कांग्रेस ने अपनी आसन्न पराजय स्वीकार कर ली है। उसके बड़े-बड़े योद्धा
चुनाव लड़ने से कतरा रहे हैं। पार्टी छोड़ कर भागने का हडकम्प मचा है।
राहुल को प्रधानमंत्री बनना नहीं है। वे हारी हुई बाजी को जीतने की तैयारी
में लगे हुए है। उन्हें खेल जीतना नहीं, बिगाड़ना है। वे मध्यवावदी चुनावों
की आशाएं संजो बैठे हैं, जिसमें वे हीरो बनने के सपने देख रहे हैं।
राजनीति के इस गंदे खेल में केजरीवाल उनके प्रमुख सहयोगी बने हुए हैं। अपनी
दो वर्ष पुरानी पार्टी को अखिल भारतीय स्वरुप देने के लिए वे बेताब है।
राजनीति के गंदे खेल में रम गये हैं। खेल मे उन्हें मजा आ रहा है। भारत की
राजनीति की सारी गंदगी अपने ऊपर उडेल कर वे मुस्करा रहे हैं। राजनीति के
व्यवसाय में उन्होने इतना धन कमाया है, जिसकी उन्हें कभी आशा नहीं थी।
झूठ और प्रपंच की नौटंकियों से राजनीति की दुकान सफलता से जमाई जा सकती है, यह उनके मिशन का एक भाग है। इसी मिशन के तहत वे भाजपा का खेल बिगाड़ने में लगे हैं। उन्हें भरोसा है कि जिस तरह दिल्ली में उन्होंने भाजपा को सत्ता की दहलीज पर आ कर रोक दिया था, ऐसे ही वे केन्द्र की सत्ता में आने से भी रोक देंगे। मोदी का प्रधानमंत्री बनने का सपना चूर-चूर कर देंगे। एक हद तक वे अपने मिशन में सफल हो रहे हैं, क्योंकि भाजपा उनके झूठ और प्रपोगंड़ा का प्रभावी जवाब देने के तरीके नहीं ढूंढ पा रही है।
केजरीवाल को झूठ बोलने में न शर्म है, न झेंप हैं और न ही झूठ के पकड़े जाने पर वे शर्मिंदगी महसूस करते हैं। एक के बाद एक वे नये नये झूठ सुनियोजित तरीके से हवा में उछालते जा रहे हैं और भाजपा नेता उनका प्रभावी जवाब नहीं दे पा रहे हैं। जबकि उनकी हर झूठ बात का आसान व तथ्यों के अनरुप ठोस जवाब उपलब्ध है। यह जरुरी नहीं कि मोदी के विरुद्ध उगले गये जहर का जवाब पलट कर मोदी ही दें। भाजपा के पास ढे़रो प्रवक्ता है और देश के हर कोने में प्रभावशाली नेता हैं। मात्र सोशल मीडिया में ही सारे झूठ को उजागर करने से काम बनने वाला नहीं है। उनके झूठ का जवाब उन्हीं की तर्ज पर सार्वजनिक रुप से जनता के सामने देना होगा। यह काम देश भर में फैले हुए भाजपा नेताओं को प्रभावी ढंग से करना होगा, अन्यथा उनके बेलगाम झूठ पर अंकुश नहीं लगेगा और झूठ बोलने में उनका साहस बढ़ता जायेगा।
रिलायंस गैस प्रकरण पर निरन्तर वे मोदी पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में तीन पीआईएल पहले से लगी हुई है, जिसका निर्णय लंबित है। दूसरा गैस का यह मामला केन्द्र के पैट्रोलियम मंत्रालय के अधीन है, जिसमें गुजरात सरकार का कोई रोल नहीं है। इस मामले को संसद में भाजपा नेता यशवंत सिन्हा जोर-शोर से उठा चुके हैं। परन्तु केजरीवाल आजकल हर मंच पर यह कह रहें है कि मोदी इस बारें में कुछ नहीं बोल रहे हैं, इसका मतलब वे अम्बानी के एजेंट है। क्या भाजपा नेता उनके इस आरोप का प्रभावी ढंग से जवाब नहीं दे सकते कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट के पास विचाराधीन है, उस पर क्यों टिप्पणी की जाय ? जबकि इस विषय में वे जो भी तर्क और दलीले दे रहें है, वे सब झूठी और तथ्यहीन है। क्या जनता को निरन्तर हर जगह जा कर भ्रमित करने के उनके इस प्रयास को विफल करने की कोशिश नहीं की जा सकती ?
