Thursday, 11 February 2016

एक परिवार से नहीं हारेगा भारतीय लोकतंत्र


सतालोलुप उद्धण्ड़ परिवार और उसकी चाटुकार मंड़ली भारतीय लोकतंत्र को पुन: नियंत्रण में ले कर इसे राजतंत्र में परिवर्तित करने के लिए मचल रही है। एक परिवार को सत्ता से हटा कर भारतीय लोकतंत्र मजबूत हो कर उभरा है। संसद में और सड़को पर निरर्थक चीख पुकार का कोर्इ असर भविष्य में होने वाला नहीं है। परिवार और उनके अनन्य भक्त चाहे जितनी कोशिश कर लें, अब भारत की जनता एक परिवार की दासता स्वीकार नहीं करेगी। उन्मादग्रस्त हो जो जनता की सरकार पर अनावश्यक प्रहार कर लोकतंत्र की जड़े काटने का प्रयास कर रहे हैं, वे शायद भूल रहे हैं कि उनके प्रहार से लोकतंत्र का मजबूत वृक्ष कटेगा नहीं।
देश की समस्याओं पर कभी गहन मंथन नहीं किया। अपना कोर्इ चिंतन राष्ट्र के समक्ष नहीं रखा। जनता को गरीबी, बैरोजगारी और पिछड़ेपन से कैसे मुक्ति दिलार्इ जा सके, ऐसी किसी कार्ययोजना पर काम नहीं किया। अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी प्रशासनिक व्यवस्था को र्इमानदार और चुस्त दुरुस्त करने का कभी प्रयास नहीं किया। वर्षों तक राजनीति में रहे, किन्तु जो भारत को समझने में नितांत असफल रहें, वे भारत पर शासन करने का अपना अधिकार समझते हैं। उनके अनुयायी जनादेश को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। वे यह मानने के लिए भी तैयार नहीं है कि भारत पर शासन का अधिकार एक परिवार से बाहर का व्यक्ति भी कर सकता है।
उद्धण्ड़ता, आक्रामकता, स्वामीभक्ति से लबोलुआब एक परिवार अपने झूठ और फरेब से जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि जनता इनके बहकावा में आ कर फिर परिवार की दासता स्वीकार कर लें। जनता द्वारा चुनी हुर्इ सरकार को ये लोग एक व्यक्ति और चंद उद्योगपतियों की सरकार बता रहे हैं, पर न तो इनके पास अपनी बात को साबित करने के लिए तर्क है और न ही अपनी कही गर्इ बात के कोर्इ अकाट्य प्रमाण ।
छिछोरापन और असंगत अभद्र शब्दावली अपरिपक्कता मानसिकता की निशानी है। जबकि हकीकत यह है कि दस वर्षों तक भारत पर एक लुटेरे परिवार ने शासन किया था और शासन और प्रशासन की सारी शक्तियों को अपने पास केन्द्रित कर रखा था। देश के संसाधनो को जम कर लूटा था, जिसके प्रमाण देश के पास हैं। न्यायालय ने भी इस पर अपनी मुहर लगा रखी है। फिर क्यों अपनी कीचड़ से सनी सूरत को आर्इने में देखने के बजाय दूसरों पर कीचड़ उछाल रहे हैं? क्या एक परिवार और उसके भक्त यह मानते हैं कि भारत की जनता ने उनके पापों को भुला, उन्हें क्षमादान दे दिया है ?
