Thursday 24 March 2016

मोदी विरोधी के नाम पर देशद्रोह स्वीकार्य नहीं

नरेन्द्र मोदी बुलेट से नहीं, बैलेट की ताकत से भारत के प्रधानमंत्री बने हैं। लोकतांत्रिक प्रधानमंत्री का विरोध जायज है, किन्तु उनके विरोध के बहाने देशद्रोह स्वीकार्य नहीं है। एक सौ पच्चीस करोड़ की आबादी में पांच -दस सिरफिरे कुछ बक दें, वह पूरे राष्ट्र की आवाज़ नहीं होती। टीवी चेनलों के प्रचार से कोर्इ व्यक्ति राष्ट्र का हीरो नहीं बन सकता। हीरो बनने के लिए उसे जनता के दिलो में उतरना पड़ता है। राहुल और केजरीवाल यदि मोदी के विरोध के नाम पर देश के दुश्मनों से मिल कर सियासी षड़यंत्र रचते रहेंगे और ऐसा करने पर भारत की जनता उन्हें सत्ता सौंप देगी, यह सम्भव नहीं हैं। वामपंथी लुप्त होने के कगार पर है, परन्तु कन्हैया को हीरो बनने से उनका अस्तित्व बच जायेगा, यह भी सम्भव नहीं है।
गैर मुस्लिम और गैर कश्मीरी छात्रों से कश्मीर की आज़ादी का नारा लगाना, पाकिस्तानी सेना और आर्इएसआर्इ द्वारा रची गर्इ गहरी साजिश का एक भाग था। दुश्मनों ने अब धनबल से भारतीयों की बुद्धि भ्रष्ट करने की एक नर्इ रणनीति पर काम करना आरम्भ कर दिया है। परन्तु दुखद तथ्य यह है कि भारत की बर्बादी और टुकड़े- टुकड़े करने वाली जमात के साथ राहुल और केजरीवाल क्यों खड़े हुए ? आर्इएसआर्इ की शह से छेड़े गये देशद्रोह के सुर के साथ अपना सुर क्यों जोड़ा ? क्या राहुल गांधी मोदी विरोध के नाम पर देश की अस्मत के साथ सौदा करना चाहते हैं ? क्या अरविंद केजरीवाल पाकिस्तानी घोड़े पर बैठ कर भारत फतह का ख्वाब देख रहे हैं ?
राजनेताओं, पत्रकारों और नकली साहित्यकारों की एक गैंग भारत की सियासत में जहर घोल रही है। इस गैंग की सरगना पाकिस्तानी सेना और आर्इ एस आर्इ है। यह वही गैंग है, जिसने बम्बर्इ बम विस्फोट के गुनहगार की फांसी रुकवाने के लिए राष्ट्रपति से गुहार की थी। आधी रात को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। जिन लोगों ने फांसी रुकवाने की दया याचिका पर हस्ताक्षर किये थे, वे सभी इस गैंग के सक्रिय सदस्य है। इसी गैंग ने आज देशभक्ति और देशद्रोह पर अनावश्यक बहस छेड़ रखी है। इसी गैंग ने दादरी प्रकरण को अतिरंजित रुप से देश के सामने रखा था। असहिष्णुता का नारा उछाला था। अभिव्यक्ति की आज़ादी मांगी थी। नकली साहित्यकारों ने पुरुष्कार लौटाने का ड्रामा किया था। मकसद था- मुस्लिम समुदाय के समक्ष मोदी सरकार को कट्टर हिन्दुओं की सरकार बताना, ताकि भाजपा बिहार चुनाव हार जाय। पाकिस्तानी सेना और आर्इएसआर्इ के साथ मिल कर रचे सियासी षड़यंत्र के सफल रहने पर गैंग गदगद हो गर्इ। भविष्य में नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रीय खलनायक बनाने की रणनीति पर काम प्रारम्भ हो गया।
अब जब कि उस नालायक लड़के की जबान पर बैठ कर आर्इएसआर्इ ने भारतीय सेना को बलात्कारी बताया है, तब उसकी जबान से निकली बात पर पूरी गैंग खामोश क्यों हैं ? भारतीय सेना का अपमान, राष्ट्र का अपमान है। यह सौ प्रतिशत देशद्रोह है। यह अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं, पैसे ले कर बिके एक गद्दार की आवाज़ है। ऐसे गिरे हुए शख्स को जो राष्ट्रीय हीरो बनाने का प्रयास कर रहे हैं, वे जानबूझ कर अक्षम्य अपराध कर रहे है, जिसे क्षमा नहीं किया जा सकता। इस समय हमे देशद्रोह और देशभक्ति पर निरर्थक बहस की जरुरत नहीं है। विकास की ऐसी योजनाओं पर बहस करने की आवश्यकता है, जिससे देश में रह रहे करोड़ो लोगों का जीवन स्तर सुध सके। उन्हें अपनी समस्याओं से निज़ात मिले। अनावश्यक बहस और विवाद खड़े कर जो राष्ट्र का ध्यान भटकाना चाहते हैं, वे दरअसल सरकार के कामों में रोड़े अटका रहे हैं, ताकि देश का विकास अवरुद्ध हो जाय।