एक उनका बहुप्रचारित झूठ है- ‘गुजरात में कोई विकास नहीं हुआ।’ क्या इस सफेद झूठ का भी भाजपा के पास जवाब नहीं है। इस झूठ का जवाब दिया भी जा रहा है, किन्तु जिस ढंग से केजरीवाल और उनके अनुयायी बोले जा रहे हैं, उससे साफ लग रहा है कि केजरीवाल मंड़ली की तुलना में भाजपा काफी शिथिल है।
केजरीवाल की बेहुदा नौटंकी पर तरस आता है जब वे महाराष्ट्र में जा कर गुजरात में हुई किसानों की आत्महत्या के आंकड़े दे रहे हैं। जबकि महराष्ट्र में किसानों के आत्महत्या करने की घटनाएं अब भी रोज हो रही है। यही झूठ उन्होंने बैंगलोर में दोहराया और महराष्ट्र पर चुप्पी साधे रहें। गुजरात में हुई किसानों की आत्महत्या के झूठे आंकड़े बैंगलोर में दिये, उसका भाजपा ने जवाब नहीं दिया, जिससे उनका साहस बढ़ गया और उन्होंने बनारस में गुजरात में किसानों की आत्महत्या की संख्या दुगुनी कर दी। बहुत दिनों बाद गुजरात सरकार ने अब विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि गुजरात में मात्र एक किसान ने फसल खराब होने पर आत्महत्या की है।
एक और झूठ वे प्रत्येक जन सभा में जा कर बोल रहे हैं- गुजरात की मोदी सरकार किसानों की जमीन से सस्तें में ले कर अम्बानी अडानी को दे रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि रिलायंस की जामनगर परियोजना 1990 में प्रारम्भ हुई थी, जब मोदी सरकार नहीं थी और रिलायंस ने सारी जमीन किसानों से सीधी खरीदी थी। गुजरात सरका ने उद्योगपतियो के लिए जो भी जमीन अधिगृहण की थी, उसका तरीका बहुत ही पारदर्शी है और उसकी मिशाल पूरे देश में दी जाती है। फिर प्रश्न उठता है कि क्यों केजरीवाल गुजरात सरकार पर झूठे, तथ्यहीन और अर्नगल आरोप लगा रहे हैं और भाजपा नेता उनके झूठ को चुनौती क्यों नहीं दे रहे हैं ?
बनारस की जन सभा में केजरीवाल ने अम्बानी बंधुओं के स्वीस अकाउंट के नम्बर दिये। अब ये नम्बर सही थे या गलत और सही है तो इसकी वास्तविकता क्या है, इसका पूर्ण विवरण जनता को दिया जा सकता था, किन्तु इस पर भी भाजपा नेता चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि स्वीस बैंक में काला धन सरकारी अफसरों और कांग्रेसी नेताओं का है, जिसमें सर्वाधिक मेडम सोनिया का है। यदि केजरीवाल अम्बानी बंधुओ के स्वीस अकाउंट के नम्बर ला सकते हैं, तो दूसरे लोगों के क्यों नहीं ला पा आये ? क्या उनके अलावा और किसी का पैसा स्वीस बैंक में नहीं है ? अन्य के बारें में केजरवाल चुप्प क्यों है ? भाजपा नेताओं को चाहिये कि सार्वजनिक रुप से केजरीवाल के इस झूठ को उजागर करें।
आश्चर्य इस बात पर होता है कि केजरीवाल के झूठे प्रायोजित शो पर भी भाजपा कठोर टिप्पणी नहीं करती, जबकि वे भाजपा की टिप्पणी पर तुरन्त पलट वार करते हैं। मसलन एके 49 पर उन्होंने तुरन्त टिप्पणी कर दी, परन्तु चतुराई से अपनी वेबसाईट पर से कश्मीर को हटाये जाने पर कुछ नहीं बोला। इसी तरह बम्बई प्लेन से गये और एयरपोर्ट पर पूना से लाये गये आॅटो रिक्शा में बैठ कर केजरीवाल और उनके अनुयायियों ने जानबूझ कर ट्राफिक नियमों की धज्जियां उड़ाई। महाराष्ट्र सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की। बनारस में गंगा में डूबकी लगाने का प्रायोजित नाटक किया। अपने लोगों से रोड़ शो में अंडे़ व स्याही फिंकवाई। रोड़ शो गंगा के घाट और मंदिरों से प्रारम्भ किया और समापन मुस्लिम मोहल्लों में जा कर किया। वहां टोपी भी पहनी और अजान के समय अपना भाषण भी रोक दिया । याने लोकप्रियता पाने के वे सारे टोटके किये, जो राजनीति में जमने के लिए किये जाते हैं।