये हैं, तो यह मेरे दिमाग और तिकड़म का कमाल है। आप में भी हुनर हो तो आप ही कमा कर दिखा दो। अच्छे-अच्छे तीस मार खां राजनीति की दुकान खोल कर बैठे हैं। दुकान को जमाने में वर्षों लग गये, तब कहीं जा कर दुकान चली और मुनाफा हुआ। हमने तो सारा कमाल तीन साल में ही कर दिया। इतना मुनाफा कमाया कि धन सम्भाले नहीं सम्भल रहा है।
राजनीति की दुकान खोल कर लोगों के वोट लेने में कर्इ खेल खेलने पड़ते हैं। ड्रामें करने पड़ते हैं, झूठ बोलना पड़ता है, झूठे वादे करने पड़ते हैं, तब कहीं जा कर वे वोट देते हैं। हम इस कला में कितने निपूण निकलें यह तो पूरी दुनियां ने देख लिया। जनता को मूर्ख बना कर सारे के सारे वोट अपनी झोली में डाल दिये। बड़े-बड़े महारथी चारो खाने चित हो गये। जब हम ऐसा कमाल कर सकते हैं, तो मेरी आप पार्टी पर मेरा ही हक हुआ न। मै चाहे जो करुं मुझे आखिर रोकने और टोकने वाले कौन होते हैं ?
डायबीटीज और खांसी तो पहले ही थी। पर हमारी बिमारी को भी हमने अपना राजनीतिक भविष्य संवारने में लगा दिया। स्तीफा देने का नाटक किया। पूरी योजना के तहत हम मासूम बन कर और बिमारी का बहाना बना कर चुप रहेंगें, ताकि आम जनता की हमदर्दी हमारे साथ बनी रहे और वे लोग जनता की नज़रों में गिर जाय। मैंने अपने विश्वस्त शार्गिदों को कह दिया कि मीडिया में जा कर मेरे खिलाप बोलने वालों पर हमले करों। मेरा स्तीफा स्वीकार मत करों। उन दोनों को पार्टी से निकाल बाहर करों। हमारी पार्टी हम रहेंगे और हमारे वो रहेंगे, जो हम से कभी सवाल पूछने का दुस्साहस नहीं करेंगे।
गर्मियां आते ही बिजली पानी की किल्लत से जनता त्राहि-त्राहि करेगी। आधे दाम बिजली देने की घोषणा कर तो दी, पर आधी बिजली ही दे पाये, तो गनीमत होगा। मुफ्त में पानी कैसे दें पायेंगे, क्योंकि पानी की पार्इप लार्इने ही नहीं है। पाइप लार्इन बिछाने के लिए न तो योजना हैं और न ही दमखम। दूसरे वादे हम तो पूरा कर भी नहीं सकते। अब दिल्ली की मूर्ख जनता को समझाने के लिए नौटंकियां करनी पड़ेगी। केन्द्र की सरकार के खिलाप मोर्चो खोलना पड़ेगा। अन्ना को फिर दिल्ली बुलायेंगे, ताकि जनता का ध्यान मूल समस्याओं से हटाया जा सके। आप सभी जानते हैं, हमें काम नहीं करना आता, नौटंकियां करना आता है।
दिल्ली की सतसठ सीटें मिली है भार्इजान। दिल्ली विधानसभा में हमारे खिलाप बोलने और सवाल पूछने वाले ही नहीं है। यही हाल हम अपनी पार्टी का कर रहे हैं। हम सुप्रीमों हैं, रहेगें और हमारी आप पार्टी का नाम अब होगा-मेरी आप पार्टी ! दिल्ली की जनता जाय भाड़ में हमें तो सुप्रीमों बनना है भार्इ
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