सता खोने की छटपटाहट और पुन: पाने की कुलबुलाहट से सोनिया के वफादार सिपाही भारत को फिर उसी अंधेरे युग में ले जाना चाहते हैं, जहां से बमुश्किल मुल्क बाहर आया है। महारानी ने अपने अनुयायियों को आदेश दिया है- सत्ता के बिना रहना हमारे स्वभाव में नहीं। हम सत्ता के लिए जीते हैं और सत्ता के लिए ही मरते हैं। सत्ता सुख के लिए ही इस देश में रह रहे हैं। अपने परम बैरी को सत्ता सुख भोगते देख हमारे सीने पर सांप लौट रहा है। अत: मेरे आज्ञकारी अनुयायियों ! मोदी सरकार की गललियां ढूंढों। तिल का ताड़ बनाओं। रार्इ का पहाड़ बनाओ। जनता को अहसास हो जाय कि हमारे साथ दगाबाजी कर भारत की जनता ने बहुत बड़ी भूल की है। हमारा अब एक ही मिशन है- जनता से उसकी गलती का बदला लो। सरकार के किसी काम को सही मत ठहराओ। सरकार के विधायी कामों में अडंगे डालो। इतना शोर मचाओ कि आकाश हिल जाये और धरती कांप उठे।
आजकल कांग्रेस के हारे हुए योद्धा उस रण की तैयारी में तलवारें भांज रहे हैं, जो चार वर्ष बाद लड़ा जाने वाला है। रणबांकुरे सत्ता पाने के लिए तड़फ रहे हैं। उन्हें ऐसे लगा रहा है जैसे उनका प्रतिद्वंद्वी उनका शोर सुनकर कांप उठेगा। उनके सामने हथियार डाल देगा और सत्ता छोड़ कर भाग जायेगा। बावलों को यह नहीं मालूम कि न तो उनका प्रतिद्वंद्वी इतना लाचार और शक्तिहीन है, और न ही जनता की स्मरण शक्ति इतनी कमजोर है कि उनके पापों को भूल कर उन्हें पूण्यात्मा मानने लगेगी। पर महारानी का आदेश है- युद्ध चाहे आज हो या चार बरस बाद, हमें तैयारी आज से शुरु करनी पड़ेगी। उन्हें ललकारतें हुए अपनी ताकत का अहसास कराते रहो। चाहे संसद में हमारे सांसदों की कमी हो, पर हमारे पास धन की कमी नहीं है। हम सड़कों पर भीड़ एकत्रित कर हंगामा करने में सक्षम हैं। उन्हें शायद यह आभास नहीं कि आप भले ही सत्ता में बैठे हों पर सभी जगह हमारे आदमी जमे हुए हैं। मीडिया में हमारे चहते आदमी है, जो हमारे सुर में सुर मिलाते हैं। सरकरी दफ्तरो में हमारे वफादार बैठें हैं, जो मोदी सरकार को फेल करना चाहते हैं। क्रानी केपीटलिजम से धन कमाने वाले भारतीय उद्योगपति हमारे हैं, क्योंकि वे र्इमानदारी से नहीं बैमानी से धन कमाने के आदि हैं। मोदी सरकार से उनकी पटरी नहीं बैठ रही है। ये सभी हमारी सरकार चाहते हैं। हमारे साथ जो भी रहा, उसने जम कर मजे लूटे। हमारे पास ही वह साम्मर्थय है, जिससे सभी के मौज-मस्ती के दिन लौट आयेंगे। हमारे दिन वापस आते ही सरकारी धन का खूब मजा लुटेगे । खूब घपले- घोटाले करेंगें। ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि भारत में ऐसी ही सरकारे बनती है और चलती है।
जनता ने आपातकाल के अपराधियों को भी क्षमादान दे कर सता सौंपी, तो हमे क्यों नही सौंपेगी ? आखिर हम भी तो उसी खानदान के अवशेष हैं, जिसने भारत की जनता के साथ हमेशा दगाबाजी की पर जनता ने उसे सम्मान और आदर दिया। इसलिए इस बात पर रंज मत करो कि हमने पूरा प्रशासनिक ढांचा भ्रष्ट कर उसे शिथिल और अस्तव्यवस्त कर दिया। इस बात पर भी अफसोस मत करो कि हमारी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था का कबाड़ा कर दिया। इस बात पर भी पछताने की जरुरत नहीं है कि हमने घोटालों और घपलों से राजकोषीय घाटा इतना बढ़ाया की महंगार्इ आकाश छूने लगी। जनता ने हमे ठुकरा दिया इस पर हमे कोर्इ ग्लानि नहीं हैं, क्योंकि हम देश में ऐसी परिस्थितियां निर्मित करने में सक्षम हैं, जिससे थक हर हार कर जनता को हमारी ही शरण में आना पड़ेगा।