आक्रामक तेवर अपना कर बात बात पर जो लोग मोदी सरकार को कटघरें में खड़ा करते हैं, वे इस बारें में आक्रामक हो कर अपनी सफार्इ क्यों नहीं देते कि टूजी स्पेक्ट्रम और कोलगेट जैसे कर्इ ऐतिहासिक घोटालें उनके शासन के दौरान नहीं हुए थे ? इस बात का खण्ड़न क्यों नहीं करते कि लाखों करोड़ के घोटालों में उनकी कोर्इ भागीदारी नहीं थी ? भूमिका नहीं थी ? गबन किये गये सरकारी धन का एक ढेला भी उनके पास नहीं है ? भारत की सत्ता पाने के लिए बावले हो रहे लोग राष्ट्र को यह क्यों नहीं समझा पा रहें है कि घोटाले किन लोगों ने किये थे ? घोटालों का धन किस के पास है ? यदि इस बारें में बोलने के लिए उन्होंने अपने होंठ सी सखें हैं तो उन्हें किसी अन्य मामलें में बोलने का कोर्इ नैतिक अधिकार नहीं है।
नेशनल हैरल्ड़ प्रकरण पर परिवार के चाटुकार वकील भोंथरे तर्कों से यह बात देश की जनता को समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि कम्पनियें बना कर एक अखबार की अरबों रुपये की सम्पति हडप्पने में एक पैसे का भी घोटाला नहीं हुआ। परन्तु पारिवारिक पार्टी मामले को न्यायालय में जाने से क्यों भयभीत हो रही है ? क्यों अपनी खीझ संसद के कामों में व्यवधान डाल कर प्रकट कर रही है ? क्या यह छल की पराकाष्ठा नहीं हैं ? चोरी भी करेंगे और उत्पात मचा कर चोरी को साबित नहीं होने देंगे, ऐसी कपटपूर्ण नीति को क्या कहेंगे ? हम उनकी बेतुकी बातें सुन रहे हैं, यह हमारी सहनशीलता हैं, परन्तु वे इस बात पर क्यों आश्वस्त है कि जो कुछ हम कहेंगे, देश की जनता स्वीकार कर लेगी ?
शताब्दियों से भारत को विदेशी आक्रान्ताओं ने हमारी दुर्बलताओं का लाभ उठा जम कर लूटा। इतिहास के हर मोड़ पर लुटेरों को जयचंद मिले, जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए देश की सम्प्रभुता के साथ सौदा किया। विदेशी आक्रान्ताओं ने हमारी आपसी फूट का खूब लाभ उठाया। अब विदेशी लुटेरे हमें जाति और धर्म के आधार पर बांट कर हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर नियंत्रण स्थापित कर लूट को अंजाम दे रहे हैं। क्या हम एकजुट हो कर इस दुर्भाग्यजनक स्थिति को बदल नहीं सकते ?
यह हक़ीकत है कि एक पारिवारिक पार्टी के संचालाकों ने दस वर्ष तक देश के संसाधनों को जम कर लुटा। दुर्भाग्य से इस पार्टी पर एक विदेशी महिला का नियंत्रण है और पार्टी के भीतर से कोर्इ भी पदाधिकारी उन्हंं चुनौति देने की स्थिति में नहीं है। यह पार्टी अब सत्ता से बाहर है, किन्तु हमारी दुर्बलता का लाभ उठा कर फिर सत्ता पाना चाहती है, ताकि निर्बाध लूट के क्रम को जारी रखा जा सके। निश्चय ही इनकी नीति और नीयत सही नहीं है। परिवार के भक्तों की चाटुकार मंड़ली इनकी अधीनता स्वीकार कर रही है, पर भारतीय लोकतंत्र ऐसा नहीं कर पायेगा।
निरर्थक प्रपंच और बतंगड़ के जरिये पारिवारिक पार्टी संसद को ठपप कर रही है और जब तक इनके संचालाकों के हाथ में सत्ता नहीं आती, ये अपने उपक्रम को जारी रखेंगे। परन्तु हम क्यों मौन हो कर इनके कपट को मान्यता दे रहे हैं ? एक सरकार को पांच वर्ष के लिए जनता ने चुना है और इसे जनता ने ही काम करने का अधिकार दिया है, फिर एक विदेशी को क्या अधिकार है कि अपने चाटुकारों के जरिये ससंसद में उत्पात मचायें ? हम इन उत्पादियों को यह क्यों नहीं बताने का प्रयास करते कि भारतीय लोकतंत्र एक परिवार के समक्ष आपकी तरह नतमस्तक हो कर नहीं खड़ा है ? दरअसल हमारे मौन से इनका साहस बढ़ रहा है। हम इन्हें पूरी तरह तिरस्कृत कर यह साबित कर सकते हैं कि अपने स्वार्थ के लिए भारतीय लोकतंत्र को बंदी बनाने का प्रयास मत करो। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की संचालक जनता होती है कोर्इ व्यक्ति या परिवार नहीं।

Monday, 1 February 2016

मोदी सरकार को हटाने के लिए क्यों बेताब है-पाकिस्तानी सेना और भारत की कांग्रेसी जमात ?

मोदी सरकार को हटाने के लिए क्यों बेताब है-पाकिस्तानी सेना और भारत की कांग्रेसी जमात ?
नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते ही पाकिस्तानी सेना और भारत की कांग्रेसी जमात की बौखलाहट  एक साथ बढ़ गर्इ, क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए नरेन्द्र मोदी स्वीकार्य नहीं थे। दोनों ने ही भारत की जनता द्वारा दिये गये जनादेश को क्रोधित हो कर अस्वीकार्य किया।  पाकिस्तानी सेना ने अपनी सहायक संस्थाएं – आर्इएसआर्इ और आतंकी संगठनों  की मदद से दहशतगर्दी तेज कर मोदी सरकार को ललकार रही है।  वहीं सोनिया और राहुल ने मोदी सरकार के विरुद्ध संसद में और सड़कों पर कोहराम मच रखा है। असहिष्णुता और दलित अत्याचार जैसे मुद्ध अनेक हैं, पर सभी का सारांश एक है- सत्ता से हट जाओ, इस पर हमारा अधिकार है !
भारत विभाजन का सर्वाधिक लाभ पाकिस्तानी सेना के अफसरो और कांग्रेसी नेताओं ने उठाया है। कांग्रेसी नेताओं को सत्ता क्या मिली जैसे सोने की खान मिल गर्इ। जब भी सत्ता से दूर होते हैं, बैचेन हो कर तड़फ उठते हैं। फकीर गांधी से अमीर राहुल गांधी के युग तक आते आते कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचार का दलदल बन गर्इ हैं, जिसमें दुर्गन्ध आ रही है। देश भर में सत्ता का लुत्फ उठा चुके या उठा रहे कांग्रेसी नेता आज भारत के सर्वाधिक धनी राजनेता हैं। यदि चिराग ले कर ढूंढा जाय तो आपको देश भर में एक भी र्इमानदार और गरीब कांग्रेसी नेता नहीं मिलेगा। अर्थात गांधी की कांग्रेस को दफनाया जा चुका है। सोनियां-राहुल की विचारशून्य, अनैतिक व भ्रष्ट कांग्रेस खड़ी है, जो किसी भी तरह फिर सत्ता पाने के लिए मचल रही है।  ऐसी आंशका है कि यदि भविष्य में कांग्रेस को सत्ता पाने के लिए देश के दुश्मनों का साथ ही क्यों न लेना पड़े, वह हिचकिचायेगी नहीं।
पाकिस्तान क्या बना जैसे पाकिस्तानी सेना के अफसरों के भाग्य ही खुल गये। सत्ता और ताकत का असली मजा पाकिस्तान में सेना के अफसर लूट रहे हैं। लोकतंत्र बैचारा सहमा-सहमा, डरा-डरा सेना के सामने लाचार हो कर नतमस्तक खड़ा है। सेना ऐसी परिस्थतियां पैदा करती रही है, जिससे भारत-पाक के बीच दुश्मनी बढ़ती रहे। कभी दोनों देशों की आवाम नज़दीक नहीं आ पाये, क्योंकि ऐसा होगा तो सेना द्वारा तैयार किया गया तिलस्म टूट जायेगा। पाकिस्तान का वजूद खत्म हो जायेगा। दहशतीगर्दी और नशे का व्यापार चौपट हो जायेगा।   पाकिस्तानी सेना और आर्इएसआर्इ के अफसर मालामाल है। अरबों कमा रहे हैं और करोड़ो बांट रहे हैं। ड्रग्स की  कमार्इ दहशतगर्दी के व्यापार में लगा रखी है। पाकिस्तान में चल रही कर्इ आतंकी फैक्ट्रीयों की पाकिस्तानी सेना मालिक है। फैक्ट्रीयों के मालिक आतंकी आका है, जो  सेना और आर्इएसआर्इ के शार्गिद हैं। कमीशन के तौर पर इन आकाओं को भी भारत में दहशतगर्दी बढ़ाने के एवज में करोड़ो रुपये मिलते हैं, जिसका आधे से अधिक भाग अपनी जेबों में रखते हैं और बचा हुआ दहशतगर्द तैयार करने में लगाते हैं। भारत में भी इन आकाओं ने अपने अंधे अनुयायियों की जमात तैयार कर रखी है, जिन्हें धन के प्रलोभन और मजहबी उन्माद से उकसा कर भारत राष्ट्र के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए उकसाय जाता है।
