Friday 1 April 2016

व्यवहार कुशल

मनुष्य की पहचान उसकी बोलचाल, रहन-सहन और उसके व्यवहार से होती है। मनुष्य अच्छा है या बुरा है, इसके लिए वह कोई सर्टिफिकेट लेकर नहीं घूमता, उसका व्यवहार ही उसके चरित्र का प्रमाण-पत्र है। सच कहूं तो विश्वविद्यालय की पढ़ाई के लिए सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है, लेकिन जीवन के विश्वविद्यालय में उसका व्यवहार ही प्रमाण-पत्र होता है। इसलिए जो व्यक्ति व्यवहार कुशल होता है, उसके पास जीवन का सबसे बड़ा प्रमाण-पत्र होता है और जो व्यक्ति व्यवहार कुशल नहीं है, जिसे कुछ भी पता नहीं हो कि हमें किससे कैसा व्यवहार करना चाहिए, बड़े-छोटों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए तो वह व्यक्ति मनुष्य दिखता जरूर है, लेकिन वह मनुष्य है ही नहीं। इसलिए जीवन में व्यवहार कुशल होना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
व्यवहार कुशल होना एक विज्ञान है, जीवन जीने की विधि है। इसे अभ्यास से सीखा जाता है। उदंड होने में कोई परेशानी नहीं होती। उदंड होना आसान है, सुशील, सज्जन और व्यवहार कुशल होना कठिन है। मां के गर्भ से न तो कोई व्यवहार कुशल होकर आता है और न ही कोई उदंड होकर। सभी लोग सामान्य स्थिति में ही पैदा होते हैं। जिनके घर का वातावरण सुंदर होता है, जिनके घरों में बड़े-छोटों को लिहाज किया जाता है, जिनके घरों में अनैतिक कार्य नहीं होते हैं, उनके ही घरों में बच्चे सुशील, सुंदर और अनुशासन प्रिय होते हैं।
इसलिए बच्चों का चरित्र निर्माण बहुत कुछ उसके घर का वातावरण और दोस्तों की संगत पर निर्भर करता है। व्यवहार कुशल होना सफल जीवन का एक सुखद मार्ग है। जो व्यक्ति व्यवहार कुशल होता है, वह जीवन में कभी असफल नहीं होता, उसके जीवन में पग-पग पर सफलता मिलती रहती है। वह जहां कहीं भी जाता है, अपने व्यवहार से दूसरों को प्रभावित कर लेता है और उससे अपना काम निकाल लेता है। अगर आप किसी को सफल व्यक्ति मानते हैं तो भी मान लेना चाहिए कि निश्चित रूप से वह व्यक्ति दूसरों की अपेक्षा अधिक व्यवहार कुशल है और जो लोग असफल हैं, उनके संबंध में मान लेना चाहिए कि यह व्यक्ति आचरण और व्यवहार से उदंड है या फिर हीन भावना से ग्रस्त हैं और इसे अपनी काबलियत पर भरोसा नहीं है।

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