देश में वर्तमान जाती , धर्म आधारित आरक्षण प्रणाली क्या देश को उन्नत्ति मार्ग पर ले जाने में सहायक है या उल्टा देश की सामाजिक व्यवस्था को तोड़ रहा है ? हमारे संबिधान में आरक्षण की व्यबस्था सामाजिक आर्थिक पिछड़ापन को दूर करने के लिए किया गया था , आज की भारतीय समाज में कोई जाती नहीं जिसमे सभी आर्थिक रूप से या सामाजिक रूप से पिछड़ा हो , आर्थिक पिछड़ापन समाज के सभी जातियो में है , वर्तमान सरकारी आंकड़ा में सबसे सटीक आंकड़ा समाज के आर्थिक पिछड़ा को दर्शाने के लिए BPL व् लाल कार्ड है इसमें सभी जाती व् धर्म के वैसे सभी व्यक्ति समाहित है जो आर्थिक व् सामाजिक रूप से पिछड़ा है , यदि आरक्षण का उद्धेश्य सामाजिक आर्थिक पिछड़ापन को दूर करना है तो क्यों नहीं आरक्षण की व्यवस्था BPL व् लाल कार्ड धारको के लिए हो न कि किसी जाती व् धर्म के लिए , इससे आरक्षण के नाम पर राजनीती नहीं होगी तथा आरक्षण का वास्तविक लाभ समाज व् देश को मिलेगा , इस विषय पर गंभीर वहस क्यों नहीं होना चाहिए ?
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