भारत के सेकुलर राजनीतिक दल पाकिस्तानी सेना के गोरखधंधे के अप्रत्यक्ष मददगार हैं, क्योंकि पाकिस्तानी सेना जिन्हें मोहरा बना कर खेल खेलती है, वे सेकुलर राजनीतिक दलों के वोट बैंक हैं। सत्ता पाने के लिए वोट चाहिये, क्योंकि चुनाव जीतने के लिए एक समुदाय विशेष के थोक वोटों का उनके लिए बहुत अधिक महत्व हैं। सेकुलर राजनीतिक दलों के लिए देशहित गौण है, तुष्टीकरण महत्वपूर्ण हैं। अत: सेकुलर जमात ने पाकिस्तान सेना द्वारा प्रायोजित नशे और आतंक के व्यवसाय को बंद करने का कभी गम्भीर प्रयास नहीं किया। आतंकी घटना को अंजाम देने के बाद आतंकी आसानी से भाग जाते। उनके छुपने के ठिकानों को ढूंढ़ा नहीं जाता। उन्हें पकड़ा नहीं जाता। यूपीए शासन के दस वर्षों में अनेकों आतंकी घटनाएं घटी। सैकड़ो निर्दोष नागरिकों की जाने गर्इ, पर कुछ ही आतंकी पकड़े गये।
पाकिस्तानी सेना को मोदी सरकार पर भरोसा नहीं हैं, क्योंकि सरकार बनते ही नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ, सबका विकास का नारा दिया था। वे सब को साथ ले कर चलना चाहते हैं। एक समुदाय विशेष के थोक वोटों का उन्हें लालच नहीं है। वे तुष्टीकरण को महत्व नहीं देते, इसलिए पाकिस्तानी सेना को अपने ड्रग्स और आतंक के कारोबार के चौपट होने की आशंका बढ़ गर्इ है। इसीलिए आर्इएसआर्इ ने पठानकोट के आतंकी हमले का षड़यंक रचा। इसका मूल मकसद भारी तबाही कर मोदी सरकार के प्रति जनता का मोह भंग करना था। पठानकोट में जब विशेष कामयाबी नहीं मिली तो गणतंत्र दिवस के दिन पूरे देश को आतंक से दहला देने का षड़यंत्र रचा, पर सुरक्षा बलों ने सुदृढ़ चौकसी से दहशतगर्दों को देश में घुसने नहीं दिया। गुप्तचर एजेंसियों से पूरा देश सतर्क हो गया और पुलिस ने उन लोगों को ढूंढ निकाला जो आर्इएसआर्इ के इशारें पर देश भर में तबाही मचाने की योजना बना रहे थे।
पाकिस्तानी सेना नरेन्द्र मोदी को हटाना चाहती है, क्योंकि उन्हें भय है कि कहीं वे नवाज से दोस्ती के बहाने पाकिस्तानी जनता का दिल नहीं जीत लें। जनता ने यदि सेना के विरुद्ध विद्रोह कर दिया तो सेना उसे दबा नहीं पायेगी। पाकिस्तान -टूकड़ो  में बंट जायेगा, क्योंकि पाकिस्तान के कर्इ प्रान्तों में असतांष सुलग रहा है, जिसे सेना ने ताकत से दबा रखा है। इसीलिए सेना को नरेन्द्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री नहीं चाहिये, जिसका ज़मीर बिकाऊ नहीं हो। सेना को कांग्रेसी सरकारें पंसद है, जो लूट के कारोबार में व्यस्त रहती है उसके कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए पूरे शिद्दत के साथ खड़ी नहीं होती।
पाकिस्तानी सेना नरेन्द्र मोदी को हटाने के लिए वीभत्स आतंकी षड़यंत्रों को अंजाम देने में लगी है, ताकि भारत में अराजकता फैलायी जा सके। उधर कांग्रसी नेता असहिष्णुता के बहाने अल्पसंख्यक समुदाय के मन में जानबूझ कर असुरक्षा का भाव भर रहे हैं, ताकि वे अराजक बन जाये। दलितों का सरकार से मोहभंग करने के लिए उनके मन में यह बात बिठार्इ जा रही है कि मोदी सरकार दलित विरोधी और अत्याचारी है। अप्रत्यक्ष रुप से पाकिस्तानी सेना और कांग्रेसी नेता सरकार के विरुद्ध मिल कर काम कर रहे हैं। दोनो के अपने अपने स्वार्थ हैं, पर इस स्वार्थ में देानों देशों की जनता पीस रही है। हमे पाकिस्तानी सेना और कांग्रेसी नेताओं की नीति और नीयत संदिग्ध लग रही है। ये दोनो अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकते, यदि भारत की जनता मोदी सरकार के पीछे दृढ़ता से खड़ी हो जाय।