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध राजनीति में उतरने वाले केजरीवाल भारत की राजनीति में पैर जमाने के लिए तड़फ रहे हैं और वे सभी उपाय कर रहे हैं, जो स्वच्छ राजनीति की श्रेणी में नहीं आता। उनका सिर्फ सिर्फ भाजपा और मोदी विरोध और अन्य के बारे में चुप्पी यह दर्शाता है कि वे एक षड़यंत्र के तहत काम कर रहे हैं। जानबूझ कर कश्मीर को भारत के नक्शे से हटाना भी मुस्लिम राष्ट्रो से धन प्राप्त करने का एक षडयंत्र है। अतः देश हित में भाजपा नेताओं को केजरीवाल के झूठ को गम्भीरता से लेना होगा और उनकी गंदी राजनीति पर अंकुश लगाने के लिए ठोस व प्रभावी उपाय करने होंगे, अन्यथा उनका साहस बढ़ता जायेगा और वे भाजपा को भारी नुकसान पहुंचाने में सफल होंगे।
झूठ और प्रपंच की नौटंकियों से राजनीति की दुकान सफलता से जमाई जा सकती है, यह उनके मिशन का एक भाग है। इसी मिशन के तहत वे भाजपा का खेल बिगाड़ने में लगे हैं। उन्हें भरोसा है कि जिस तरह दिल्ली में उन्होंने भाजपा को सत्ता की दहलीज पर आ कर रोक दिया था, ऐसे ही वे केन्द्र की सत्ता में आने से भी रोक देंगे। मोदी का प्रधानमंत्री बनने का सपना चूर-चूर कर देंगे। एक हद तक वे अपने मिशन में सफल हो रहे हैं, क्योंकि भाजपा उनके झूठ और प्रपोगंड़ा का प्रभावी जवाब देने के तरीके नहीं ढूंढ पा रही है।
केजरीवाल को झूठ बोलने में न शर्म है, न झेंप हैं और न ही झूठ के पकड़े जाने पर वे शर्मिंदगी महसूस करते हैं। एक के बाद एक वे नये नये झूठ सुनियोजित तरीके से हवा में उछालते जा रहे हैं और भाजपा नेता उनका प्रभावी जवाब नहीं दे पा रहे हैं। जबकि उनकी हर झूठ बात का आसान व तथ्यों के अनरुप ठोस जवाब उपलब्ध है। यह जरुरी नहीं कि मोदी के विरुद्ध उगले गये जहर का जवाब पलट कर मोदी ही दें। भाजपा के पास ढे़रो प्रवक्ता है और देश के हर कोने में प्रभावशाली नेता हैं। मात्र सोशल मीडिया में ही सारे झूठ को उजागर करने से काम बनने वाला नहीं है। उनके झूठ का जवाब उन्हीं की तर्ज पर सार्वजनिक रुप से जनता के सामने देना होगा। यह काम देश भर में फैले हुए भाजपा नेताओं को प्रभावी ढंग से करना होगा, अन्यथा उनके बेलगाम झूठ पर अंकुश नहीं लगेगा और झूठ बोलने में उनका साहस बढ़ता जायेगा।
रिलायंस गैस प्रकरण पर निरन्तर वे मोदी पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में तीन पीआईएल पहले से लगी हुई है, जिसका निर्णय लंबित है। दूसरा गैस का यह मामला केन्द्र के पैट्रोलियम मंत्रालय के अधीन है, जिसमें गुजरात सरकार का कोई रोल नहीं है। इस मामले को संसद में भाजपा नेता यशवंत सिन्हा जोर-शोर से उठा चुके हैं। परन्तु केजरीवाल आजकल हर मंच पर यह कह रहें है कि मोदी इस बारें में कुछ नहीं बोल रहे हैं, इसका मतलब वे अम्बानी के एजेंट है। क्या भाजपा नेता उनके इस आरोप का प्रभावी ढंग से जवाब नहीं दे सकते कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट के पास विचाराधीन है, उस पर क्यों टिप्पणी की जाय ? जबकि इस विषय में वे जो भी तर्क और दलीले दे रहें है, वे सब झूठी और तथ्यहीन है। क्या जनता को निरन्तर हर जगह जा कर भ्रमित करने के उनके इस प्रयास को विफल करने की कोशिश नहीं की जा सकती ?
