Monday 23 January 2012

jyotish aur ibn khabar

अभी अभी IBN खबर पर दिखाया जा रहा था कि किसी ने अपनी कुंडली की ख़राब ग्रह योग के  कारण पत्नी, बच्चे समेत स्वयं आत्महत्या कर ली इसमें फलित करता ज्योतिषी पर अन्धविश्वाश को फ़ैलाने का आरोप लगाया , स्टूडियो में जोशी नामक महान ज्योतिषी बैठे थे वे भी ज्योतिषी के फलित करने के तरीका पर सवाल उठाया , टीवी चैनल या देश के महान कर्णधार लोगो ने तो अपनी संस्कृति व विज्ञानं  को छोड़ PACHCHMI  सभ्ययता के पीछे भाग भाग कर सोने की चिड़िया रूपी इस देश को बद से बदतर स्थिति में पंहुचा दिया वर्तमान समय में जोशी जैसे मुर्ख ज्योतिषी के कारण ये विद्या भी धूमिल हो गया है , ज्योतिष हमारे प्रराभ्ध को दर्शाता है तथा  मेरे जीवन में आने वाला या होने वाले कर्म या मेरी मानसिक विचारधारा को बताता है तथा प्रराभ्धिया स्थिति के अनुकूल वर्तमान कर्म का दिशा निर्देश करता है , किसी ज्योतिषी के कहने से कोई व्यक्ति आत्महत्या कर ले ये गुलामी मानशिकता के हमारे महान देश भक्त तथा अमेरिका के पीछे पीछे चलने वाले विद्वान तो कह सकते है चुकी इसके दिमाग में गुलामी के अतिरिक्त और कुछ होता ही नहीं है लेकिन जब एक ज्योतिषी का चोला पहन जोशी जैसे लोग इसे कहता है तो लगता है वास्तव में रामत्वा का नाश हो चूका है तथा रवनात्वा का UDAI पूर्णता से हो चूका है कुंडली से किसी व्यक्ति की मानसिक अवस्था का अध्ययन किया जाता है जब किसी व्यक्ति के कुंडली में शुक्र व मंगल के किरणों का मानशिकता से एक साथ संबंद बन जाई तो वह व्यक्ति मानसिक रूप से अत्यंत परेशान रहेगा लेकिन उस परेशानी का दिशा या रूप क्या होगा एह कुंडली स्थित अन्य योगो पर निर्भर करेगा यदि कुंडली में तीब्र भावुकता का योग बनी हुई है तभी लोग आत्महत्या कर सकता है अन्यथा नहीं , यदि येसा योग नहीं है तो व्यक्ति कभी आत्महत्या नहीं कर सकता यदि किसी स्वथ व्यक्ति को डॉक्टर केंसर होने की बात कहता है तो क्या उस व्यक्ति का केंसर से मोंत होगा ? और यदि इक केंसर ग्रस्त व्यक्ति को डॉक्टर केंसर नहीं होने की बात कहे तो क्या वह केंसर से मुक्त हो जायगा ?

Thursday 12 January 2012

vartman aarkshan vyavastha

देश में वर्तमान जाती , धर्म आधारित आरक्षण प्रणाली क्या देश को उन्नत्ति मार्ग पर ले जाने में सहायक है या उल्टा देश की सामाजिक व्यवस्था को तोड़ रहा है ? हमारे संबिधान में आरक्षण की व्यबस्था सामाजिक आर्थिक पिछड़ापन को दूर करने के लिए किया गया था , आज की भारतीय समाज में कोई जाती नहीं जिसमे सभी आर्थिक रूप से या सामाजिक रूप से पिछड़ा हो , आर्थिक पिछड़ापन समाज के सभी जातियो में है , वर्तमान सरकारी आंकड़ा में सबसे सटीक आंकड़ा समाज के आर्थिक पिछड़ा को दर्शाने  के लिए BPL व्  लाल कार्ड है इसमें सभी  जाती व् धर्म  के वैसे सभी व्यक्ति समाहित है जो आर्थिक व् सामाजिक रूप से पिछड़ा है , यदि आरक्षण का उद्धेश्य सामाजिक आर्थिक पिछड़ापन को दूर करना है तो क्यों नहीं आरक्षण की व्यवस्था BPL व् लाल कार्ड धारको  के लिए हो न कि किसी जाती व् धर्म के लिए , इससे आरक्षण के नाम पर राजनीती नहीं होगी तथा आरक्षण का वास्तविक लाभ समाज व् देश को मिलेगा , इस विषय पर गंभीर वहस क्यों  नहीं होना चाहिए ?