बड़े-बड़े घोटाले जो जांच से साबित हो गये, फिर भी हम नहीं मानते कि हमने कोर्इ घोटाले किये थे। पकड़े गये तब भी अपने आपको चोर नहीं समझते हैं। दस साल में बीस लाख करोड़ का घपला हुआ, फिर भी हमे अपना दामन साफ लगता है, क्योंकि हम घोटालों के मुख्य सूत्रधार है, पर हम पर कोर्इ आरोप बनते ही नहीं, क्योंकि हम किसी संवैधानिक पद पर नहीं थे, हमने कहीं अपने हस्ताक्षर नहीं किये। भारत का कोर्इ न्यायालय हमे दोषी ठहरा कर सजा नहीं सुना सकता। हांलांकि जनता ने हमे दोषी मान कर सजा सनुा दी है, पर हमे विश्वास है वह भी क्षमा कर कर देगी। हां, यह सच है कि घोटालों का अधिकांश धन हमने ही डकारा है, पर धन कहां है और हमने इसे कहां छुपा रखा है, इसका रहस्य हम कभी किसी को नहीं बतायेंगे। सरकार के पास न तो इतने स्त्रोत है और न क्षमता है कि वह हमारे छुपे हुए धन को खोज सके।
हम मानते हैं कि हम सर से पांव तक कीचड़ से सने हुए हैं, परन्तु यदि किसी के उजले दामन पर जरा से भी छींटे होने का आभास हों तो हमे शोर मचाने का अधिकार हैं, क्योंकि हम सत्ता में नहीं है। हम जनता को समझा देंगे कि आप हमारे शरीर पर जो कीचड़ देख रहे हैं, वह दरअसल आपका दृष्टि भ्रम है। आप पर हमारे ऊपर से दृष्टि हटा कर उनके कपड़ो पर दाग ढूढ़िये, जिसका आभास हमे हो रहा है।
हम जानते हैं कि भारत को आज़ादी मिले वर्षों हो गये, किन्तु इस देश की जनता की मानसिकता से गुलामी पूरी तरह हटी नहीं है, इसीलिए तो हमारी पार्टी के वफादार सिपाही एक विदेशी को ही अपना नेता मानते हैं और फिर एक विदेशी को हाथों में देश को सौंपने के लिए उतावले हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें देशी शासक बिल्कुल पसंद नहीं हैं। उन्हें इस बात का भी अहसास नहीं कि पार्टी नेतृत्व के कारण ही पूरे देश में पार्टी मुंह दिखाने लायक नहीं बची है, फिर भी उनकी वफादारी में कोर्इ आंच नहीं आर्इ है। हमारी पार्टी के नेता देशी नेतृत्व को कोसते रहेंगे और विदेशी नेतृत्व के प्रति आस्था प्रकट करते रहेंगे। भारत की राजनीति से जब तक हमारी पार्टी का अस्तित्व बचा रहेगा। पार्टी में हमारे वफादार अनुयायियों की भरमार रहेगी, हमारा राजनीतिक जीवन चलता रहेगा।
सम्भवत: इसीलिए कांग्रेस महारानी के वफादार सेवकों ने मोदी सरकार के विरुद्ध चार साल तक चलने वाले एक निर्णायक युद्ध की घोषणा कर दी है। उन्हें विश्वास है कि यदि सरकार के विरुद्ध इसी तरह की आक्रामकता दिखाते रहेंगे तो चार साल तक लड़े जाने वाले निर्णायक युद्ध में उनकी जीत निश्चित होगी। उनकी महारानी के पास सत्ता की डोर आ जायेगी। उनका नौसिखिया पुत्र भारत का शासन सम्भाल लेगा। देशी शासको का पराभव हो जायेगा और विदेशी शासक फिर भारतीयों पर शासन करने का अधिकार पा लेंगे।