एक शक्तिशाली नेतृत्व के प्रभाव से भारत जुड़ रहा है, टूट नहीं रहा है। भारत बर्बाद नहीं हो रहा है, खुशहाली की डगर पर आगे बढ़ रहा है। परन्तु जो इसके टुटने और बर्बादी के नारे लगा रहे हैं, उन्हें पहले पाकिस्तान की हालत देख लेनी चाहिये। पाकिस्तान के अनेक भागों में सेना के विरुद्ध विद्रोह की आग भभक रही है। सेना नागरिकों को प्रताड़ित कर रही है। उनकी आवाज दबा रही है। पाकिस्तानी जनता के मन में यह बात बैठ रही है कि हमारे देश को भी नरेन्द्र मोदी जैसा शक्तिशाली प्रधानमंत्री चाहिये। हमे सेना के नियंत्रण से मुक्त लोकतंत्र चाहिये। बमों के धमाकों से क्षतविक्षत इंसानों को देख कर उनकी रुह कांप रही है। वे भी ऐसे गुनहगारों से मुक्त खुला और आज़ाद पाकिस्तान चाहते हैं, जिसमें सुकून से रहने का अहसास हो। भारतीयों के प्रति नफरत का राग सुनते-सुनते पाकिस्तानी जनता वह थक गर्इ है। अब इस गौरखधंधे से वह तौबा चाहती हैं।
पाकिस्तानी सेना नरेन्द्र मोदी को पसंद नहीं करती, क्योंकि मोदी की ताकत से पाकिस्तान के टुटने और बिखरे की आशंका गहरी होती जा रही है। वह जानती है कि नागरिकों का दमन कर उसकी आवाज़ को अधिक दिनों तक दबा नहीं सकती। इसीलिए सेना भारत में ऐसी हरकते कर रही है और करवा रही है, ताकि पाकिस्तानी आवाम का ध्यान बांटा जा सके और उसे यह समझाया जा सके कि भारत में भी हालात ज्यादा ठीक नहीं है। नरेन्द्र मोदी की सरकार कट्टर हिंदूवादी सोच की सरकार है, जिसे भारत की जनता पसंद नहीं करती। भारत की जनता भी कश्मीर की आज़ादी चाहती है और सारे सेकुलर दल नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाना चाहते हैं। पाकिस्तान में बैठे अतिवादी तत्व भयभीत हैं, क्योंकि मोदी ज्यादा दिनों तक भारत के प्रधानमंत्री बने रहे, तो कभी भी उनके गले में फांसी का फंदा पड़ सकता है। यही कारण है कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तानी सेना ने दहशतगर्दी तेज कर दी है। पाकिस्तानी सेना, अतिवादी तत्व और भारत की सेकुलर गैंग मिल कर भारत में सियासी षड़यंत्र रच रही है। सभी नरेन्द्र मोदी की बढ़ती ताकत से अपने अस्तित्व को बचाना चाहते हैं, इसीलिए मिल कर काम कर रहे हैं।
आर्इएसआर्इ की परोक्ष सहायता से ही अरविंद केजरीवाल की ऐतिहासिक जीत हुर्इ। दिल्ली में आर्इएसआर्इ के भ्रामक प्रचार के कारण लगभग शतप्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा के विरोध में वोट डाले। यही इतिहास बिहार में दोहराया गया, जिसे अगले विधानसभा के चुनावों में दोहराये जाने की सम्भावना है। मोदी विरोध के नाम पर सेकुर गैंग दुश्मनों के साथ मिल कर षड़यंत्र रचने को देशद्रोह नहीं मानती। इनके विचारों से नरेन्द्र मोदी और आरएसएस का विरोध करना देशभक्ति है। निश्चय ही लोकतंत्र में जनता द्वारा चुनी गर्इ सरकार की नीतियों की आलोचना करने का अधिकार जनता को है, किन्तु इसी बहाने देशद्रोही ताकतों को अपने मकसद में कामयाब होने की छूट नहीं दी जा सकती।
मोदी विरोधी के नाम पर देशद्रोह स्वीकार्य नहीं

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