एक उनका बहुप्रचारित झूठ है- ‘गुजरात में कोई विकास नहीं हुआ।’ क्या इस सफेद झूठ का भी भाजपा के पास जवाब नहीं है। इस झूठ का जवाब दिया भी जा रहा है, किन्तु जिस ढंग से केजरीवाल और उनके अनुयायी बोले जा रहे हैं, उससे साफ लग रहा है कि केजरीवाल मंड़ली की तुलना में भाजपा काफी शिथिल है।
केजरीवाल की बेहुदा नौटंकी पर तरस आता है जब वे महाराष्ट्र में जा कर गुजरात में हुई किसानों की आत्महत्या के आंकड़े दे रहे हैं। जबकि महराष्ट्र में किसानों के आत्महत्या करने की घटनाएं अब भी रोज हो रही है। यही झूठ उन्होंने बैंगलोर में दोहराया और महराष्ट्र पर चुप्पी साधे रहें। गुजरात में हुई किसानों की आत्महत्या के झूठे आंकड़े बैंगलोर में दिये, उसका भाजपा ने जवाब नहीं दिया, जिससे उनका साहस बढ़ गया और उन्होंने बनारस में गुजरात में किसानों की आत्महत्या की संख्या दुगुनी कर दी। बहुत दिनों बाद गुजरात सरकार ने अब विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि गुजरात में मात्र एक किसान ने फसल खराब होने पर आत्महत्या की है।
एक और झूठ वे प्रत्येक जन सभा में जा कर बोल रहे हैं- गुजरात की मोदी सरकार किसानों की जमीन से सस्तें में ले कर अम्बानी अडानी को दे रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि रिलायंस की जामनगर परियोजना 1990 में प्रारम्भ हुई थी, जब मोदी सरकार नहीं थी और रिलायंस ने सारी जमीन किसानों से सीधी खरीदी थी। गुजरात सरका ने उद्योगपतियो के लिए जो भी जमीन अधिगृहण की थी, उसका तरीका बहुत ही पारदर्शी है और उसकी मिशाल पूरे देश में दी जाती है। फिर प्रश्न उठता है कि क्यों केजरीवाल गुजरात सरकार पर झूठे, तथ्यहीन और अर्नगल आरोप लगा रहे हैं और भाजपा नेता उनके झूठ को चुनौती क्यों नहीं दे रहे हैं ?
बनारस की जन सभा में केजरीवाल ने अम्बानी बंधुओं के स्वीस अकाउंट के नम्बर दिये। अब ये नम्बर सही थे या गलत और सही है तो इसकी वास्तविकता क्या है, इसका पूर्ण विवरण जनता को दिया जा सकता था, किन्तु इस पर भी भाजपा नेता चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि स्वीस बैंक में काला धन सरकारी अफसरों और कांग्रेसी नेताओं का है, जिसमें सर्वाधिक मेडम सोनिया का है। यदि केजरीवाल अम्बानी बंधुओ के स्वीस अकाउंट के नम्बर ला सकते हैं, तो दूसरे लोगों के क्यों नहीं ला पा आये ? क्या उनके अलावा और किसी का पैसा स्वीस बैंक में नहीं है ? अन्य के बारें में केजरवाल चुप्प क्यों है ? भाजपा नेताओं को चाहिये कि सार्वजनिक रुप से केजरीवाल के इस झूठ को उजागर करें।
आश्चर्य इस बात पर होता है कि केजरीवाल के झूठे प्रायोजित शो पर भी भाजपा कठोर टिप्पणी नहीं करती, जबकि वे भाजपा की टिप्पणी पर तुरन्त पलट वार करते हैं। मसलन एके 49 पर उन्होंने तुरन्त टिप्पणी कर दी, परन्तु चतुराई से अपनी वेबसाईट पर से कश्मीर को हटाये जाने पर कुछ नहीं बोला। इसी तरह बम्बई प्लेन से गये और एयरपोर्ट पर पूना से लाये गये आॅटो रिक्शा में बैठ कर केजरीवाल और उनके अनुयायियों ने जानबूझ कर ट्राफिक नियमों की धज्जियां उड़ाई। महाराष्ट्र सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की। बनारस में गंगा में डूबकी लगाने का प्रायोजित नाटक किया। अपने लोगों से रोड़ शो में अंडे़ व स्याही फिंकवाई। रोड़ शो गंगा के घाट और मंदिरों से प्रारम्भ किया और समापन मुस्लिम मोहल्लों में जा कर किया। वहां टोपी भी पहनी और अजान के समय अपना भाषण भी रोक दिया । याने लोकप्रियता पाने के वे सारे टोटके किये, जो राजनीति में जमने के लिए किये जाते हैं।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध राजनीति में उतरने वाले केजरीवाल भारत की राजनीति में पैर जमाने के लिए तड़फ रहे हैं और वे सभी उपाय कर रहे हैं, जो स्वच्छ राजनीति की श्रेणी में नहीं आता। उनका सिर्फ सिर्फ भाजपा और मोदी विरोध और अन्य के बारे में चुप्पी यह दर्शाता है कि वे एक षड़यंत्र के तहत काम कर रहे हैं। जानबूझ कर कश्मीर को भारत के नक्शे से हटाना भी मुस्लिम राष्ट्रो से धन प्राप्त करने का एक षडयंत्र है। अतः देश हित में भाजपा नेताओं को केजरीवाल के झूठ को गम्भीरता से लेना होगा और उनकी गंदी राजनीति पर अंकुश लगाने के लिए ठोस व प्रभावी उपाय करने होंगे, अन्यथा उनका साहस बढ़ता जायेगा और वे भाजपा को भारी नुकसान पहुंचाने में सफल होंगे।